इस बात का तर्क नहीं है कि आप शराब पिएं लेकिन शराबियों कि कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो अगर हम अपना लें तो अपनी जिंदगी के मजे जरुर ले सकेंगे.
मैं यहां बात कर रही हूं उन सभी हरकतों की जो नशे में कोई इंसान करता तो है, लेकिन जिंदगी का बहुत बड़ा सबक भी उससे मिल सकता है. ये सब तब नहीं किया जा सकता जब इंसान होश में हो. तो क्या हैं वो बातें?
1- लुढ़कने पर शर्म नहीं..
नशे में लोग भले ही लड़खड़ाते कदमों और खुद पर संतुलन नहीं रख पाने की वजह से गिर जाते हों. लेकिन गिरकर भी उठना और उसमें शर्म ना महसूस करना ये नशे में धुत्त लोगों की ही खासियत होती है. क्या आप भी कभी होश में बिना झेंपे ऐसा कर सकते हैं? अब भई, इंसान है गिर गए तो उठकर खड़े हो जाइए शर्माने की क्या बात है इसमें.
2- दुनिया गई भाड़ में हम तो नाचेंगे
नाचना कई बीमारियों का इलाज है. हमें नाचना चाहिए और खुलकर नाचना चाहिए. बिना ये सोचे की कोई देखेगा तो क्या कहेगा. बगैर ये चिंता किए बगैर कि नाचते हुए मैं कैसा लग रहा हूं या लग रही हूं. नशे में लोग कुछ भी करते हैं पर खुद के साथ रहते हैं. नाग-नागिन से लेकर भांगड़ा-गिद्दा कोई डांस स्टेप ऐसा नहीं होता जो इनसे छूट जाए. नाचना आता हो या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता. बस उन्हें नाचना होता है और वो नाचते हैं. झूमकर, मदमस्त होकर. बिना दुनिया की परवाह किए.
होश में होने पर हम यही सोचते रहते हैं कि लोग देख रहे हैं. मुझे अच्छा डांस नहीं आता. अरे ऐसे कैसे बीच सड़क पर नाचेंगे. और ना जाने क्या-क्या. पर खुद की खुशी के लिए नाच नहीं सकते.
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इस बात का तर्क नहीं है कि आप शराब पिएं लेकिन शराबियों कि कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो अगर हम अपना लें तो अपनी जिंदगी के मजे जरुर ले सकेंगे.
मैं यहां बात कर रही हूं उन सभी हरकतों की जो नशे में कोई इंसान करता तो है, लेकिन जिंदगी का बहुत बड़ा सबक भी उससे मिल सकता है. ये सब तब नहीं किया जा सकता जब इंसान होश में हो. तो क्या हैं वो बातें?
1- लुढ़कने पर शर्म नहीं..
नशे में लोग भले ही लड़खड़ाते कदमों और खुद पर संतुलन नहीं रख पाने की वजह से गिर जाते हों. लेकिन गिरकर भी उठना और उसमें शर्म ना महसूस करना ये नशे में धुत्त लोगों की ही खासियत होती है. क्या आप भी कभी होश में बिना झेंपे ऐसा कर सकते हैं? अब भई, इंसान है गिर गए तो उठकर खड़े हो जाइए शर्माने की क्या बात है इसमें.
2- दुनिया गई भाड़ में हम तो नाचेंगे
नाचना कई बीमारियों का इलाज है. हमें नाचना चाहिए और खुलकर नाचना चाहिए. बिना ये सोचे की कोई देखेगा तो क्या कहेगा. बगैर ये चिंता किए बगैर कि नाचते हुए मैं कैसा लग रहा हूं या लग रही हूं. नशे में लोग कुछ भी करते हैं पर खुद के साथ रहते हैं. नाग-नागिन से लेकर भांगड़ा-गिद्दा कोई डांस स्टेप ऐसा नहीं होता जो इनसे छूट जाए. नाचना आता हो या नहीं इससे फर्क नहीं पड़ता. बस उन्हें नाचना होता है और वो नाचते हैं. झूमकर, मदमस्त होकर. बिना दुनिया की परवाह किए.
होश में होने पर हम यही सोचते रहते हैं कि लोग देख रहे हैं. मुझे अच्छा डांस नहीं आता. अरे ऐसे कैसे बीच सड़क पर नाचेंगे. और ना जाने क्या-क्या. पर खुद की खुशी के लिए नाच नहीं सकते.
3- निकालते हैं मन की भड़ास
शराब पीने के बाद जितने फोन कॉल और बातें होती हैं शायद ही होश में रहने पर कोई उतना करता होगा. दारू चढ़ी नहीं कि हमें हमारे भूले-बिसरे दोस्त-यार सब याद आने लगते हैं. यही नहीं अपने एक्स को कॉल करके उससे अपने गुस्से का इजहार करना तो नॉर्मल बात है. किसी से प्यार करते हों तो कॉल करके प्यार का इजहार कर दिया. पट गई तो बल्ले-बल्ले नहीं पटी तो- 'यार नशे में था गलती हो गई. हम तो दोस्त हैं और रहेंगे.'
होश में इंसान सोचता ही रहता है कि उसे कैसे ना बोलें. कैसे सामने वाले को बताएं कि वो कमीना है या मुझे उससे प्यार है आदि आदि. होश में लोग सोचते ही रहते हैं और नशे में दिल की भड़ास निकालने में देर नहीं लगती.
4- सीधा रास्ता तो पागलों के लिए है
नशे में इंसान कुछ भी करता है. हर बात और काम करने के उसके अपने कायदे होते हैं. वो हर काम अपने हिसाब से करते हैं और अपनी ही शर्तों पर करते हैं. अगर मन नहीं है तो सीढ़ियां भी एक-एक कर नहीं लुढ़क कर उतरेंगे. वो चाहें तो एयरोप्लेन में भी बैलगाड़ी का चक्का लगा दें. खैर कहने का मतलब ये है कि हर वक्त किताबी ज्ञान से चलने की जरुरत नहीं होती. कभी-कभी नियमों के खिलाफ जाकर भी कोई काम करना चाहिए. जो कि होश वाले कभी नहीं करते.
5- पानी में भी आग लगा दें
शराबियों को अगर दारू चाहिए तो चाहिए. उसके बाद दारू पाने के लिए वो जमीन आसमान एक कर देते हैं. चाहे तो ब्लैक में लेंगे या फिर 100 किलोमीटर सफर करके भी दारू खरीद लाएंगे.
उनसे ये जज्बा सीखने की जरुरत है. अगर कुछ चाहिए तो बस चाहिए. उसके लिए कोई बहाना नहीं कोई रियायत नहीं.
6- मूड बदलने में इतना कम टाइम लगाएं कि बुलेट ट्रेन भी शरमा जाए
शराबियों को ना को रोते देर लगती है ना ही हंसते. उनके रोने और हंसने के बीच में सिर्फ सेकेण्ड का फासला होता है. वो पल में रो देते हैं और अगले ही पल खिलखिला रहे होते हैं. किसी भी बात को लेकर बैठते नहीं हैं.
होश वालों को तो हंसने के भी पैसे लगते हैं शायद. वो हंसते भी हैं तो ये देख और सोच कर कि आस-पास के लोग क्या कहेंगे. अरे यार जिंदगी में हंसने के लिए ही आए हो. खुलकर हंसो और जिंदगी का मजा लो. दुनिया का क्या है वो तो हर चीज और हर बात सोचती ही रहती है.
7- कुत्ता भी जिगरी बन जाता है
शराबियों के लिए कोई अंजाना नहीं होता. अजनबी से 'तू मेरा भाई है' होने में इन्हें समय नहीं लगाता. ना ही इन्हें इस बात से कोई फर्क पड़ता है कि सामने वाला कौन है, कैसा है.
8- सोने के लिए नींद का भी इंतजार नहीं करते
एक बार ये टल्ली हो गए तो फिर बस आंखें बंद होने का इंतजार कीजिए. ये कहीं भी सो सकते हैं. सड़क हो या फिर बाथरुम. बेहोश, बेसुध.
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