बुधवार को एयरफोर्स ने अपने लड़ाकू विमान मिराज 2000 को उत्तरप्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा. इस लैंडिंग के जरिए वायुसेना अपने जेट विमानों का परीक्षण करना चाहती है कि इमरजेंसी के समय वे सिविलियन रोड पर उतर सकते हैं या नहीं. क्यों जरूरी है ये एक्सरसाइज, आइए समझते हैं-
1. युद्ध के समय दुश्मन की मिसाइलों का पहला निशाना हवाई पट्टियां ही होती हैं. ऐसे में रनवे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सड़कें ही विकल्प हो सकती हैं.
2. देश में गिनती के ही ऐसे एक्सप्रेस-वे (रोड) हैं, जहां फाइटर जेट उतर सकते हैं. लेकिन, वहां भी ट्रैफिक, पैदल चलने वाले या आवारा पशु तो चुनौती हैं ही.
3. ऐसे में सड़कों पर से ऐसी लैंडिंग के दौरान ट्रैफिक हटाना भी समस्या है. बुधवार की एक्सरसाइज के दौरान वायुसेना ने स्थानीय प्रशासन से तालमेल बैठाया. मथुरा डीएम और एसपी की मदद से एक्सप्रेस-वे को लैंडिंग के लिए तैयार बनाया गया. ऐसा को-ऑर्डिनेशन इमरजेंसी के दौरान बेहद अहम हो जाता है.
4. भारत में लैंडिंग कॉमन नहीं है, लेकिन विदेशों में ऐसे परीक्षण होते रहते हैं. उदाहरण के लिए शीत युद्ध के दौरान ताकतवर रूस से तनाव के चलते स्वीडन ने ऐसी तैयारी की थी कि वे मिनटों में अपनी एयरफील्ड खाली कर दें.
5. स्वीडन ने अपने लड़ाकू विमानों विगेन और ग्रिपेन को जंगलों में मौजूद सड़कों पर उतरने के काबिल ही बनाया था. उनका रंग-रोगन भी इस तरह किया गया था कि जंगल के बीच उन्हें पहचाना ही न जा सके.
6. ग्रिपेन की तो खूबी ही यही थी कि वह छोटी सड़कों पर आसानी से उतर सकता था और तुरंत फ्यूल और हथियार लेकर दस मिनट में उड़ान भर सकता था.
7. ताइवान भी चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपनी मिराज 2000 विमानों को सड़क पर उतारने की प्रैक्टिस करता रहा है.
8. कई देशों ने अपने विमानों को दुश्मन के हमले से बचाने के लिए...
बुधवार को एयरफोर्स ने अपने लड़ाकू विमान मिराज 2000 को उत्तरप्रदेश के यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा. इस लैंडिंग के जरिए वायुसेना अपने जेट विमानों का परीक्षण करना चाहती है कि इमरजेंसी के समय वे सिविलियन रोड पर उतर सकते हैं या नहीं. क्यों जरूरी है ये एक्सरसाइज, आइए समझते हैं-
1. युद्ध के समय दुश्मन की मिसाइलों का पहला निशाना हवाई पट्टियां ही होती हैं. ऐसे में रनवे के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सड़कें ही विकल्प हो सकती हैं.
2. देश में गिनती के ही ऐसे एक्सप्रेस-वे (रोड) हैं, जहां फाइटर जेट उतर सकते हैं. लेकिन, वहां भी ट्रैफिक, पैदल चलने वाले या आवारा पशु तो चुनौती हैं ही.
3. ऐसे में सड़कों पर से ऐसी लैंडिंग के दौरान ट्रैफिक हटाना भी समस्या है. बुधवार की एक्सरसाइज के दौरान वायुसेना ने स्थानीय प्रशासन से तालमेल बैठाया. मथुरा डीएम और एसपी की मदद से एक्सप्रेस-वे को लैंडिंग के लिए तैयार बनाया गया. ऐसा को-ऑर्डिनेशन इमरजेंसी के दौरान बेहद अहम हो जाता है.
4. भारत में लैंडिंग कॉमन नहीं है, लेकिन विदेशों में ऐसे परीक्षण होते रहते हैं. उदाहरण के लिए शीत युद्ध के दौरान ताकतवर रूस से तनाव के चलते स्वीडन ने ऐसी तैयारी की थी कि वे मिनटों में अपनी एयरफील्ड खाली कर दें.
5. स्वीडन ने अपने लड़ाकू विमानों विगेन और ग्रिपेन को जंगलों में मौजूद सड़कों पर उतरने के काबिल ही बनाया था. उनका रंग-रोगन भी इस तरह किया गया था कि जंगल के बीच उन्हें पहचाना ही न जा सके.
6. ग्रिपेन की तो खूबी ही यही थी कि वह छोटी सड़कों पर आसानी से उतर सकता था और तुरंत फ्यूल और हथियार लेकर दस मिनट में उड़ान भर सकता था.
7. ताइवान भी चीन की चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपनी मिराज 2000 विमानों को सड़क पर उतारने की प्रैक्टिस करता रहा है.
8. कई देशों ने अपने विमानों को दुश्मन के हमले से बचाने के लिए बड़े-बड़े बंकर तैयार करवाए थे. लेकिन बंकरभेदी मिसाइलों के आने के बाद ये तरीका कारगर नहीं रह गया है. ऐसे में विमानों के लिए यह जरूरी हो गया है कि उन्हें सड़कों पर उतारने लायक बनाया जाए.
9. हमारी वायुसेना के छोटे जेट विमान मिग 27 और जगुआर को तो खेतों में भी उतारा जा सकता है.
10. भारतीय वायु शक्ति का सबसे अहम किरदार सुखोई-30 कभी भी सड़क पर नहीं उतारा जा सकेगा. वजह है, उसके तेज रफ्तार, जिसके लिए बड़ा रनवे चाहिए.
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