यह बात तो हम सब जानते हैं कि सरकार के द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए जाने के बाद क्या-क्या परेशानियां जनता को झेलना पड़ रही हैं, लेकिन इसके फायदे क्या क्या हैं ये कोई नहीं बता रहा. तो सवाल यह उठता है कि बड़े नोट बंद करने का फायदा क्या है और इसका असर मध्यमवर्गीय लोगों पर क्या पड़ेगा?
जानकारों का मानना है कि इस फैसले से गरीब, मध्यवर्गीय और नौकरीशुदा लोगों को फायदा होगा. इसके चलते रियल एस्टेट में कीमतें कम होंगी और उच्च शिक्षा भी आम लोगों के दायरे में होगी.
तो चलिए जानते हैं इससे क्या-क्या फायदे हो सकते हैं?
ये भी पढ़ें- काला धन उतना भी बुरा नहीं है सरकार !
* राजनीति में भ्रष्टाचार बंद हो जाएगा
बड़े नोटों का बंद होना राजनीति पर भी प्रभाव डालेगा क्योंकि चुनाव प्रचार में सबसे अधिक अवैध नोटों का इस्तेमाल किया जाता है और बड़े नोटों के बंद होने के कारण सारा काला धन किसी काम का नहीं रह जाएगा. इसीलिए शायद विपक्षी पार्टियों को यह कदम रास नहीं आ रहा है. इसका जीता-जागता प्रमाण यूपी और पंजाब के चुनाव में दिखेगा.
सांकेतिक फोटो |
* भ्रष्टाचार में कमी आएगी
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी इसे खास माना जा रहा है. बड़े नोटों के बंद होने से भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी और लोग रिश्वत लेने से डरेंगे क्योंकि पहले लिया हुआ रिश्वत का पैसा भी बेकार हो चुका होगा.
* प्रॉपर्टी के दाम गिरेंगे
फिलहाल भ्रष्टाचार...
यह बात तो हम सब जानते हैं कि सरकार के द्वारा 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए जाने के बाद क्या-क्या परेशानियां जनता को झेलना पड़ रही हैं, लेकिन इसके फायदे क्या क्या हैं ये कोई नहीं बता रहा. तो सवाल यह उठता है कि बड़े नोट बंद करने का फायदा क्या है और इसका असर मध्यमवर्गीय लोगों पर क्या पड़ेगा?
जानकारों का मानना है कि इस फैसले से गरीब, मध्यवर्गीय और नौकरीशुदा लोगों को फायदा होगा. इसके चलते रियल एस्टेट में कीमतें कम होंगी और उच्च शिक्षा भी आम लोगों के दायरे में होगी.
तो चलिए जानते हैं इससे क्या-क्या फायदे हो सकते हैं?
ये भी पढ़ें- काला धन उतना भी बुरा नहीं है सरकार !
* राजनीति में भ्रष्टाचार बंद हो जाएगा
बड़े नोटों का बंद होना राजनीति पर भी प्रभाव डालेगा क्योंकि चुनाव प्रचार में सबसे अधिक अवैध नोटों का इस्तेमाल किया जाता है और बड़े नोटों के बंद होने के कारण सारा काला धन किसी काम का नहीं रह जाएगा. इसीलिए शायद विपक्षी पार्टियों को यह कदम रास नहीं आ रहा है. इसका जीता-जागता प्रमाण यूपी और पंजाब के चुनाव में दिखेगा.
सांकेतिक फोटो |
* भ्रष्टाचार में कमी आएगी
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी इसे खास माना जा रहा है. बड़े नोटों के बंद होने से भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी और लोग रिश्वत लेने से डरेंगे क्योंकि पहले लिया हुआ रिश्वत का पैसा भी बेकार हो चुका होगा.
* प्रॉपर्टी के दाम गिरेंगे
फिलहाल भ्रष्टाचार में शामिल लोग अपनी बेनाम संपत्ति को रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करके खुद को साफ-सुथरे साबित करने की कोशिश करते हैं. इस फैसले से ऐसे लोग नकद भुगतान नहीं कर सकेंगे ऐसे में जायदाद की कीमतें कम होंगी और गरीबों के लिए मकान का सपना आसान हो सकेगा. अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है की प्रॉपर्टी के रेट बहुत डाउन होने वाले हैं और इसका कारण सीधा-सीधा बड़े नोटों को बंद किया जाना माना जा रहा है. तो अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो शायद आपके लिए यह अच्छा समय होने का संकेत हो सकता है.
* उच्च शिक्षा में समानता आएगी
इसके अलावा उच्च शिक्षा ऐसा सेक्टर है, जहां भ्रष्टाचार में शामिल लोग अपनी पूंजी लगाते हैं. कैपिटेशन फीस के कारण उच्च शिक्षा आम लोगों की पहुंच से दूर हो चुकी है. इस फैसले से उच्च शिक्षा के मामले में समानता की स्थिति आ सकेगी, क्योंकि गैर-कानूनी कैश का लेन-देन संभव नहीं हो पाएगा. इसका सबसे बड़ा फायदा उन मेधावी छात्रों को होगा जो उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं.
* अपहरण और फिरौती जैसी घटना बंद हो जाएंगी
बड़े नोट बंद किए जाने से अपहरण और फिरौती जैसी घटनाओं पर भी रोक लगेगी क्योंकि इन घटनाओं में भी बड़े नोटों का ही इस्तेमाल किया जाता है और उनके बंद होने के कारण यह घटनाएं भी कम हो जाएंगी.
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* इनकम टैक्स न देने वालों पर दबाव
जो लोग इनकम टैक्स नहीं भरते उनको अब इनकम टैक्स भरना पड़ेगा क्योंकि घरों में रखे करोड़ों रुपए आप को बैंक में जमा कराने ही पड़ेंगे. अन्यथा वह किसी काम के नहीं रहेंगे इसीलिए दो नंबर के सारे धंधे बंद हो जाएंगे. वैसे भी इंडिया में 120 करोड़ भारतीयों में से केवल 4 फीसदी लोग (तकरीबन 5.16 करोड़) इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं. आयकर (इनकम टैक्स) वह कर है जो सरकार लोगों की आय पर आय में से लेती है
इसका असर अर्थव्यवस्था में आने वाले उछालों पर भी दिखेगा. नौकरियों पर भी दिखेगा. अगर नहीं दिखा तो यह फ़ैसला सिर्फ इतिहास बनाने के लिए ही ऐतिहासिक कहलाता रह जाएगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.