16 दिसंबर 2012 की वो काली रात... जब एक लड़की पर हुए अत्याचार से देश हिल गया था. निर्भया रेप केस . पूरे देश में बहस छिड़ गई. कैंडिल मार्च निकाले गए, निर्भया के साथ सहानुभूति थी लोगों की, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो ये तर्क दे रहे थे कि उस लड़की को रात में नहीं निकलना चाहिए था. आखिर क्या जरूरत थी इतनी रात को बाहर जाने की. पीड़िता का दुख जानते हुए जो लोग ऐसे कुतर्क देते हैं क्या उन्हें इसका जरा भी अंदाजा होता है कि जिसके साथ ऐसी घटना हुई है वो भी इंसान ही है. इन्ही सब कुतर्कों के बीच एक तर्क ऐसा भी होता है कि लड़की ने तो रेप को एन्जॉय किया. निर्भया की मां बेसब्री से इंतजार कर रही है कि उनकी बेटी को न्याय मिले.
'रेप' ये वो शब्द है जिसका अर्थ अपने आप में विभत्स है. इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती कि जिसके साथ ये होता है उसे कितना दुख होता है. शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना झेलने के बाद टूटे भरोसे और छलनी हुए मन को सहेजने की कोशिश करने वाली उन लड़कियों के मन पर क्या बीतती होगी जब ये कहा जाता है कि वो रेप को एन्जॉय कर रही थीं. क्या किसी ने सोचने की कोशिश की है कि इस तरह का घिनौना इल्ज़ाम किसी पीड़िता के मन पर कैसी चोट करता होगा?
एक ट्विटर यूजर ने 11 ट्वीट्स के जरिए इस घिनौने इल्जाम पर रौशनी डाली है. @_clvrarose नाम की ट्विटर यूजर ने ये ट्वीट कुछ समय पहले की थीं, लेकिन अब वो वायरल हो गई हैं :