जस्टिस दीपक मिश्रा ने सोमवार को देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाल लिया है और अगले वर्ष 2 अक्टूबर तक इस पद पर बने रहेंगे. इससे पहले हमने देखा कि कैसे उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे. ऐस. खेहर ने अपने छोटे से कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए. उनके लिए आखिरी के कुछ दिन तो काफी व्यस्ततम रहे, जिस दौरान तीन तलाक और निजता का अधिकार जैसे दो महत्वपूर्ण फैसले सुनाए गए.
सोमवार से शुरू हो रहे कार्यकाल के पहले दिन ही सुनवाई में जस्टिस मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ में जस्टिस ऐ. एम. खानविलकर और डी. वाई. चंद्रचूड़ पीठ का हिस्सा होंगे. आपको बता दें की इन मामलों में से एक सिमी पर प्रतिबन्ध से जुड़ा मामला भी है.
बात करें जस्टिस मिश्रा के सामने आने वाले कुछ अहम् मामलों की तो उनमें अयोध्या भूमि विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई, जिसके लिए हाल ही में जस्टिस मिश्रा को तीन न्यायाधीशों की पीठ का अध्यक्ष बनाया गया था. कुछ अन्य मामलों में कावेरी विवाद और केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से जुड़ा अधिकार का मामला शामिल है.
यही नहीं उनके लिए एक बड़ा सिरदर्द न्यायिक भर्तियां भी हैं, साथ ही न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का विवादास्पद मामला भी उन्हें जस्टिस केहर से विरासत में मिल रहा है. लेकिन उनके अब तक के ट्रैक रिकॉर्ड को देखकर यही लगता है कि वो इस मुश्किल दौर से आसानी से पार पा लेंगे. उनके कुछ अहम् फैसलों पर नजर डालें तो उनमें याकूब मेनन की फांसी रोकने वाली अपील को निरस्त करने का फैसला और निर्भया रेप के आरोपी की फांसी की सजा को बरकरार रखने का फैसला शामिल है.