एक तरफ मुकेश अंबानी... वो जहां हाथ डाल रहे हैं वो सोना होती नजर आ रही है. जियो इसका ताजा उधारण है, टेलिकॉम इंटस्ट्री में उन्होंने जियो को लाकर भूचाल मचा दिया है. अब वो ब्रॉडबैंड और जियो डीटीएच लेकर आ रहे हैं. जिसके लिए लोग भी काफी एक्साइटेड हैं.
वहीं उनके भाई अनिल अंबानी जिनकी कंपनी आरकोम (रिलायंस कम्यूनिकेशन) भारी कर्ज में डूबी हुई है. पिछले एक महीने के दौरान अनिल अंबानी की ग्रुप कंपनियों का कुल मार्केट कैप 12,200 करोड़ रुपए के करीब घट गया है. फिलहाल पांचों कंपनियों का कुल मार्केट कैप घटकर 47500 करोड़ रुपए पर आ गया है. जिसको चुकाने में उनको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक की एक समय के टॉप बिजनेसमैन में शुमार अनिल ने कर्ज चुकाने के लिए 7 महीनों का वक्त मांगा है. जो उन्हें मिल चुका है.
रिलायंस कम्यूनिकेशन का कहना है कि प्राइस को लेकर कड़े कॉम्पिटीशन और ज्यादा टैक्स के चलते सेक्टर पर दबाव है. प्राइस वॉर ने टेलिकॉम कंपनियों को एक तरह से निचोड़ दिया है और नकदी का गहरा संकट पैदा हो गया है. रिलायंस जियो की एंट्री के बाद से कंपनियों में प्राइस वॉर तेज है.
रिलायंस जियो की टेलिकॉम इंडस्ट्री में एंट्री के बाद से कंपनियों में प्राइस वॉर तेज है. कुल मिलाकर ये कहें कि अनिल की कंपनी को नुकसान मुकेश की कंपनी जियो से हुआ है. बता दें, जियो के आने के बाद कई कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ा है.
ऐसे होगा टेलिकॉम इंडस्ट्री को नुकसान
कंपनी का कहना है कि टेलिकॉम इंडस्ट्री की इस साल की आय व इसके कर्ज के बीच 1,20,000 करोड़ रुपये का अंतर है. सालाना ब्याज भुगतान, लोन...
एक तरफ मुकेश अंबानी... वो जहां हाथ डाल रहे हैं वो सोना होती नजर आ रही है. जियो इसका ताजा उधारण है, टेलिकॉम इंटस्ट्री में उन्होंने जियो को लाकर भूचाल मचा दिया है. अब वो ब्रॉडबैंड और जियो डीटीएच लेकर आ रहे हैं. जिसके लिए लोग भी काफी एक्साइटेड हैं.
वहीं उनके भाई अनिल अंबानी जिनकी कंपनी आरकोम (रिलायंस कम्यूनिकेशन) भारी कर्ज में डूबी हुई है. पिछले एक महीने के दौरान अनिल अंबानी की ग्रुप कंपनियों का कुल मार्केट कैप 12,200 करोड़ रुपए के करीब घट गया है. फिलहाल पांचों कंपनियों का कुल मार्केट कैप घटकर 47500 करोड़ रुपए पर आ गया है. जिसको चुकाने में उनको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यहां तक की एक समय के टॉप बिजनेसमैन में शुमार अनिल ने कर्ज चुकाने के लिए 7 महीनों का वक्त मांगा है. जो उन्हें मिल चुका है.
रिलायंस कम्यूनिकेशन का कहना है कि प्राइस को लेकर कड़े कॉम्पिटीशन और ज्यादा टैक्स के चलते सेक्टर पर दबाव है. प्राइस वॉर ने टेलिकॉम कंपनियों को एक तरह से निचोड़ दिया है और नकदी का गहरा संकट पैदा हो गया है. रिलायंस जियो की एंट्री के बाद से कंपनियों में प्राइस वॉर तेज है.
रिलायंस जियो की टेलिकॉम इंडस्ट्री में एंट्री के बाद से कंपनियों में प्राइस वॉर तेज है. कुल मिलाकर ये कहें कि अनिल की कंपनी को नुकसान मुकेश की कंपनी जियो से हुआ है. बता दें, जियो के आने के बाद कई कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ा है.
ऐसे होगा टेलिकॉम इंडस्ट्री को नुकसान
कंपनी का कहना है कि टेलिकॉम इंडस्ट्री की इस साल की आय व इसके कर्ज के बीच 1,20,000 करोड़ रुपये का अंतर है. सालाना ब्याज भुगतान, लोन रीपेमेंट ऑब्लिगेशन, स्पेक्ट्रम संबंधी ऑउटगो और कैपेक्स से 1,62,000 करोड़ रुपए का नुकसान संभव है.
इससे ऑपरेटर्स को उनके कर्ज भुगतान और 2017-18 में कंपनियों की शुद्ध आय (EBITDA) 43,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. ऐसे में कंपनियों के लिए कर्ज व अन्य भुगतान करना कठिन होगा. बता दें, ईबीआईटीडीए (EBITDA) के जरिए (अर्निंग्स बिफोर इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रीसिएशन और अमॉर्टाइज़ेशन) कंपनी की ऑपरेशनल परफॉर्मेंस निकाली जाती है.
'होंगी 40 हजार छंटनियां'
कंपनी ने आगाह किया है कि अगले 12-18 महीनों में टेलीकॉम सेक्टर में 30-40 हजार तक छंटनियां संभव है जो कि पिछले साल 10,000 थी. बता दें, भारत 1.16 अरब से अधिक मोबाइल यूजर्स के साथ, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार है. कुल मिलाकर कंपनी ने खुद के साथ-साथ टेलिकॉम इंडस्ट्री में भी आगे घाटा होने का अंदेशा जता दिया है. जिसके लिए उन्होंने पूरा जिम्मेदार जियो को बताया है.
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