बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दो,चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जाएंगे.
निदा फ़ाज़ली ने अपनी इन पंक्तियों से बच्चों के खोते बचपन को बखूबी जाहिर किया है. हमारे जीवन में कलाओं का अस्तित्व केवल रचनात्मकता को आत्मसात करने लिए नहीं बल्कि अपने भीतर की संवेगों को भी अभिव्यक्त करने के लिये होता है. हम बड़े तो अपने अंदर चल रही उथल-पुथल या नजरिए को जताना जानते हैं लेकिन बच्चे? वे तो उम्र के उस दौर में होते हैं जहां उनकी कल्पनाएं दुनिया के सच से बहुत अलग होती हैं.
ऐसे में बच्चे अपनी कल्पनाओं को मन में दबाकर भौतिकवाद को अपनाना सीखने लगते हैं. कई बार वे कल्पनाओं और वास्तविकताओं के बीच फंस जाते हैं. मानसिक तौर पर शिथिल होने लगते हैं. ऐसे में ज़रूरी है उनके मन को समझना. उसके लिए उनके विकसित होने की प्रक्रिया में उनकी कल्पनाओं और रचनात्मकताओं को शामिल किया जाना बहुत ज़रूरी है. यह केवल कलाओं के प्रति उनके रूझान को जानकर ही मुमकिन है.
19 नवंबर को कनेक्टेड और यॉर ओपन माइक की ओर से नोएडा स्थित शीरोज हैंगआउट कैफे में एक बाल मंच सजाया गया. इसमें बच्चों ने न केवल अपने हुनर का जादू जगाया बल्कि अपने दिल की भड़ास भी निकाली. पढ़ाई के बोझ में दबे और फोन-टीवी के चंगुल में फंसे बच्चों के लिए ये मंच एक अनोखा अनुभव था.
अबीर और कबीर ने गिटार और की बोर्ड पर संगीत की प्रस्तुति दी, तो नन्हें चैतन्य ने देशभक्ति से भरी कविता सुनाकर सबका दिल जीत लिया. अदम्य सिंह ने खिलाड़ियों के प्रति प्यार जताया तो नन्ही मिश्री ने प्रकृति के प्रति अपना आभार जताया. सादगी और अस्मि ने अपनी सुन्दर कविताओं के मोती बिखेरे.
मिलान, नक्षत्रा, लक्षित, चिन्मयी, इवान, समायरा, आद्या और बहुत से नन्हें बच्चों ने अपनी सुन्दर भाषा के रंग घोले. इस मंच पर वे बच्चे भी...
बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दो,चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जाएंगे.
निदा फ़ाज़ली ने अपनी इन पंक्तियों से बच्चों के खोते बचपन को बखूबी जाहिर किया है. हमारे जीवन में कलाओं का अस्तित्व केवल रचनात्मकता को आत्मसात करने लिए नहीं बल्कि अपने भीतर की संवेगों को भी अभिव्यक्त करने के लिये होता है. हम बड़े तो अपने अंदर चल रही उथल-पुथल या नजरिए को जताना जानते हैं लेकिन बच्चे? वे तो उम्र के उस दौर में होते हैं जहां उनकी कल्पनाएं दुनिया के सच से बहुत अलग होती हैं.
ऐसे में बच्चे अपनी कल्पनाओं को मन में दबाकर भौतिकवाद को अपनाना सीखने लगते हैं. कई बार वे कल्पनाओं और वास्तविकताओं के बीच फंस जाते हैं. मानसिक तौर पर शिथिल होने लगते हैं. ऐसे में ज़रूरी है उनके मन को समझना. उसके लिए उनके विकसित होने की प्रक्रिया में उनकी कल्पनाओं और रचनात्मकताओं को शामिल किया जाना बहुत ज़रूरी है. यह केवल कलाओं के प्रति उनके रूझान को जानकर ही मुमकिन है.
19 नवंबर को कनेक्टेड और यॉर ओपन माइक की ओर से नोएडा स्थित शीरोज हैंगआउट कैफे में एक बाल मंच सजाया गया. इसमें बच्चों ने न केवल अपने हुनर का जादू जगाया बल्कि अपने दिल की भड़ास भी निकाली. पढ़ाई के बोझ में दबे और फोन-टीवी के चंगुल में फंसे बच्चों के लिए ये मंच एक अनोखा अनुभव था.
अबीर और कबीर ने गिटार और की बोर्ड पर संगीत की प्रस्तुति दी, तो नन्हें चैतन्य ने देशभक्ति से भरी कविता सुनाकर सबका दिल जीत लिया. अदम्य सिंह ने खिलाड़ियों के प्रति प्यार जताया तो नन्ही मिश्री ने प्रकृति के प्रति अपना आभार जताया. सादगी और अस्मि ने अपनी सुन्दर कविताओं के मोती बिखेरे.
मिलान, नक्षत्रा, लक्षित, चिन्मयी, इवान, समायरा, आद्या और बहुत से नन्हें बच्चों ने अपनी सुन्दर भाषा के रंग घोले. इस मंच पर वे बच्चे भी आगे आए जिन्हें अपनी बात कहने का मौका नहीं मिलता. इवेंट की खास मेहमान शीतल अग्रवाल ने अपनी दिलचस्प एक्टिविटी के माध्यम से दुनियादारी में डूब चुके बड़ों को भी बच्चा बनने पर मजबूर कर दिया.
इस कार्यक्रम को एशिया शिपिंग इंडस्ट्रीज के कंट्री हेड पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का भरपूर सहयोग मिला. विशेष अतिथि के रूप में उन्होंने इस कार्यक्रम में अपने बचपन के कई प्यारे अनुभव साझा किए. वहीं कंफेडरेशन ऑफ एनजीओ के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉक्टर अंकुर शरण और उनकी बिटिया कुहू ने भी अपनी प्रतिभा और जुगलबंदी से सभी को हैरान कर दिया. डॉक्टर अंकुर शरण और पुष्पेंद्र जी ने उम्मीद जताई कि आगे भी ऐसे सार्थक इवेंट में वे कनेक्टेड का साथ देंगे. डेंटिस्ट और कवि पल्लवी महाजन ने कुछ बेहद दिल को छू लेने वाली कविताएं कहीं. चोको हाउस की स्मृति अपने साथ बच्चों के लिए स्वाद का समन्दर और बच्चों की पसंदीदा चॉकलेट लाई थीं.
सबसे जादुई था घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही निव्या जैसी लड़की का सामने आना. उसके जैसी लड़कियों को अपनी बात कहने के लिए मंच नहीं मिलता. ऐसी कई अनसुनी कहानियों को सुनने का मंच बन गया कनेक्टेड का ओपन माइक. इसमें हमारी सदा एनजीओ और ओपन माइक के दिनेश और सौरभ ने कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया. बच्चों को हिन्दी से जोड़ने के लिए एकतारा प्रकाशन की सुंदर किताबें भी यहां मौजूद थीं.
कुल मिलाकर क्या बच्चे क्या बड़े अभिव्यक्ति के इस सुंदर संसार में सभी को अपनी बात रखने का मौका मिला. कनेक्टेड एक ऐसा मंच है जो मानसिक सेहत को लेकर पिछले तीन सालों से सक्रिय है. इसकी नींव 2019 में ऋतु भारद्वाज और रजनी सेन ने रखी थी.
आर्ट हीलर गौरा अग्रवाल ने बच्चों और बड़ों सभी के लिए रंगों से भरी दिलचस्प गतिविधि करवाई. ख़ास बात यह थी कि बच्चों के लिए हुए इस ओपन माइक में बड़े भी अपने अंदर के बच्चे को रोक नहीं सके और अपने दिल की बात कही. पंकज रामेंदु और शालिनी ने भी बच्चा बन कर कविता पाठ में हिस्सा लिया. विजया श्रीवास्तव और उनकी टीम के बच्चों ने भी अपनी कला के रंगों से इस इवेंट में चार चांद लगाए.
इस कार्यक्रम को एशिया शिपिंग इंडस्ट्रीज के कंट्री हेड पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का भरपूर सहयोग मिला. विशेष अतिथि के रूप में उन्होंने इस कार्यक्रम में अपने बचपन के कई प्यारे अनुभव साझा किए. वहीं कंफेडरेशन ऑफ एनजीओ के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉक्टर अंकुर शरण और उनकी बिटिया कुहू ने भी अपनी प्रतिभा और जुगलबंदी से सभी को हैरान कर दिया. डॉक्टर अंकुर शरण और पुष्पेंद्र जी ने उम्मीद जताई कि आगे भी ऐसे सार्थक इवेंट में वे कनेक्टेड का साथ देंगे. डेंटिस्ट और कवि पल्लवी महाजन ने कुछ बेहद दिल को छू लेने वाली कविताएं कहीं. चोको हाउस की स्मृति अपने साथ बच्चों के लिए स्वाद का समन्दर और बच्चों की पसंदीदा चॉकलेट लाई थीं.
सबसे जादुई था घरेलू सहायिका के रूप में काम कर रही निव्या जैसी लड़की का सामने आना. उसके जैसी लड़कियों को अपनी बात कहने के लिए मंच नहीं मिलता. ऐसी कई अनसुनी कहानियों को सुनने का मंच बन गया कनेक्टेड का ओपन माइक. इसमें हमारी सदा एनजीओ और ओपन माइक के दिनेश और सौरभ ने कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया. बच्चों को हिन्दी से जोड़ने के लिए एकतारा प्रकाशन की सुंदर किताबें भी यहां मौजूद थीं. कुल मिलाकर क्या बच्चे क्या बड़े अभिव्यक्ति के इस सुंदर संसार में सभी को अपनी बात रखने का मौका मिला. कनेक्टेड एक ऐसा मंच है जो मानसिक सेहत को लेकर पिछले तीन सालों से सक्रिय है. इसकी नींव 2019 में ऋतु भारद्वाज और रजनी सेन ने रखी थी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.