ट्रैफिक में फंसे हुए आपके दिमाग में कई बार ये ख्याल तो आया ही होगा कि काश कोई ऐसी व्यवस्था हो कि आप सभी गाड़ियों के ऊपर से उड़ते हुए उस पार निकल जाएं. खासकर जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट बसें चलते हुए अचानक किसी स्टॉप पर रूक जाए और फिर अचानक सड़क के बीचोबीच दौड़ने लगे. अब बसों से पंगा कौन ले, इसलिए आप भी उसके पीछे-पीछे उसी की रफ्तार में असहाय होकर सरकते रहते हैं. लेकिन अब एक रास्ता चीन ने निकाला है. जी हां! एक ऐसी बस जो अपनी रफ्तार से तो दौड़गी ही लेकिन आप चाहे तो उसके नीचे से निकल सकते हैं.
ये बस दिलाएगा ट्रैफिक से छुटकारा!
करीब आठ साल पहले दिल्ली में जब प्रयोग के तौर पर बीआरटी कॉरिडोर (बस रैपिड ट्रांसपोर्ट) की शुरुआत हुई तो कहा गया कि ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने में ये पहल अहम साबित होगी. ये वो भी समय था जब राजधानी में ब्लू लाइन बसों की इमेज किसी दैत्य सरीखे बन गईं थी. उन पर तो बैन लगा ही, बीआरटी कॉरिडोर को लेकर भी खूब बहस हुई.
बीआरटी के तहत साउथ दिल्ली में करीब 5.8 किलोमीटर तक बसों के लिए अलग लेन का निर्माण हुआ. लेकिन इस प्रयोग के साथ विवाद भी जुड़ते चले गए. कई लोगों ने विरोध किया. मामला कोर्ट-कचहरी तक भी पहुंचा. आखिरकार इसी साल दिल्ली की आप सरकार ने इस व्यवस्था को हटाने का फैसला किया.
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दिल्ली में बीआरटी क्यों असफल रहा और क्यों अहमदाबाद या पुणे जैसे शहरों में क्यों ये व्यवस्था पैठ बनाने में कामयाब रही, इसकी कहानी अलग है लेकिन हम बात करते हैं चीन द्वारा डिजाइन किए गए एक नए प्रकार के बस की जिसके सड़क पर चलने के दौरान भी कारें या दूसरी छोटी गाड़ियां इसके नीचे से पास कर सकती हैं.
चीन का कमाल |
चीन ने कुछ ही दिनों पहले इस बस के डिजाइन को सार्वजनिक किया था और सड़क पर इसका पहला प्रयोग सफल भी रहा. इस बस को TEB-1 नाम दिया गया है. ये बस बिजली से चलती है और एक साथ इसमें करीब 1400 यात्री यात्रा कर सकते हैं.
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करीब 60 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकने वाली इस बस की लंबाई 21 मीटर है और इसके लिए अलग ट्रैक की जरूरत होती है. इसकी चौड़ाई सात मीटर से भी ज्यादा है. जाहिर है इसे दौड़ने के लिए इसे करीब दो लेन की सड़क चाहिए.
ऐसी बस देखी है कभी! |
करीब दो लेन के बराबर जगह लेने के बावजूद इस बस की खासियत ये है कि सड़क पर दूसरी गाड़ियों के लिए बहुत ज्यादा जगह मुहैया करा देता है. इस प्रोजेक्ट के चीन इंजीनियर सोंग यूजू के अनुसार ऐसी एक बस 40 आम बसों के बराबर है. ये अगर इस्तेमाल में आता है तो सलाना करीब 800 टन ईंधन और कार्बन उत्सर्जन में 2,480 टन की कमी आएगी. देखिए, चीन के नए एलिवेटेड बस का ये वीडियो
चीन में इस नए प्रयोग की सराहना हो रही है. देखना होगा कि भारत में भी क्या ऐसे तरीके अपनाए जा सकते हैं. वैसे भी ऑड ईवन से लेकर पुरानी डीजल गाड़ियों को सड़क से हटाने जैसे मुद्दों पर बहस यहां भी होती रही है. भारत में भी ट्रेफिक जाम और उससे होने वाले नुकसान और प्रदूषण को लेकर कई बातें कही जाती रही हैं. हाल-फिलहाल में जो आंकड़े सामने आए हैं, वो भी कम डरावने नहीं.
एक आंकड़े के अनुसार जाम के कारण भारत को हर साल करीब 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. दिल्ली की ही बात करें तो दो साल पहले सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्ट्यूट (CRRI) के एक रिपोर्ट के मुताबिक रोज ट्रैफिक जाम में फंसे-फंसे राजधानी के लोग 40,000 लीटर बर्बाद कर डालते हैं. इस लिहाज से देखिए तो नए एलिवेटेड बस की सबसे सख्त जरूरत तो फिलहाल हमारे देश को ही है!
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