जैसा की हर साल होता है एपल कंपनी ने अपनी सालाना WWDC कांफ्रेस में आईओएस 12 के बारे में बताया. नए टूल्स, नए फीचर्स सभी कह रहे हैं कि आईफोन यूजर्स को इस साल कुछ बेहतर मिलने वाला है. हालांकि, ये हर साल होता है पर इस बार एपल ने कुछ अनोखा किया है. इस बार कंपनी ये दावा कर रही है कि आईफोन में ऐसा फीचर आएगा जिससे यूजर्स अपनी फोन इस्तेमाल करने की आदत पर पूरी तरह से कंट्रोल कर सकेंगे और वो समय कम करेंगे जिसमें वो अपने फोन को देखते हैं.
ये नए फीचर्स इस महीने के अंत तक अपग्रेड कर दिए जाएंगे और आईओएस 12 बीटा यूजर्स उन्हें इस्तेमाल कर पाएंगे. इसमें एक्टिविटी रिपोर्ट, एप लिमिट और डू नॉट डिस्टर्ब के साथ-साथ नए नोटिफिकेशन कंट्रोल शामिल हैं. ये सब इसलिए किया गया है ताकि स्मार्टफोन का डिस्टर्बेंस खत्म किया जा सके और स्क्रीन टाइम को मैनेज किया जा सके. कंपनी इसे नई दिशा का कदम मान रही है जिससे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का समय कम हो सके.
दरअसल, आईओएस 12 यूजर को वो सारी इन्फोर्मेशन देगा जिसमें यूजर कितनी देर फोन का इस्तेमाल करता है, कितनी देर एप्स पर बिताता है, कौन सा एप ज्यादा समय लेता है और कैसे एप्स के नोटिफिकेशन ज्यादा परेशान करते हैं. एपल ने इस अपडेट के साथ यूजर्स को ये सुविधा दे दी है कि वो अपने स्क्रीन टाइम को कम कर सके और नोटिफिकेशन कम कर सके. स्क्रीन टाइम की मदद से यूजर्स वो समय मैनेज कर पाएंगे जिसमें वो अपने डिवाइस पर काम करना चाहते हैं.
डू नॉट डिस्टर्ब..
आईओएस 12 में डू नॉट डिस्टर्ब फीचर भी आया है ये फीचर किसी टाइम मैनेजमेंट टूल की तरह ही है. इस फीचर की मदद से लोग जो काम कर रहे हैं उसी में मन लगा सकते हैं जैसे मीटिंग में, पढ़ाई के वक्त, डिनर में, डेट पर वो फोन को खुद से दूर रख सकते हैं....
जैसा की हर साल होता है एपल कंपनी ने अपनी सालाना WWDC कांफ्रेस में आईओएस 12 के बारे में बताया. नए टूल्स, नए फीचर्स सभी कह रहे हैं कि आईफोन यूजर्स को इस साल कुछ बेहतर मिलने वाला है. हालांकि, ये हर साल होता है पर इस बार एपल ने कुछ अनोखा किया है. इस बार कंपनी ये दावा कर रही है कि आईफोन में ऐसा फीचर आएगा जिससे यूजर्स अपनी फोन इस्तेमाल करने की आदत पर पूरी तरह से कंट्रोल कर सकेंगे और वो समय कम करेंगे जिसमें वो अपने फोन को देखते हैं.
ये नए फीचर्स इस महीने के अंत तक अपग्रेड कर दिए जाएंगे और आईओएस 12 बीटा यूजर्स उन्हें इस्तेमाल कर पाएंगे. इसमें एक्टिविटी रिपोर्ट, एप लिमिट और डू नॉट डिस्टर्ब के साथ-साथ नए नोटिफिकेशन कंट्रोल शामिल हैं. ये सब इसलिए किया गया है ताकि स्मार्टफोन का डिस्टर्बेंस खत्म किया जा सके और स्क्रीन टाइम को मैनेज किया जा सके. कंपनी इसे नई दिशा का कदम मान रही है जिससे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का समय कम हो सके.
दरअसल, आईओएस 12 यूजर को वो सारी इन्फोर्मेशन देगा जिसमें यूजर कितनी देर फोन का इस्तेमाल करता है, कितनी देर एप्स पर बिताता है, कौन सा एप ज्यादा समय लेता है और कैसे एप्स के नोटिफिकेशन ज्यादा परेशान करते हैं. एपल ने इस अपडेट के साथ यूजर्स को ये सुविधा दे दी है कि वो अपने स्क्रीन टाइम को कम कर सके और नोटिफिकेशन कम कर सके. स्क्रीन टाइम की मदद से यूजर्स वो समय मैनेज कर पाएंगे जिसमें वो अपने डिवाइस पर काम करना चाहते हैं.
डू नॉट डिस्टर्ब..
आईओएस 12 में डू नॉट डिस्टर्ब फीचर भी आया है ये फीचर किसी टाइम मैनेजमेंट टूल की तरह ही है. इस फीचर की मदद से लोग जो काम कर रहे हैं उसी में मन लगा सकते हैं जैसे मीटिंग में, पढ़ाई के वक्त, डिनर में, डेट पर वो फोन को खुद से दूर रख सकते हैं. इसी के साथ, डू नॉट डिस्टर्ब बेड टाइम मोड भी है जिसकी मदद से लोग बेहतर नींद ले सकते हैं. इसमें फोन की डिस्प्ले लाइट को कम किया जा सकता है और सभी नोटिफिकेशन लॉक स्क्रीन से हटाए जा सकते हैं. यानी सुबह तक न तो नोटिफिकेशन दिखेंगे और न ही लाइट बार-बार जलेगी.
नोटिफिकेशन..
नोटिफिकेशन यूजर को कम परेशान करें उसके लिए आईओएस 12 में यूजर्स को ज्यादा ऑप्शन दिए गए हैं जिससे कंट्रोल किया जा सके. यहां नोटिफिकेशन सीधे बंद किए जा सकते हैं या फिर उन्हें नोटिफिकेशन सेंटर भेजा जा सकता है. सिरी अपने आप नोटिफिकेशन के लिए सुझाव दे सकती है और यूजर से पूछ सकती है कि उसे नोटिफिकेशन को देखना है या फिर नोटिफिकेशन सेंटर में भेजना है जहां से वो सभी एप्स के नोटिफिकेशन एक साथ देखेगा. ऐसे में बिना साउंड के नोटिफिकेशन डिलिवरी, अलर्ट ऑफ करना, किस नोटिफिकेशन के लिए कैसा एक्ट करना है ये सब देखा जा सकता है. आईओएस 12 में ग्रुप नोटिफिकेशन भी आए हैं जिसमें नोटिफिकेशन देखना और बहुत सारे नोटिफिकेशन के साथ एक साथ काम करना आसान हो जाएगा.
स्क्रीन टाइम..
ये एप दरअसल लोगों को ये डेटा देगा कि आखिर वो कब किसी वेबसाइट का कितना इस्तेमाल कर रहे थे, कौन सा एप उनका सबसे ज्यादा समय ले रहा है आदि. स्क्रीन टाइम डिटेल्ड रिपोर्ट देगा इसमें दैनिक, साप्ताहिक रिपोर्ट देखी जा सकेंगी और हर छोटी से छोटी डिटेल पर ध्यान दिया जाएगा. इसमें एप्स उनकी कैटेगरी के हिसाब से लिस्टेड होंगे और कितने नोटिफिकेशन आए और कितने आने चाहिए इसके बारे में भी बात की जाएगी. यानी यूजर ये तय कर पाएगा कि उसे कितनी देर आईफोन या आईपैड को हाथ में रखना है.
कंपनी का मानना है कि ये समझ कर कि आखिर कोई यूजर कितना समय अपने फोन को, अपने एप्स को देता है लोग ये समझ पाएंगे कि उन्हें कितना कम समय फोन को देना है. स्क्रीन टाइम किसी के लिए भी बेहतर है अपने फोन को समझने के लिए खास तौर पर बच्चों और उनके परिवारों के लिए ताकि ये कंट्रोल सेट किया जा सके कि आखिर बच्चे कितनी देर के लिए फोन ले सकते हैं. माता-पिता अपने बच्चों की हरकतें उनके आईओएस डिवाइस से ही ट्रैक कर पाएंगे और ये देख पाएंगे कि उनके बच्चे कितना समय फोन को देते हैं.
इस साल की शुरुआत में ही ये बात सामने आई थी कि आईफोन का एडिक्शन कितना खराब है बच्चों के लिए और उनके विकास में ये बाधा डालता है. गूगल सबसे पहला था जिसने ऐसे सुझाव रखे और पेरेंट कंट्रोल की तरफ कदम आगे बढ़ाया. ये फीचर एंड्रॉयड पी में आए. इंस्टाग्राम भी एक ऐसा टूल बना रहा है जिससे ये पता लग सके कि आखिर कोई यूजर कितना समय एप को देते हैं.
अब सवाल ये है कि क्या एपल की ये पहल कारगर है?
कुछ बातों पर गौर करते हैं. क्या कोई यूजर अपना इतना डेटा देखना चाहेगा? अगर देखना भी चाहेगा तो क्या वो अपने फोन के नोटिफिकेशन बंद करेगा? अगर कर भी देगा तो क्या वो फोन को हाथ में लेने की तलब यानी स्क्रीन डिसऑर्डर को खत्म कर पाएगा? अगर वो भी हो गया तो क्या वाकई सिर्फ नोटिफिकेशन कम आने या फिर अपनी बैलेंस शीट रखने से कि कितना समय लोग फोन में बिताते हैं और कौन सा एप लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, क्या ये सब करना कम हो जाएगा?
जहां तक बच्चों का सवाल है वहां तक समझा जा सकता है कि माता-पिता ये सुविधा मान सकते हैं कि वो पेरेंट कंट्रोल का इस्तेमाल करें, लेकिन अगर बच्चों की बात करें तो 'Dont touch my phone' के जमाने में आखिर कितनी देर माता-पिता बच्चों को कंट्रोल कर पाएंगे, और अगर इतने छोटे बच्चों की बात है जो सिर्फ फोन को अपने हाथ में लेने की जिद करते हैं तो उन बच्चों से किसी भी हाल में फोन को वापस लिया नहीं जा सकता है क्योंकि वो सिर्फ और सिर्फ इसके आदी होते हैं.
जहां तक नोटिफिकेशन का सवाल है तो वो आसानी से नेट बंद करके भी ऑफ किए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए लोगों को लग सकता है कि वो कहीं कोई जरूरी नोटिफिकेशन मिस न कर दें. ये जद्दोजहद ही लोगों को फोन देखने को प्रेरित करती है. ये सही है कि कुछ 10% लोगों को इससे फायदा हो सकता है, लेकिन अगर बाकी लोगों की बात करें तो?
आखिर कितने लोग अपने बारे में डेटा देखना चाहेंगे कि उन्होंने फोन कितनी बार इस्तेमाल किया और कौन सा एप सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया? आखिर कितने लोगों को उस डेटा को देखकर मन करेगा कि वो फोन का इस्तेमाल कम कर दें. जहां तक इनोवेशन की बात है तो भी एपल इस बार पीछे रह गया क्योंकि ऐसे पेरेंट कंट्रोल और स्क्रीन टाइम डेटा देने वाले फीचर्स तो पहले ही गूगल दे चुका है. तो फोन का इस्तेमाल कर फोन को कम इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करने वाला एपल का ये तरीका कम से कम मेरे जैसे लोगों के लिए तो नहीं है.
ये भी पढ़ें-
बाबा रामदेव के Kimbho app से फर्जीवाड़ा करने वालों की चांदी हो गई !
ये डिवाइस तो सुपारी किलर की तरह भी काम कर रहा है!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.