एक लड़की की धूमधाम से शादी होती है. विवाह से पहले उसे बताया जाता है कि तुम शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हो. तुम जिस क्षेत्र में चाहे अपना करियर बना सकती हो. इसी शर्त पर वह शादी के लिए तैयार होती है और दुल्हन बन जाती है.
कुछ दिनों बाद उसकी बारात आती है और शादी करके वह पति के साथ ससुराल आ जाती है. दो-चार दिन बाद ही उसे समझ में आ जाता है कि उसे अब पढ़ने की इजाजत नहीं मिलेगी. वह कोशिश करती है लेकिन असफल हो जाती है. नौकरी करना तो दूर उसे पढ़ने के लिए भी मना कर दिया जाता है.
उसे समझ नहीं आता है कि वह क्या करे और वह ससुराल वाला घर छोड़कर भाग जाती है. वह अपनी इस योजना के बारे में किसी को नहीं बताती है. उधर बेटी के गायब होने की जानकारी जब मायके वालों को लगती है तो किसी अनहोनी के डर में वे पुलिस थाने में ससुराल वालों के खिलाफ हत्या व शव गायब करने का केस दर्ज करा देते हैं.
वैसे भागना तो इस लड़की के लिए भी आसान नहीं होगा. भागने से पहले कितना कुछ सोचा होगा? पिता की इज्जत, मां की हिदायतें...पति से बात की होगी, सास को समझाने की कोशिश की होगी. शायद यह भी सोचा होगा मायके वालों से लड़ लूं कि क्यों करा दी ऐसे घर में मेरी शादी? उसे भी दुनिया का डर लगा होगा लेकिन फिर भी वह भागी अपने सपनों के लिए. कम से कम जो लड़कियां ससुराल में प्रताड़ना सहते हुए अपनी जान दे देती हैं, उससे तो अच्छा भाग जाना ही है.
यह मामला बिहार के सारण जिले का है. जहां नेहा की शादी इसुआपुर गांव के रहने वाले त्रिलोकी कुमार से हुई थी. हालांकि नेहा शादी के मजह 6 दिन बाद ही गायब हो गई. गांव वाले कह रहे थे कि वह पढ़ना चाहती थी इसलिए भाग गई...
एक लड़की की धूमधाम से शादी होती है. विवाह से पहले उसे बताया जाता है कि तुम शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हो. तुम जिस क्षेत्र में चाहे अपना करियर बना सकती हो. इसी शर्त पर वह शादी के लिए तैयार होती है और दुल्हन बन जाती है.
कुछ दिनों बाद उसकी बारात आती है और शादी करके वह पति के साथ ससुराल आ जाती है. दो-चार दिन बाद ही उसे समझ में आ जाता है कि उसे अब पढ़ने की इजाजत नहीं मिलेगी. वह कोशिश करती है लेकिन असफल हो जाती है. नौकरी करना तो दूर उसे पढ़ने के लिए भी मना कर दिया जाता है.
उसे समझ नहीं आता है कि वह क्या करे और वह ससुराल वाला घर छोड़कर भाग जाती है. वह अपनी इस योजना के बारे में किसी को नहीं बताती है. उधर बेटी के गायब होने की जानकारी जब मायके वालों को लगती है तो किसी अनहोनी के डर में वे पुलिस थाने में ससुराल वालों के खिलाफ हत्या व शव गायब करने का केस दर्ज करा देते हैं.
वैसे भागना तो इस लड़की के लिए भी आसान नहीं होगा. भागने से पहले कितना कुछ सोचा होगा? पिता की इज्जत, मां की हिदायतें...पति से बात की होगी, सास को समझाने की कोशिश की होगी. शायद यह भी सोचा होगा मायके वालों से लड़ लूं कि क्यों करा दी ऐसे घर में मेरी शादी? उसे भी दुनिया का डर लगा होगा लेकिन फिर भी वह भागी अपने सपनों के लिए. कम से कम जो लड़कियां ससुराल में प्रताड़ना सहते हुए अपनी जान दे देती हैं, उससे तो अच्छा भाग जाना ही है.
यह मामला बिहार के सारण जिले का है. जहां नेहा की शादी इसुआपुर गांव के रहने वाले त्रिलोकी कुमार से हुई थी. हालांकि नेहा शादी के मजह 6 दिन बाद ही गायब हो गई. गांव वाले कह रहे थे कि वह पढ़ना चाहती थी इसलिए भाग गई जबकि मायके वालों का कहना था कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है. इतने में मायके वालों ने किसी अज्ञात शव को नेहा के रूप में शिनाख्त कर ली.
इसके बाद ससुराल के लोग लगे थाने का चक्कर लगाने. लोगों ने भी समझ लिया था कि नेहा मर चुकी है लेकिन एक दिन उसके मोबाइल के लोकेशन से पता चला कि वह दिल्ली में है. इसके कुछ दिनों बाद ही नेहा ने पोस्ट ऑफिस के जरिए एक चिट्ठी भेजी.
नेहा ने चिट्ठी में लिखा था कि ‘उसकी शादी यह कह कर कराई गई थी कि वह ससुराल में जाकर आगे की पढ़ाई पूरी कर सकती है. उसे करियर बनाने का मौका दिया जाएगा लेकिन शादी के बाद ससुराल वाले पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुए. ऐसे में उसे कुछ समझ नहीं आया और यह कदम उठाना पड़ा. वह जहां भी है, सुरक्षित है.’
भारत की राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में पुरुषों की साक्षरता दर जहां 79.7 फीसदी है जबकि महिलाओं की साक्षरता दर महज 60 फीसदी ही है. वहीं गावों में 58.7 फीसदी महिलाएं शिक्षित हैं. मतलब 40 फीसदी से ज्यादा अशिक्षित. इन आंकड़ों में यदि ये जोड़ लिया जाए कि पढ़ लेने के बाद भी अपने पैरों पर खड़े होने के सपने कितनी लड़कियों के पूरे हो पाते हैं, तो भयावत स्थिति पाएंगे.
बहू-बेटी का यूं घर से चले जाना लोगों को इज्जत का सवाल लगता है. लेकिन, उसी बहू-बेटी की पढ़ाई और भविष्य बनाने की बात उन्हें इज्जत का सवाल नहीं लगती. जो कि लड़कियों के लिए आत्म सम्मान की बात है. जिन्हें नेहा के घर से भाग जाने पर नेहा दोषी लग रही है, वे सिर्फ अपनी नाक की परवाह करने वाले स्वार्थी हैं. नेहा का यूं घर से चले जाना समाज के लिए बड़ा सवाल है. नई बहू के साथ उसके सपनों का भी गृह-प्रवेश कराइये. अंतिम संस्कार नहीं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.