हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्में हमें बड़ी पसंद आती हैं. क्योंकि वो हमारी कल्पनाओं को सार्थक होते हुए दिखाती हैं, वो जिसके बारे में कोई सोच नहीं सकता जब होते हुए दिखता है तो हैरान करता है और हम अंदर तक रोमांचित हो जाते हैं. पर फिर भी ये फिक्शन है...कल्पना मात्र, जिसके सच में हो जाने की कल्पना इंसान नहीं करता. पर ये कल्पनाएं धीरे-धारे सच होती जाती हैं. किसी से वीडियो चैट करना भी तो कभी कल्पना ही रहा होगा, लेकिन आज हकीकत है. आज हर कोई स्मार्ट फोन के जरिए असंभव रही हर चीज आसानी से कर पा रहा है.
अपनी एक ऐसी ही कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए सिलिकॉन वैली का एक करोड़पति व्यक्ति अपनी जान देने को भी तैयार है. वो अपना दिमाग हमेशा के लिए प्रिजर्व कराना चाहता है, और इसके लिए वो एक कंपनी को 10 हजार डॉलर दे रहा है.
दिमाग को जिंदा रखने के लिए मरने को तैयार है ये शख्स
ये टैक उद्यमी सैम ऑल्टमैन हैं जो एक इनवेस्टर कंपनी 'Y कॉम्बिनेटर' के प्रसिडेंट हैं. ऑल्टमैन नेकटोम नाम की स्टार्टअप कंपनी में पैसा लगा रहे हैं, जिनका दावा है कि वो एक इंसानी दिमाग का सारा डाटा कंप्यूटर पर डाल सकते हैं. इस तकनीक को वो सुअर और खरगोश पर प्रयोग कर चुके हैं. एक सुअर के दिमाग को विस्तार से कंप्यूटर पर सहेजन के लिए कंपनी की इस अनोखी तकनीक को 80,000 डॉलर का ईनाम भी मिल चुका है. 2011 में अमेरिका की एक साइंस फिक्शन सीरीज 'ब्लैक मिरर' में भी इसी तरह की तकनीक दिखाई गई थी.
ऑल्टमैन का कहना है - 'मैं मानता हूं कि मेरी दिमाग क्लाउड पर अपलोड हो जाएगा'. और ऐसा मानने वाले ऑल्टमैन अकेले नहीं हैं बल्कि 25 और लोग भी हैं, जो कुछ मिलियन डॉलर खर्च करके अपने मस्तिष्क को अनंत काल के लिए संरक्षित करना चाहते हैं.
कंपनी का कहना है कि ये प्रक्रिया "100 प्रतिशत घातक है"
इस तकनीक में, एक डॉक्टर की सहायता से प्राण त्यागने के बाद कस्टमर को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर लाया जाएगा. हालांकि इच्छामृत्यु अमेरिका के कई राज्यों में कानूनन वैध नहीं है. जैसे ही व्यक्ति आखिरी सांस लेगा शरीर के रक्त प्रवाह को एक कैमिकल से बदल दिया जाएगा. ये कैमिकल व्यक्ति की न्यूरोनल संरचना को संरक्षित रखेगा, क्योंकि मस्तिष्क को संरक्षित रखने के लिए उसका एकदम ताजा होना बहुत जरूरी है.
क्या चाहती है ये कंपनी
कंपनी का मिशन है कि एक दिमाग को इस तरह सहेजे कि उसकी सारी यादें बरकरार रहें. जासे चाहे वो आपकी पसंदीदी किताब का कोई बेहतरीन चैप्टर हो, या फिर सर्दी के मौसम ठंड का अहसास, चाहे कोई रेसिपी हो या फिर परिवार के साथ खाना खाना. इन्हें यकीन है कि इसी शताब्दी में इस तरह की जानकारी को आसानी से डिजिटाइज़ किया जा सकेगा और अपनी चेतना को दोबारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
ये हैं नेकटोम के फाउंडर Robert McIntyre और Michael McCannaविस्तार से समझना हो तो ये वीडियो देखें-
आज साइंस और टेक्नोलॉजी के जमाने में ये तो कहा ही नहीं जा सकता कि ये काम मुश्किल है. टेक्नोलॉजी ने आज हर चीज को संभव कर दिया है. हो सकता है कि ये भी हो ही जाए, लेकिन सुनने में बड़ा अजीब लगता है कि कैसे कुछ लोग हमेशा जिंदा रहने के लिए मरने को भी तैयार हैं. पर कुछ बातें अब भी गले नहीं उतरतीं- वे ये कि जब हम मर ही जाएंगे तो एक दिमाग को इंटरनेट पर अपलोड करने का फायदा ही क्या है. इस काम के लिए पहले आपको मरना होगा. और अगर ये प्रयोग सफल न हो पाया तो?? बंदा तो गया जान से.
वैसे दुनिया को करीब से समझने और जानने वाले बहुत से विद्वानों ने भविष्यवाणी की है कि ये दुनिया सन् 2100 या 2200 में कैसी दिखाई देगी. इतिहासकार युवल नोआह हरारी (Yuval Noah Harari) ने भी अपनी किताब ''Homo Deus: A Brief History of Tomorrow'' के माध्यम से आने वाले समय की एक झलक दुनिया के सामने रखी थी. जो वास्तव में सच होती दिख रही है. इनके मुताबिक-
- जिस तरह समाजवाद ने आज दुनिया पर कब्जा कर रखा है, आने वाले समय में नए तकनीकी-धर्म एल्गोरिदम और जीन के माध्यम से दुनिया पर राज करेंगे.
- सबसे दिलचस्प उभरते हुए धर्म में डेटावाद है, जो न किसी देवता न ही मनुष्य की पूजा करता है, बल्कि यह डेटा को पूजता है.
- हर चीज सिस्टम से जुड़ी होगी. हर चीज का मतलब सिर्फ इंसान नहीं, इसका मतलब हर चीज से है.
- एल्गोरिथ्म भले ही इंसानों ने विकसित किया, लेकिन जैसे जैसे ये बढ़ेगा, ये अपना रस्ता खुद बनाएगा. वहां जहां कोई इंसान पहले नहीं गया और न कोई जा पाएगा.
दुनिया अजीब है और टेक्नोटॉजी उससे भी अजीब, आज ये दिमाग प्रिजर्व कर अपलोड करने की बात कर रहे हैं कल कहीं इंसानों को हमेशा के लिए अमर करने की टेकनोलॉजी विकसित कर ली जाएगी. उफ्फ..ये फिक्शन है या हकीकत.
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