होम लोन के रेट कम हो गए हैं. शहरों में बड़े-बड़े मकान नहीं रहे और अब फ्लैट्स उनकी जगह ले चुके हैं. प्रॉपर्टी के दाम उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रहे हैं. अब तो RERA (रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट) भी आ गया है. न्यूज पेपर, एफएम रेडियो, सड़क किनारे लगी होर्डिंग्स न जाने कितने ही डीलर लगभग हर रोज़ ये बताते हैं कि इस समय प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट बहुत अच्छा ऑप्शन हो सकता है, लेकिन क्या सही में ये है?
कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 8 बड़े शहरों में घरों की कीमत में काफी कम बढ़त हुई है. 8-9% के लोन पर हम घर खरीदते हैं, डाउन पेमेंट भी करते हैं, लेकिन प्रॉपर्टी के रेट 2-3% के हिसाब से ही बढ़ रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक कोलकता, दिल्ली (NCR) में असल में 2014 से प्रॉपर्टी के रेट कम हुए हैं और ये चिंताजनक बात है. हां, ये हर शहर की हालत नहीं है, लेकिन किसी भी शहर में आज से 10-20 साल पहले जैसे प्रॉपर्टी के रेट नहीं बढ़ रहे हैं.
क्यों पहले ये सही था?
80 या 90 के दशक में परिवारों के पास बड़े घर होते थे, लोग एक या एक से अधिक घर खरीद लेते थे या जमीन रख लेते थे क्योंकि सिर्फ निवेश का एक अच्छा जरिया इसे माना जाता था. प्रॉपर्टी की कीमत उस समय हर पांच साल में 10 गुना से अधिक बढ़ रही थी. पर इस समय रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट को सही रिटर्न पाने वाला ऑप्शन नहीं कहा जा सकता है.
क्यों निवेश के लिए प्रॉपर्टी सही नहीं है?
1. कम रिटर्न..
प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट एक अंडरपरफॉर्मिंग असेट है, यानि कि ऐसी संपत्ति जो ज्यादा रिटर्न न दे. साथ ही, 5 साल के समय में महंगाई को मात नहीं दे सकता. ये किसी एफडी के जितना ही रिटर्न देता है. साथ ही आय का बहुत अधिक हिस्सा लोन में चला जाता है....
होम लोन के रेट कम हो गए हैं. शहरों में बड़े-बड़े मकान नहीं रहे और अब फ्लैट्स उनकी जगह ले चुके हैं. प्रॉपर्टी के दाम उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रहे हैं. अब तो RERA (रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट) भी आ गया है. न्यूज पेपर, एफएम रेडियो, सड़क किनारे लगी होर्डिंग्स न जाने कितने ही डीलर लगभग हर रोज़ ये बताते हैं कि इस समय प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट बहुत अच्छा ऑप्शन हो सकता है, लेकिन क्या सही में ये है?
कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 8 बड़े शहरों में घरों की कीमत में काफी कम बढ़त हुई है. 8-9% के लोन पर हम घर खरीदते हैं, डाउन पेमेंट भी करते हैं, लेकिन प्रॉपर्टी के रेट 2-3% के हिसाब से ही बढ़ रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक कोलकता, दिल्ली (NCR) में असल में 2014 से प्रॉपर्टी के रेट कम हुए हैं और ये चिंताजनक बात है. हां, ये हर शहर की हालत नहीं है, लेकिन किसी भी शहर में आज से 10-20 साल पहले जैसे प्रॉपर्टी के रेट नहीं बढ़ रहे हैं.
क्यों पहले ये सही था?
80 या 90 के दशक में परिवारों के पास बड़े घर होते थे, लोग एक या एक से अधिक घर खरीद लेते थे या जमीन रख लेते थे क्योंकि सिर्फ निवेश का एक अच्छा जरिया इसे माना जाता था. प्रॉपर्टी की कीमत उस समय हर पांच साल में 10 गुना से अधिक बढ़ रही थी. पर इस समय रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट को सही रिटर्न पाने वाला ऑप्शन नहीं कहा जा सकता है.
क्यों निवेश के लिए प्रॉपर्टी सही नहीं है?
1. कम रिटर्न..
प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट एक अंडरपरफॉर्मिंग असेट है, यानि कि ऐसी संपत्ति जो ज्यादा रिटर्न न दे. साथ ही, 5 साल के समय में महंगाई को मात नहीं दे सकता. ये किसी एफडी के जितना ही रिटर्न देता है. साथ ही आय का बहुत अधिक हिस्सा लोन में चला जाता है. इस समय मार्केट जितना मंदा है उस हिसाब से रियल एस्टेट में निवेश सही नहीं.
2. कोई भरोसा नहीं..
प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट का कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है. खुद ही सोचिए अगर भोपाल के पास किसी गांव जैसे बैरागढ़ में किसी ने कोई जमीन खरीदी है और उसके पड़ोसी ने मेन शहर में खरीदी है तो यकीनन शहर वाले की जमीन महंगी होगी और बहुत कम होगी. अब अगर यहीं बैरागढ़ वाले की जमीन के पास एयरपोर्ट बनना तय हो जाए तो कीमत बैरागढ़ वाले की ज्यादा हो जाएगी. अचानक शहर वाले का निवेश कम हो गया. प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट के ऐसे कई सारे उदाहरण हैं और इसलिए प्रॉपर्टी में निवेश भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता. क्या भरोसा अगर फ्लैट सिस्टम में बिल्डर के साथ कुछ हो जाए और फ्लैट का काम ही बंद हो जाए. अब निवेशकों के पैसे तो फंस ही गए न.
3. कीमत की कोई गारंटी नहीं..
इसे खरीददारों का बाजार कहा जाए तो गलत नहीं होगा. खुद ही सोचिए आपको अचानक कैश की जरूरत है और घर बिकने का नाम ही नहीं ले रहा. इतना आसान नहीं होता घर, दुकान, फ्लैट खरीदना या बेचना.
4. कानूनी दांवपेंच..
जो लोग इसे निवेश के तौर पर देख रहे हैं उन्हें ये सोचना चाहिए कि इससे कम इन्वेस्टमेंट में बेहतर घर किराए पर मिल सकता है और साथ ही प्रॉपर्टी के कानूनी दांवपेंच से भी बच जाएंगे. खुद ही सोचिए न जाने कितने लोग हैं जो अपने घर, मकान, दुकान आदि के लिए केस लड़ रहे हैं. सालों साल केस लड़े जाते हैं. यही एक ऐसी संपत्ती होती है जिसे असल में अपना साबित करने के लिए कई लोग कोर्ट-कचहरी करते रहते हैं.
5. मेनटेनेंस..
बाकी असेट्स का छोड़ दीजिए अगर सिर्फ रियल एस्टेट की बात करें तो इसमें निवेश करने वालों को मेनटेनेंस की समस्या बहुत ज्यादा होती है. खुद सोचिए क्या मेनटेनेंस आदि के बाद भी प्रॉपर्टी इस मार्केट में उतना रिटर्न देगी जितना किसी और यूटिलिटी में निवेश से मिलेगा?
किसके लिए अभी घर खरीदना सही नहीं है..
वो लोग जो अभी किराए के मकान में रह रहे हैं और किराए के मकान में रहते हुए वो प्रॉपर्टी खरीद लेंगे और ये एक अच्छा निवेश होगा, तो ये गलत है. खास तौर पर उन लोगों के लिए जिनकी सैलरी काफी कम है और वो सिर्फ निवेश की तरह से घर को देख रहे हैं. ऐसे में लोन और EMI का झंझट वाकई थकाने वाला साबित होगा और अपने पैसे का न तो सही इस्तेमाल हो पाएगा और न ही सही तरह से रिटर्न मिल पाएगा. साथ ही, ये भी देखना चाहिए कि क्या होम लोन रेट भी उतना ही सस्ता हुआ है जितना घर खरीदना? SBI, ICICI बैंक्स ने अपने MCLR रेट 20 बेसिस प्वाइंट (.20%) तक बढ़ा दिए हैं. ऐसे में इंट्रेस्ट रेट भी बढ़ गया है. तो घर की कीमतें भले ही कम हों, लेकिन दो साल में पहली बार होम लोन महंगा हो गया है.
आने वाले समय में रियल एस्टेट मार्केट का समय बदलेगा और घर खरीदने का सही वक्त भी आ जाएगा, लेकिन अगर 2018 में निवेश की तरह से रियल एस्टेट को देखा जा रहा है तो इससे बेहतर किसी टर्म इंश्योरेंस या ऐसी स्कीम में निवेश करें जहां पैसा ज्यादा रिटर्न लेकर आए.
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