आपने कभी किसी ऐप की नियम व शर्तों के पेज को पूरा पढ़ा है? अधिकतर लोगों का जवाब 'ना' ही होगा, लेकिन बावजूद इसके हर शख्स इन नियम व शर्तों के नीचे Accept के बटन पर क्लिक कर देता है. बस यहीं से शुरू हो जाता है आपके फोन से निजी जानकारियां लेकर थर्ड पार्टी से शेयर करने का सिलसिला. जब से कैंब्रिज एनालिटिका का मामला सामने आया है, तब से लोग ये सोचने लगे हैं कि उन्हें फेसबुक चलाना भी चाहिए या नहीं. यहां तक कि #deletefacebook नाम से हैशटैग भी चल पड़ा. लेकिन जो लोग सिर्फ फेसबुक को शक भरी नजरों से देख रहे हैं उन्हें ये जरूर जान लेना चाहिए कि फेसबुक के अलावा भी बहुत से ऐप हैं जो आपकी निजी जानकारियों को थर्ड पार्टी के साथ शेयर करते हैं. चलिए ऐसे ही 5 ऐप को बारे में आपको बताते हैं और ये भी बताते हैं कि ये ऐप आपकी कौन-कौन सी जानकारियां थर्ड पार्टी से शेयर करते हैं:
1- पेटीएम
जैसे ही आप पेटीएम के पेमेंट बैंक के लिए रजिस्टर होते हैं, वैसे ही आप पेटीएम को इस बात की इजाजत दे देते हैं कि वह आपका आधार नंबर और अन्य जानकारियां थर्ड पार्टी के साथ शेयर कर सकता है. पेमेंट बैंक में यह भी साफ है कि आपका नाम, पता, ईमेल, फोन नंबर और अन्य जानकारियां आपने अपनी मर्जी से मुहैया कराई हैं. हालांकि आपको बता दें कि अगर आप ये जानकारियां नहीं देंगे तो ऐप को चला ही नहीं पाएंगे. यह ऐप आपकी बैंक डीटेल्स, ब्रॉउजर और ऑपरेटिंग सिस्टम का डेटा और आपकी लोकेशन को थर्ड पार्टी के साथ शेयर करता है. पेटीएम पेमेंट बैंक की नियम व शर्तों में यह साफ-साफ लिखा है कि किसी भी एजेंट, एजेंसी या किसी अन्य थर्ड पार्टी की सेवाओं का जोखिम (at the risk and cost of the customer) पूरी तरह से ग्राहकों पर ही होगा.
2- वाट्सऐप
हर रोज आप जिस वाट्सऐप को इस्तेमाल करते हैं, वो भी आपकी निजी जानकारियों को थर्ड पार्टी के साथ शेयर करता है. वाट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में जाने से यह पता चलता है कि वाट्सऐप को भारत में इसके कुल 20 करोड़ ग्राहकों में से 1 फीसदी को यूपीआई पर आधारित भुगतान सेवा मुहैया करने की इजाजत है. यूं तो वाट्सऐप का कहना है कि वह यूपीआई पिन की जानकारी को अपने पास नहीं रखता है, लेकिन प्राइवेसी पॉलिसी एक अलग ही तस्वीर दिखाती है. इसमें लिखा है कि यूजर्स की पेमेंट इंस्ट्रक्शन को पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर के पास भेजने, आपकी ट्रांजेक्शन हिस्ट्री को मेंटेन करने, ग्राहक सेवा मुहैया कराने और सभी सेवाओं को पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए ग्राहकों की जानकारी को थर्ड पार्टी के साथ शेयर किया जाता है, जिनमें फेसबुक भी शामिल है. जिन जानकारियों को शेयर किया जाता है उनमें मोबाइल नंबर, रजिस्ट्रेशन की जानकारी, डिवाइस की जानकारी, वर्चुअल पेमेंट एड्रेस, पैसे भेजने वाले शख्स का यूपीआई पिन और भुगताना की राशि की जानकारी हैं. वाट्सऐप के अनुसार उसे भारत में यूपीआई सेवा मुहैया कराने के लिए फेसबुक के इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर होना जरूरी है, क्योंकि अभी यह सेवा बीटा टेस्टिंग में है.
3- तेज
अगर बात की जाए गूगल के तेज ऐप की, तो इससे भी आपकी जानकारियां थर्ड पार्टी के साथ शेयर की जाती हैं. गूगल के ही एक अधिकारी के मुताबिक यह ऐप उन जानकारियों को शेयर करता है, जिसकी मदद से पेमेंट की प्रोसेस को पूरा किया जा सके. जैसे ही आप गूगल के तेज ऐप पर खुद को रजिस्टर करते हैं वैसे ही आप अपनी निजी जानकारियों को थर्ड पार्टी के साथ शेयर करने की इजाजत दे देते हैं. गूगल का तेज ऐप आपकी पेमेंट डीटेल्स, बैंक डीटेल्स, आधार नंबर और टेक्स मैसेज जैसी जानकारियां थर्ड पार्टी के साथ शेयर करता है.
4- अमेजन पे
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेजन की तरफ से चलाया जाने वाला मोबाइल वॉलेट ऐप अमेजन पे भी आपकी कई जानकारियां थर्ड पार्टी के साथ शेयर करता है. इसकी प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार अमेजन पे बैलेंस का इस्तेमाल करते हुए की गई ट्रांजेक्शन और पेमेंट प्रोसेंसिंग की जानकारी और क्रेडिट कार्ड पेमेंट को प्रोसेस करने जैसी जानकारियां शेयर करता है. अगर सीधे-सीधे समझें तो अमेजन पे थर्ड पार्टी के साथ यूजर्स की बैंक कार्ड डीटेल्स, वॉलेट बैलेंस और निजी जानकारियां शेयर करता है.
5- फोन पे
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट के पेमेंट वॉलेट फोन पे की बात करें तो यहां पर आपकी गतिविधियों को ट्रैक किया जाता है और थर्ड पार्टी के साथ शेयर भी किया जाता है. इसके अलावा आपकी ट्रांजेक्शन और निजी जानकारियों को भी फोन पे थर्ड पार्टी के साथ शेयर करता है. हालांकि, ये थर्ड पार्टी कौन-कौन हो सकता है, इसे लेकर कुछ भी साफ नहीं किया गया है.
कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा लोगों के डेटा का गलत इस्तेमाल करने के चलते फेसबुक तो फंस चुका है, लेकिन अभी तक किसी और पर कोई आंच नहीं आई है. हालांकि, अधिकतर लोग ऐसी-ऐसी जानकारियां थर्ड पार्टी के साथ शेयर करते हैं, जिसका गलत इस्तेमाल हो सकता है. यूं तो थर्ड पार्टी जल्दी किसी जानकारी का गलत इस्तेमाल नहीं करती हैं, लेकिन सभी ऐप को अपने ग्राहकों ये साफ-साफ बताना चाहिए कि उनकी निजी जानकारियों को किस-किस थर्ड पार्टी के साथ शेयर किया जाएगा.
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