भारतीय अर्थव्यवस्था जहां एक ओर तो तेज़ी से आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर रुपए की कमर टूटती जा रही है. इस समय भारत में एक अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है जहां अर्थव्यवस्था को रुपया कमजोर बना सकता है. रुपए ने 70 रुपए प्रति डॉलर का स्तर छू लिया है और ये रिकॉर्ड है. क्योंकि रुपए इतना नीचे कभी नहीं गिरा. इस साल 9 प्रतिशत की कुल गिरावट के साथ रुपए के लिए सबसे खराब साल रहा है. 70.08 का आंकड़ा रुपए ने मंगलवार के दिन छुआ और एक दिन में इतनी गिरावट 2013 के बाद पहली बार हुई है.
रुपया इतना नीचे गिर गया कि कांग्रेस ने इसके लिए ट्वीट कर मोदी सरकार की चुटकी ली.
पर क्या वाकई ये सरकार की किसी नीति की वजह से हुआ है?
क्यों बने ऐसे हालात?
तुर्की में आर्थिक संकट की वजह से वहां की करंसी लीरा काफी कमजोर हुई है. सोमवार को भी लीरा में कमजोरी बढ़ी थी, जिससे बैंकिंग शेयर टूट गए. रुपया सोमवार को ही 69.93 का रिकॉर्ड छू चुका था और मंगलवार को 70 का आंकड़ा पार कर लिया. लीरा का कमजोर होना ग्लोबल मार्केट पर असर डालने के लिए काफी था. यूरोपीय करंसी में भी स्लोडाउन आने से अन्य करंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई. डॉलर इंडेक्स 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया और यही कारण है कि रुपया और कमजोर हो गया.
कमजोर रुपए के कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की महंगाई काबू में रखने वाली सभी कोशिशें कमजोर पड़ जाएंगी. उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली आरबीआई की मॉनिटेरी पॉलिसी कमेटी ने इस साल दो बार इंट्रेस्ट रेट बढ़ाए ताकि वो बढ़ती कीमतों को काबू...
भारतीय अर्थव्यवस्था जहां एक ओर तो तेज़ी से आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर रुपए की कमर टूटती जा रही है. इस समय भारत में एक अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है जहां अर्थव्यवस्था को रुपया कमजोर बना सकता है. रुपए ने 70 रुपए प्रति डॉलर का स्तर छू लिया है और ये रिकॉर्ड है. क्योंकि रुपए इतना नीचे कभी नहीं गिरा. इस साल 9 प्रतिशत की कुल गिरावट के साथ रुपए के लिए सबसे खराब साल रहा है. 70.08 का आंकड़ा रुपए ने मंगलवार के दिन छुआ और एक दिन में इतनी गिरावट 2013 के बाद पहली बार हुई है.
रुपया इतना नीचे गिर गया कि कांग्रेस ने इसके लिए ट्वीट कर मोदी सरकार की चुटकी ली.
पर क्या वाकई ये सरकार की किसी नीति की वजह से हुआ है?
क्यों बने ऐसे हालात?
तुर्की में आर्थिक संकट की वजह से वहां की करंसी लीरा काफी कमजोर हुई है. सोमवार को भी लीरा में कमजोरी बढ़ी थी, जिससे बैंकिंग शेयर टूट गए. रुपया सोमवार को ही 69.93 का रिकॉर्ड छू चुका था और मंगलवार को 70 का आंकड़ा पार कर लिया. लीरा का कमजोर होना ग्लोबल मार्केट पर असर डालने के लिए काफी था. यूरोपीय करंसी में भी स्लोडाउन आने से अन्य करंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई. डॉलर इंडेक्स 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया और यही कारण है कि रुपया और कमजोर हो गया.
कमजोर रुपए के कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की महंगाई काबू में रखने वाली सभी कोशिशें कमजोर पड़ जाएंगी. उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली आरबीआई की मॉनिटेरी पॉलिसी कमेटी ने इस साल दो बार इंट्रेस्ट रेट बढ़ाए ताकि वो बढ़ती कीमतों को काबू में कर सकें. इसके अलावा, विदेशी रिजर्व को भी देखा जाता रहा ताकि देश में हालात और न बिगड़ जाएं.
अर्थव्यवस्था को थोड़ी राहत महंगाई से ऐसे है कि पिछले 9 महीने में 4.17 प्रतिशत ही महंगाई रह गई है और ये स्तर 9 महीने में सबसे कम है. यानी कुछ हद तक देश के हालात सुधरे हुए हैं, लेकिन अगर हम रुपए की हालत की बात करें तो अभी भी खतरा टला नहीं है. फैक्टर LLC के सीईओ पीटर ब्रांडिट का कहना है कि रुपया अभी और गिरेगा. इसके गिरने की गुंजाइश ज्यादा है. उनके अनुसार भारतीय रुपए 80 रुपए का मार्क भी छू सकता है. ऐसा तब हो सकता है जब 17 रुपए का मार्क रुपया पार कर गए. हालांकि, ये सिर्फ अनुमान है, लेकिन ये अभी लोगों को डराने के लिए काफी है.
रुपया सस्ता होने पर लोगों को क्या नुकसान होगा..
रुपया डॉलर के मुकाबले अगर सस्ता हो जाएगा यानी रुपए के दाम डॉलर के आगे गिर जाएंगे (जैसा की अभी हो रहा है) तो आम भारतीयों को कई तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
डॉलर के मुकाबले सस्ते (कमजोर) रुपए का मतलब है कि आयात महंगा होगा. कुछ ऐसे इम्पोर्ट हैं जिन्हें गलती से भी बंद नहीं किया जा सकता है जैसे तेल (पेट्रोल, डीजल, पेंट्रोलियम प्रोडक्ट्स, क्रूड ऑयल आदि). तेल भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा असर डालता है. अगर रुपया गिरता है तो तेल का महंगा होना तय है क्योंकि भारत 80% तेल की खपत दूसरे देशों से आयात कर पूरी करता है.
जैसे ही तेल महंगा होगा वैसे ही सब्जियों और अन्य सामग्रियों के दाम भी बढ़ जाएंगे. इम्पोर्टेड आइटम या ऐसे आइटम जिसमें कोई इम्पोर्टेट सामान लगता हो जैसे कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, कार आदि महंगी हो जाएंगी. हर वो इंडस्ट्री जो आयात पर निर्भर करती है उसपर असर पड़ेगा.
क्या बेहतर होगा इस कंडीशन से...
कमजोर रुपए का मतलब है कि आयात तो महंगा होगा, लेकिन निर्यात के लिए ये अच्छा है. हर एक्सपोर्ट आधारित इंडस्ट्री को कमजोर रूपए से फायदा होगा. जैसे कि आईटी इंडस्ट्री, फार्मा इंडस्ट्री आदि. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन इंडस्ट्री का रेवेन्यू अधिकतर विदेशों से आता है.
कुल मिलाकर रुपया कमजोर होने से नुकसान ज्यादा होगा जो आम लोगों को सबसे ज्यादा असर करेगा.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.