एक चीनी स्पेस Tiangong-1 स्टेशन अंतरिक्ष से धरती के वातावरण में प्रवेश कर चुका है. यूं तो 8000 किलो का ये स्पेस स्टेशन 2016 से ही अपना नियंत्रण खो चुका था, लेकिन कुछ समय पहले इस बात का पता चला कि वह तेजी से धरती की ओर बढ़ रहा है. इसे लेकर लोगों में अफरा-तफरी का माहौल भी पैदा हो गया था. लोग डरे हुए थे कि न जाने ये स्पेस किस शहर पर गिरेगा. सोमवार को यह स्पेस स्टेशन धरती पर गिर चुका है, लेकिन राहत की खबर ये है कि इससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. अमेरिका के Joint Force Space Component Command की रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्पेस स्टेशन जैसे ही दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में धरती के वातावरण में दाखिल हुआ, वैसे ही बिखर गया. भारतीय समय के अनुसार धरती के वायुमंडल में इस स्पेश स्टेशन ने सुबह करीब 5.45 बजे प्रवेश किया और तुरंत बिखर कर नष्ट हो गया. यह स्टेशन दक्षिणी प्रशांत महासागर के ऊपर नष्ट हुआ, जिसके चलते अगर इसका कुछ मलबा धरती की सतह तक पहुंचे भी तो किसी को कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि, अभी इस बात को लेकर कोई रिपोर्ट नहीं आई है कि मलबे को धरती की सतह पर गिरते हुए देखा गया या मलबे का कोई हिस्सा पाया गया.
नुकसान की आशंका थी कम?
माना जा रहा है कि धरती की सतह पर पहुंचते-पहुंचते इस स्पेस स्टेशन का अधिकतर हिस्सा जलकर खाक हो जाएगा. यह भी डर था कि अगर यह स्पेस किसी आबादी वाली जगह पर गिरा तो भारी तबाही का कराण बन सकता है. लेकिन अब सब साफ हो चुका है और इस स्पेस स्टेशन से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. यूरोप में इस स्पेस स्टेशन को लेकर ठीक वैसी ही अफरा-तफरी थी, जैसी 40 साल पहले अमेरिका के एक स्पेस स्टेशन के धरती पर गिरते समय हुई थी. उसी तरह चीनी स्पेस ने दूसरी बार लोगों को आतंकित किया हुआ था.
skylab ने भी मचाया था आतंक
जिस तरह आप चीन के स्पेस स्टेशन ने लोगों को आतंकित किया, ठीक वैसे ही 1979 में अमेरिका के एक स्पेस स्टेशन skylab ने भी लोगों की टेंशन बढ़ा दी थी. इसे 1973 में अमेरिका ने लॉन्च किया था, जिसे 1983 तक काम करना था. 85000 टन के वजह का ये स्पेस स्टेशन समय से पहले ही अतंरिक्ष में डैमेज हो गया और तेजी से धरती की ओर गिरने लगा. माना जा रहा था कि skylab का मलबा 6 जुलाई से 28 जुलाई 1979 के बीच कभी भी जमीन पर गिर जाएगा. पूरा यूरोप skylab के गिरने से दहशत में था.
जब गिरा था skylab...
बताया गया कि इसका मलबा करीब 400-500 टुकड़ों में बंट जाएगा और ये टुकड़े 4000 मील लंबे और 100 मील चौड़े क्षेत्र में जा गिरेंगे. योजना बनाई गई कि इसे अतंरिक्ष में विस्फोट कर के उड़ा दिया जाएगा और मलबे को समुद्र की ओर धकेलने की कोशिश की जाएगी. नासा ने स्पेस के गिरने से पहले उसके बूस्टर रॉकेट स्टार्ट कर दिए थे, जिससे skylab को हिंद महासागर की ओर धकेलने में मदद मिली. आखिरकार 11 जुलाई 1979 को वो दिन आ गया, जब skylab धरती पर आ गिरा. इस स्पेस स्टेशन के बड़े हिस्से हिंद महासागर में गिरे, हालांकि, कुछ हिस्से ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से पूर्व दिशा में भी गिरे, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ. हालांकि, अगर ये किसी आबादी वाले इलाके पर गिर जाता, तो निश्चित ही भारी नुकसान का कारण बनता.
पहले कहां गिरने की थी संभावना?
Aerospace Corporation के अनुसार ये स्पेस स्टेशन के 43 डिग्री उत्तर और 43 डिग्री दक्षिण के लैटिट्यूड में गिरने की संभावना थी. सीधे-सीधे समझा जाए तो इसकी जद में उत्तरी चीन, मिडिल ईस्ट देश, न्यूजीलैंड, तस्मानिया, स्पेन और अमेरिका के उत्तरी राज्य थे. हालांकि, Aerospace Corporation ने पहले ही यह भरोसा दिलाया था कि स्पेस के मलबे के सीधे धरती से टकराने की संभावनाएं बहुत ही कम हैं. लोगों के डर को कम करते हुए Aerospace Corporation ने कहा था कि इससे किसी व्यक्ति के घायल होने की संभावना बेहद कम है. आज तक किसी स्पेस के मलबे का हिस्सा सिर्फ एक व्यक्ति पर गिरा है और वह भी मलबे की वजह से घायल नहीं हुई थीं.
इसलिए आई थी इस स्पेस स्टेशन में गड़बड़ी
चीन के इस स्पेस स्टेशन का नाम Tiangong-1 है, जिसे 2011 में लॉन्च किया गया था. उस समय इस स्पेस स्टेशन को 2013 तक के लिए ऑपरेशन में रखने की योजना थी, लेकिन चीनी स्पेस एजेंसी ने फैसला किया कि इस स्पेस के ऑपरेशन को कुछ और सालों के लिए बढ़ाया जाएगा. बस यहीं पर उनकी होशियारी ने धोखा दे दिया. 2013 के बाद की अवधि में अचानक यह स्पेस स्टेशन चीनी स्पेस एजेंसी के कंट्रोल से बाहर हो गया और धरती की तरफ गिरने लगा.
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