देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध रोजाना बढ़ रहे हैं. अखबारों/ टीवी की सुर्खियों में रेप और छेड़छाड़ की खबरें छाई रहती हैं. इसे देखते हुए सरकार भी कड़े कानून बनाने और अपराधियों को कड़ी सजा देने की बात करती रहती है. लेकिन नतीजा हम सबके सामने है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की बागडोर संभालते ही एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने की बात कर दी. इसका मुख्य मकसद राज्य में महिलाओं की सुरक्षा प्रदान करना और छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी लाना है. लेकिन इससे महिलाओं को कितनी सुरक्षा मिली है ये तो बहस का विषय है ही, साथ ही पुलिस की असंवेदनशीलता भी हमेशा से ही विवादों में रही है.
ताजा घटना यूपी के रामपुर की है. रामपुर के गंज थाना में 37 साल की एक महिला का दो लोगों ने रेप किया. दोनों आरोपियों के खुला घूमने के कारण महिला को जान का खतरा है. इसी कारण वो पुलिस से सुरक्षा की मांग करने गई थी. थाने के सब-इंस्पेक्टर ने आरोपियों के खिलाफ कोई कारर्वाही करने के पहले सेक्स की मांग की. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार सब-इंस्पेक्टर जय प्रकाश सिंह ने महिला द्वारा उसकी मांग को नहीं मानने के कारण रेप के मामले को भी बंद कर दिया.
हालांकि महिला ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा थाने गई. जब अधिकारी ने फिर से मांग रखी तो उसने सारी बात रिकॉर्ड कर ली और एसपी के सामने अब पूरे मामले को रखा गया है. एसपी ने जांच के आदेश दिए हैं.
जिस राज्य में महिला सुरक्षा के नाम पर पुलिस से लेकर आम इंसान तक एंटी रोमियो स्कवॉड का गठन करके संस्कृति की ठेकेदारी का जिम्मा लेता हो वहां एक सब-इंस्पेक्टर द्वारा इतनी 'छोटी' सी मांग पर औरत का हो-हल्ला मचाना बेतुका काम है. आखिर पुलिस की तनख्वाह ही कितनी होती है उसपर अगर थानेदार साहब ने अपनी खुशी के...
देश में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध रोजाना बढ़ रहे हैं. अखबारों/ टीवी की सुर्खियों में रेप और छेड़छाड़ की खबरें छाई रहती हैं. इसे देखते हुए सरकार भी कड़े कानून बनाने और अपराधियों को कड़ी सजा देने की बात करती रहती है. लेकिन नतीजा हम सबके सामने है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की बागडोर संभालते ही एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने की बात कर दी. इसका मुख्य मकसद राज्य में महिलाओं की सुरक्षा प्रदान करना और छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी लाना है. लेकिन इससे महिलाओं को कितनी सुरक्षा मिली है ये तो बहस का विषय है ही, साथ ही पुलिस की असंवेदनशीलता भी हमेशा से ही विवादों में रही है.
ताजा घटना यूपी के रामपुर की है. रामपुर के गंज थाना में 37 साल की एक महिला का दो लोगों ने रेप किया. दोनों आरोपियों के खुला घूमने के कारण महिला को जान का खतरा है. इसी कारण वो पुलिस से सुरक्षा की मांग करने गई थी. थाने के सब-इंस्पेक्टर ने आरोपियों के खिलाफ कोई कारर्वाही करने के पहले सेक्स की मांग की. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार सब-इंस्पेक्टर जय प्रकाश सिंह ने महिला द्वारा उसकी मांग को नहीं मानने के कारण रेप के मामले को भी बंद कर दिया.
हालांकि महिला ने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा थाने गई. जब अधिकारी ने फिर से मांग रखी तो उसने सारी बात रिकॉर्ड कर ली और एसपी के सामने अब पूरे मामले को रखा गया है. एसपी ने जांच के आदेश दिए हैं.
जिस राज्य में महिला सुरक्षा के नाम पर पुलिस से लेकर आम इंसान तक एंटी रोमियो स्कवॉड का गठन करके संस्कृति की ठेकेदारी का जिम्मा लेता हो वहां एक सब-इंस्पेक्टर द्वारा इतनी 'छोटी' सी मांग पर औरत का हो-हल्ला मचाना बेतुका काम है. आखिर पुलिस की तनख्वाह ही कितनी होती है उसपर अगर थानेदार साहब ने अपनी खुशी के नाम पर कुछ मांग लिया तो बवाल क्यों? खुश होना हर किसी का हक है. थानेदार साहब का भी.
यूपी में लड़कियों ने अपना ही एक स्कवॉड बना लिया है. 2010 से लखनऊ में शुरू हुए 'रेड ब्रिगेड' नाम का एक ग्रुप बनाया. ये ग्रुप महिलाओं को रेपिस्टों और छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ लड़ने और खड़े होने के लिए तैयार करती है. इनका रेपिस्टों और मनचलों के लिए सिर्फ एक ही मैसेज है- लड़कियों से दूर रहो. खास बात ये है कि इस ग्रुप की संस्थापक ऊषा विश्वकर्मा के साथ भी दुष्कर्म की कोशिश हुई थी. लेकिन ऊषा ने हार मानने के बजाए लड़ने के लिए खड़ी हो गईं. ये ग्रुप नुक्कड़-नाटक के द्वारा लोगों को जागरूक करने का काम करती है. साथ ही महिलाओं को सेल्फ-डिफेंस की क्लास भी देती है.
अब योगी सरकार को चाहिए की एंटी रोमियो स्कवॉड के बदले इस तरह के ग्रुप को बढ़ावा दे. महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में कमी लाने और पुलिस को थोड़ा संवेदनशील बनाने के लिए इस तरह के कदम ही जरुरी हैं.
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