लोकसभा चुनावों में जनता ने भाजपा को वोट देकर पीएम मोदी को एक बार फिर चुन लिया. जनता ने तो पीएम मोदी को तोहफा दे दिया, लेकिन जनता को रिटर्न गिफ्ट का इंतजार था. मोदी सरकार 2.0 बनने के बाद पहला रिटर्न गिफ्ट भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जनता को दिया गया है. RBI ने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में जनता को तोहफा देते हुए Repo Rate और Reverse Repo Rate में कटौती कर दी है. यानी अगर देखा जाए तो सीधे-सीधे इसका असर लोगों के लोन की ईएमआई पर पड़ेगा, जो अब सस्ती हो जाएंगी.
ऐसा नहीं है कि आरबीआई ने सिर्फ रेपो रेट में कटौती का तोहफा लोगों को दिया है, बल्कि और भी कुछ फैसले हैं, जो जनता को हित के हैं. इन फैसलों से जनता का पैसा बचेगा. रिजर्व बैंक ने भी ये साफ किया है कि वह चाहता है कि ग्राहकों को अधिक से अधिक फायदा हो. वैसे देखा जाए तो जनता को उम्मीदें भी कुछ ऐसी ही थीं. वह तो यही चाह रहे थे कि मोदी सत्ता में आएं तो उनके लिए कुछ तोहफे लाएं. अभी भले ही ये तोहफा सीधे मोदी सरकार की तरफ से ना मिला हो, लेकिन जनता तो इसे मोदी का ही तोहफा समझेगी.
6 महीने में लगातार 3 बार हुई रेपो रेट में कटौती
RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इस कटौती के बाद अब नया रेपो रेट 5.75 फीसदी हो गया है, जबकि रिवर्स रेपो रेट 5.50 पर जा पहुंचा है. वहीं बैंक रेट 6 फीसदी हो गया है. आपको बता दें कि पिछले 6 महीने में भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार 3 बार रेपो रेट में कटौती की है. यानी चुनावों ने पहले भी रिजर्व बैंक ने लोगों को तोहफा दिया और चुनावों के बाद भी.
जनता को सीधे तौर पर होंगे ये फायदे
- रेपो रेट में कटौती का सीधा...
लोकसभा चुनावों में जनता ने भाजपा को वोट देकर पीएम मोदी को एक बार फिर चुन लिया. जनता ने तो पीएम मोदी को तोहफा दे दिया, लेकिन जनता को रिटर्न गिफ्ट का इंतजार था. मोदी सरकार 2.0 बनने के बाद पहला रिटर्न गिफ्ट भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जनता को दिया गया है. RBI ने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में जनता को तोहफा देते हुए Repo Rate और Reverse Repo Rate में कटौती कर दी है. यानी अगर देखा जाए तो सीधे-सीधे इसका असर लोगों के लोन की ईएमआई पर पड़ेगा, जो अब सस्ती हो जाएंगी.
ऐसा नहीं है कि आरबीआई ने सिर्फ रेपो रेट में कटौती का तोहफा लोगों को दिया है, बल्कि और भी कुछ फैसले हैं, जो जनता को हित के हैं. इन फैसलों से जनता का पैसा बचेगा. रिजर्व बैंक ने भी ये साफ किया है कि वह चाहता है कि ग्राहकों को अधिक से अधिक फायदा हो. वैसे देखा जाए तो जनता को उम्मीदें भी कुछ ऐसी ही थीं. वह तो यही चाह रहे थे कि मोदी सत्ता में आएं तो उनके लिए कुछ तोहफे लाएं. अभी भले ही ये तोहफा सीधे मोदी सरकार की तरफ से ना मिला हो, लेकिन जनता तो इसे मोदी का ही तोहफा समझेगी.
6 महीने में लगातार 3 बार हुई रेपो रेट में कटौती
RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इस कटौती के बाद अब नया रेपो रेट 5.75 फीसदी हो गया है, जबकि रिवर्स रेपो रेट 5.50 पर जा पहुंचा है. वहीं बैंक रेट 6 फीसदी हो गया है. आपको बता दें कि पिछले 6 महीने में भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार 3 बार रेपो रेट में कटौती की है. यानी चुनावों ने पहले भी रिजर्व बैंक ने लोगों को तोहफा दिया और चुनावों के बाद भी.
जनता को सीधे तौर पर होंगे ये फायदे
- रेपो रेट में कटौती का सीधा फायदा लोन की किस्त चुका रहे लोगों को होगा. इस कटौती से बैंकों पर दबाव पड़ेगा कि वह ब्याज दर में कटौती करें. ऐसा होते ही आम आदमी के होम लोन, कंज्यूमर लोन आदि की ईएमआई कम हो जाएंगी.
- इसके अलावा RBI ने बैंकों से NEFT ट्रांसफर पर लगने वाले चार्ज को भी खत्म करने के लिए कहा है. यानी अब अगर आप किसी को पैसे भेजते हैं, तो उसके लिए आपको कोई पैसा नहीं चुकाना होगा. जहां एक ओर इससे आम आदमी का फायदा होगा, वहीं दूसरी ओर डिजिटल बैंकिंग को भी बढ़ावा मिलेगा. यानी सीधे तौर पर ये डिजिटल इंडिया को और मजबूत करने वाला कदम है.
- रिजर्व बैंक ने ATM पर लगने वाले चार्ज की समीक्षा के लिए भी एक कमेटी बनाने की घोषणा की है. यानी ये तो रिजर्व बैंक भी मानता है कि ये चार्ज कहीं न कहीं सही नहीं हैं. इस कमेटी के जरिए रिजर्व बैंक ने एक इशारा दे दिया है कि जल्द ही वह एटीएम चार्ज भी घटाने वाला है. यानी जल्द ही कुछ और पैसे बचाने वाली कोई खबर आ सकती है.
लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी है कि...
रिजर्व बैंक जब भी रेपो रेट में कटौती करता है तो सबसे पहली बात मन में यही आती है कि अब लोन की ईएमआई सस्ता हो जाएगी. लेकिन अगर इससे पहले हुई दो कटौतियों को देखें तो ऐसा कुछ नहीं हुआ. फरवरी में रिजर्व बैंक ने 2 बार रेपो रेट में कुल मिलाकर 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.50 फीसदी की कटौती की, लेकिन नीतिगत दर में कटौती के बावजूद बैंकों ने औसतन के वल 0.05 फीसदी की ही कटौती की. ऐसे में इस बार बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव और अधिक होगा, लेकिन सवाल यही है कि क्या इस बार बैंकों की ओर से ब्याज दरों में कटौती की जाएगी? आपको बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक की ओर से अन्य बैंकों को कर्ज दिया जाता है. यानी जब बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा, तो उन पर ग्राहकों को भी सस्ता कर्ज देने का दबाव बनेगा.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुई ये पहली कटौती है. भले ही भारतीय रिजर्व बैंक के काम-काज में सरकार का कोई दखल नहीं होता है, लेकिन ये भी गलत नहीं है कि कोई भी फैसला दोनों की आपसी सहमति से ही होता है. अर्थव्यवस्था से जुड़े हर फैसले से पहले सरकार और रिजर्व बैंक एक दूसरे से सलाह मशवरा जरूर करते हैं. ऐसे में जनता तो रिजर्व बैंक के इस फैसले को सीधे मोदी सरकार से जोड़कर ही देखेगी.
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