मोदी के 50 दिन का टारगेट तो पूरा हो ही चुका है. नोटबंदी को तो मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है, लेकिन इन 50 दिनों में एक और सफलता है जिसपर शायद ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. अपने हालिया भाषण में मोदी ने अंगूठे का इस्तेमाल किया. दरअसल ये डिजिटल पेमेंट और थम्ब इम्प्रेशन की बात की जा रही थी. अब वो देश जिसके नागरिकों को अनपढ़ कहा जाता था वो कैशलेस बनने की ओर रुख कर चुके हैं और डिजिटल तरीके इस्तेमाल कर रहा है.
डिजिपेमेंट पर भाषण देते मोदी |
मोदी की ये बात बिलकुल सही है. पिछले 50 दिनों में जो कैशलेस ग्रोथ भारत ने देखी है वो काबिलेतारीफ है. भले ही पूरी जनता अभी तक कैशलेस नहीं हुई हो और यकीनन इस काम के लिए बहुत समय लगेगा, लेकिन 50 दिनों में जो ग्रोथ कैशलेस ट्रांजैक्शन की भारत में हुई है वो इतनी जल्दी कहीं भी होना आसान नहीं है.
ये भी पढ़ें- 2017 में इस टेक्नोलॉजी पर रहेगी नजर...
आंकड़ों की नजर से...
1. मोबाइल वॉलेट-
पिछले 50 दिनों में सिर्फ पेटीएम ही नहीं बल्की मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल भी 300% तक बढ़ा है. पेटीएम के अलावा, बाकी मोबाइल वॉलेट भी काफी तरक्की पर हैं. मोबीक्विक ने नवंबर से अभी तक 1000% की तरक्की कर ली है. नोटबंदी के बाद से मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल देश में 18 गुना बढ़ गया है.
मोदी के 50 दिन का टारगेट तो पूरा हो ही चुका है. नोटबंदी को तो मिली जुली प्रतिक्रिया मिल रही है, लेकिन इन 50 दिनों में एक और सफलता है जिसपर शायद ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया. अपने हालिया भाषण में मोदी ने अंगूठे का इस्तेमाल किया. दरअसल ये डिजिटल पेमेंट और थम्ब इम्प्रेशन की बात की जा रही थी. अब वो देश जिसके नागरिकों को अनपढ़ कहा जाता था वो कैशलेस बनने की ओर रुख कर चुके हैं और डिजिटल तरीके इस्तेमाल कर रहा है.
मोदी की ये बात बिलकुल सही है. पिछले 50 दिनों में जो कैशलेस ग्रोथ भारत ने देखी है वो काबिलेतारीफ है. भले ही पूरी जनता अभी तक कैशलेस नहीं हुई हो और यकीनन इस काम के लिए बहुत समय लगेगा, लेकिन 50 दिनों में जो ग्रोथ कैशलेस ट्रांजैक्शन की भारत में हुई है वो इतनी जल्दी कहीं भी होना आसान नहीं है. ये भी पढ़ें- 2017 में इस टेक्नोलॉजी पर रहेगी नजर... आंकड़ों की नजर से... 1. मोबाइल वॉलेट- पिछले 50 दिनों में सिर्फ पेटीएम ही नहीं बल्की मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल भी 300% तक बढ़ा है. पेटीएम के अलावा, बाकी मोबाइल वॉलेट भी काफी तरक्की पर हैं. मोबीक्विक ने नवंबर से अभी तक 1000% की तरक्की कर ली है. नोटबंदी के बाद से मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल देश में 18 गुना बढ़ गया है.
RBI के डेटा के अनुसार सिर्फ दिसंबर के पहले 4 दिनों में देश के 8 लीडिंग मोबाइल वॉलेट्स में से करीब 60 करोड़ के ट्रांजैक्शन हुए. इसके अलावा, पेटीएम के अनुसार हर दिन कंपनी करीब 50 लाख ट्रांजैक्शन करती है जो कुल 100 करोड़ के कारोबार के बराबर है. 50 दिनों में इतने बड़े लेवल पर सारा काम करना आसान नहीं है. 2. डेबिट और क्रेडिट कार्ड RBI के आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 15.1 लाख स्वाइप मशीने हैं और करीब 86 करोड़ डेबिट कार्ड हैं. हालांकि, SBI की एक रिपोर्ट के अनुसार इस महीने कार्ड ट्रांजैक्शन कम हुए हैं, लेकिन रिपोर्ट में इसका सीधा कारण मोबाइल वॉलेट को बताया गया है. 3. ऑनलाइन शॉपिंग- स्नैपडील के स्टेटमेंट में कहा गया है कि नोटबंदी की घोषणा के दो दिन के अंदर ही 75 प्रतिशत ऑर्डर में कैशलेस पेमेंट शुरू हो गई. इसमें वॉलेट, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेटबैंकिंग शामिल हैं. नोटबंदी के बाद से ही कैश ऑन डिलिवरी ऑप्शन 70 प्रतिशत कम इस्तेमाल किया गया.
स्नैपडील के अनुसार छोटे शहरों जैसे मादेहपुरा (बिहार), तुरा (मेघालय), मालापुरम (केरला), बलिया (उत्तर प्रदेश), अमंबिकापुर (छत्तीसगढ़) आदि से आने वाले 90 प्रतिशत ऑर्डर कैशलेस पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये आंकड़े भले ही सिर्फ स्नैपडील के हों, लेकिन लगभग हर ऑनलाइन शॉपिंग साइट ने अपने कैशलेस ट्रांजेक्शन में कमी देखी है. ये भी पढ़ें- नोटबंदी के बाद चोरी भी होगी डिजिटल 4. सरकार की पहल- पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि दो हफ्तों के अंदर एक ऐसा सिस्टम आएगा जिसमें सिर्फ आपके अंगूठे के इस्तेमाल से ही पेमेंट हो जाएगा. पुने के धसई गांव से लेकर जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल तक काफी कुछ कैशलेस हो चुका है. नोटबंदी के बाद लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने 31 दिसबंर तक डेबिट कार्ड पेमेंट पर चार्ज भी बंद कर दिया था. 2012 से मर्चेंट डिस्काउंट रेट जो स्वाइप डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर लगता था वो 2000 तक के बैलेंस पर 0.75% और 2000 से ऊपर पर 1% लगता था.
इसके अलावा, सरकार ने 31 दिसंबर तक कई जगह डिजिटल पेमेंट करने पर छूट भी दी थी. इतना ही नहीं पीएम ने आधार पेमेंट एप "BHIM" की लॉन्चिंग भी कर दी है जिसमें कार्ड की जरूरत को भी खत्म करने की पहल की गई है. ये एप IDFC बैंक, IDAI और नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा बनाया गया है. डिजिटल पेमेंट की तरक्की को जिस तरह भारत ने अपनाया है वो किसी भी बड़े देश के लिए गर्व की बात हो सकती है. मोदी ने डिजिधन मेला भाषण में कहा कि पहले लोगों को अंगूठा छाप कहा जाता था और अब वक्त बदल चुका है. अब अंगूठा आपका बैंक है, आपकी पहचान है. नोटबंदी से कितना नुकसान हुआ और कितना फायदा इसका ठीक अनुमान तो सरकार लगा सकती है, लेकिन डिजिटल तरक्की तो वाकई हुई है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हालांकि, अभी बहुतल आगे जाना बाकी है. SBI रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि 15.1 लाख PoS मशीनें भारत के लिए काफी नहीं हैं. कम से कम 20 लाख मशीनें और होनी चाहिए जो डिजिटल क्रांति ला सकेगी. फिलहाल जो हालात हैं उनमें करंसी और डिजिटल पेमेंट के बीच काफी लंबा फासला है जिसे भरने के लिए डिजिटल पेमेंट को दुगना होना पड़ेगा. फिलहाल सभी तरह की डिजिटल पेमेंट मिलाकर 1.7 लाख करोड़ का करोबार होता है जिसे कम से कम 3.5 लाख करोड़ होना पड़ेगा. हालांकि, अभी डिजिटल पेमेंट का रास्ता बहुत लंबा है जिसपर चलना है, लेकिन फिलहाल जो दूरी तय की है वो भी किसी क्रांति से कम नहीं है. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |