Chandrayaan-2 ने आज वो उपलब्धि हासिल कर ली है, जिसका ISRO के वैज्ञानिक बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आज चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की पहली कक्षा (lunar orbit) में पहुंच गया है. अभी तक चंद्रयान-2 धरती की कक्षा में ही चक्कर काट रहा था, लेकिन अब वह चंद्रमा की कक्षा में है. आज यानी मंगलवार को सुबह करीब 9.02 बजे चंद्रयान-2 को इसरो ने चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने में सफलता पाई. धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने की ये प्रक्रिया बेहद कठिन होती है. ऐसे में इसरो के वैज्ञानिक तो खुश हैं ही, पूरा देश इस पर अपनी खुशी का इजहार कर रहा है.
चंद्रयान-2 अभी तक बिल्कुल वैसा ही काम कर रहा है, जैसा उम्मीद की जा रही थी. आपको बता दें कि धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने की इस प्रक्रिया को बेहद कठिन होने के कारण एक उपलब्धि माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि चंद्रयान-2 ने सबसे बड़ी बाधा पार कर ली है. लेकिन क्या वाकई चंद्रयान-2 के सामने इससे बड़ी कोई बाधा नहीं है? दरअसल, इससे भी बड़ी बाधा, या यूं कहें कि सबसे बड़ी बाधा तो चांद पर इंतजार कर रही है. लेकिन पहले जान लीजिए कि आज की प्रक्रिया को इतना अहम क्यों माना जा रहा है.
धरती से चांद की कक्षा में जाना कठिन क्यों?
अगर आसान भाषा में समझें तो ये कहा जा सकता है कि चंद्रयान-2 को सीधे धरती से चांद की ओर नहीं भेजा गया है, जैसा कि लोग समझते हैं. ऐसा नहीं है कि चांद को टारगेट मानते हुए कोई गोली चलाई गई हो. बजाय इसके, चंद्रयान-2 को पहले धरती के चारों ओर कई चक्कर घुमाया गया है, ताकि उसे एक तेज रफ्तार मिल सके, जिससे उसे चांद की ओर तेजी से भेजा जा सके. जी हां, ठीक वैसे ही, जैसे किसी धागे...
Chandrayaan-2 ने आज वो उपलब्धि हासिल कर ली है, जिसका ISRO के वैज्ञानिक बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. आज चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की पहली कक्षा (lunar orbit) में पहुंच गया है. अभी तक चंद्रयान-2 धरती की कक्षा में ही चक्कर काट रहा था, लेकिन अब वह चंद्रमा की कक्षा में है. आज यानी मंगलवार को सुबह करीब 9.02 बजे चंद्रयान-2 को इसरो ने चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने में सफलता पाई. धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने की ये प्रक्रिया बेहद कठिन होती है. ऐसे में इसरो के वैज्ञानिक तो खुश हैं ही, पूरा देश इस पर अपनी खुशी का इजहार कर रहा है.
चंद्रयान-2 अभी तक बिल्कुल वैसा ही काम कर रहा है, जैसा उम्मीद की जा रही थी. आपको बता दें कि धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने की इस प्रक्रिया को बेहद कठिन होने के कारण एक उपलब्धि माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि चंद्रयान-2 ने सबसे बड़ी बाधा पार कर ली है. लेकिन क्या वाकई चंद्रयान-2 के सामने इससे बड़ी कोई बाधा नहीं है? दरअसल, इससे भी बड़ी बाधा, या यूं कहें कि सबसे बड़ी बाधा तो चांद पर इंतजार कर रही है. लेकिन पहले जान लीजिए कि आज की प्रक्रिया को इतना अहम क्यों माना जा रहा है.
धरती से चांद की कक्षा में जाना कठिन क्यों?
अगर आसान भाषा में समझें तो ये कहा जा सकता है कि चंद्रयान-2 को सीधे धरती से चांद की ओर नहीं भेजा गया है, जैसा कि लोग समझते हैं. ऐसा नहीं है कि चांद को टारगेट मानते हुए कोई गोली चलाई गई हो. बजाय इसके, चंद्रयान-2 को पहले धरती के चारों ओर कई चक्कर घुमाया गया है, ताकि उसे एक तेज रफ्तार मिल सके, जिससे उसे चांद की ओर तेजी से भेजा जा सके. जी हां, ठीक वैसे ही, जैसे किसी धागे में छोटा पत्थर बांधकर उसे जोर से घुमाया जाता है और फिर फेंका जाता है. इस तरह पत्थर काफी तेजी से अपने टारगेट की ओर जाता है. अब सवाल ये है कि इसमें दिक्कत क्या है?
दरअसल, जब चंद्रयान-2 धरती की कक्षा से निकल कर चांद की कक्षा में जाता है तो उसके सामने कई चुनौतियां होती हैं. पहली तो ये कि उसे चांद की कक्षा में प्रवेश कराना होता है, ताकि वह अंतरिक्ष में ना भटक जाए. वहीं दूसरी ओर चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद चंद्रयान-2 की रफ्तार को कुछ कम करना होता है, ताकि ऐसा ना हो कि अधिक रफ्तार के चलते चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा से ही बाहर निकल जाए, क्योंकि ऐसे में भी वह अंतरिक्ष में खो सकता है. वहीं तीसरी बड़ी चुनौती ये होती है कि रफ्तार अगर ज्यादा कम हो गई तो चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से चंद्रयान-2 चांद की सतह की ओर खिंचा चला जाता और गिरकर क्रैश हो सकता था. तो अब आप समझ ही गए होंगे कि चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने को बड़ी बाधा क्यों कहा जा रहा है. लेकिन इससे भी बड़ी बाधा चांद की सहत पर चंद्रयान-2 का इंतजार कर रही है.
आखिर 15 मिनट होंगे सबसे मुश्किल
चंद्रयान-2 ने बेशक अपने रास्ते की एक बड़ी बाधा को पार कर लिया है, लेकिन सबसे बड़ी बाधा होगी लैंडर विक्रम (VIKRAM) को चांद की सतह पर लैंड कराना. दरअसल, इसमें कई तरह की दिक्कतें आती हैं, जिनमें सबसे बड़ी दिक्कत तो ये है कि भारत पहली बार चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा रहा है. अभी तक ऐसा सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ने ही किया है. जब चंद्रयान-2 चांद की सतह के समीप पहुंचेगा तो उसमें से लैंडर विक्रम को तेजी से शूट किया जाएगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो लैंडर विक्रम एक पत्थर की तरह चांद की सतह पर गिर सकता है और क्रैश हो सकता है. चंद्रयान-2 से चांद की सतरह पर लैंडर विक्रम की लैंडिंग तक के पूरे समय में करीब 15 मिनट लगेंगे, जो इसर के वैज्ञानिकों के लिए सबसे भारी रहने वाले हैं.
इसरो के प्रमुख डॉ. के सिवान ने चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने के संदर्भ में कहा- 'करीब 30 मिनट के लिए हमारे दिल की धड़कन रुक सी गई थी, जब तक काम पूरा नहीं हो गया.' चांद पर लैंडिंग को लेकर वह बोले कि जब चांद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा, तो वो 15 मिनट हमारे लिए बेहद चिंताजनक रहेंगे, क्योंकि हर कैल्कुलेशन उस समय बिल्कुल सही होनी जरूरी है. इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि लैंडर सिस्टम अभी तक ऑपरेट नहीं हुआ है. आपको बता दें कि इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 से चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम 7 सितंबर को उतर सकता है.
चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया गया था. हालांकि, चंद्रयान-2 की पहली लॉन्चिंग को तकनीकी गड़बड़ की वजह से टाल दिया गया था. चंद्रयान-2 पर सिर्फ भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं. इसकी वजह ये भी है कि इसमें सिर्फ 1000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जो दुनिया के बाकी देशों के मिशन की तुलना में बेहद कम है. खैर, जो भी हो, करीब महीने भर बाद चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा में तो पहुंच ही गया है और एक बाधा पार कर ली है. अब बस इंतजार है अगले महीने का, जब 7 सितंबर को वह चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा.
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