जब कभी किसी DTH service provider की सेवाएं पसंद नहीं आती हैं तो सबसे पहले दिमाग में ये बात आती है कि इसे बदल देते हैं. लेकिन बदलें तो बदलें कैसे? सेट टॉप बॉक्स के पैसे जो लगे हैं. अगर किसी दूसरी कंपनी से सेवाएं लेंगे तो उसका सेट टॉप बॉक्स लगवाना पड़ेगा, और वो भी पैसे लेगा. ऐसे समय में मन में एक ख्याल आता है कि काश हम डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर भी मोबाइल नंबर के टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर की तरह बदल सकते. लेकिन यूं लगता है कि आपकी ये ख्वाहिश ट्राई की दहलीज पर दस्तक दे चुकी है, तभी तो ट्राई ने तय किया है कि डीटीएच में भी पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा आएगी. लेकिन कब?
ट्राई इस पर काफी पहले से विचार कर रहा है, लेकिन इसे लागू करने में उसे कुछ दिक्कतें हो रही हैं. 1 फरवरी से टैरिफ को लेकर नए नियम तो लागू हो चुके हैं, लेकिन पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा डीटीएच में लाने में कई रुकावटें हैं. खैर, भले ही अभी डीटीएच में पोर्टेबिलिटी नहीं आई हो, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक ये सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी. इसके बाद शुरू होगी असली जंग और कंपनियों के बीच प्राइस वॉर का फायदा सीधे ग्राहकों को मिलेगा.
कैसे होगी पोर्टेबिलिटी?
1 फरवरी से लागू हो रहे टैरिफ नियम के तहत ट्राई ये पहले ही कह चुका है कि किसी भी ग्राहक को इस बात की आजादी होगी कि वह सेट टॉप बॉक्स डीटीएच ऑपरेटर और केबल ऑपरेटर से खरीदने के बजाय बाजार से भी खरीद सकें. इसी के साथ-साथ ट्राई इस प्लान पर भी काम कर रहा है कि इन सभी सेट टॉप बॉक्स में एक ही तकनीक का इस्तेमाल हो. सिर्फ कंपनियां अपना-अपना सॉफ्टवेयर अपडेट कर सकें. यानी अगर आप एक सर्विस प्रोवाइडर की सेवाएं छोड़कर दूसरे की सेवाएं लेंगे तो दूसरा प्रोवाइडर आपके उसी...
जब कभी किसी DTH service provider की सेवाएं पसंद नहीं आती हैं तो सबसे पहले दिमाग में ये बात आती है कि इसे बदल देते हैं. लेकिन बदलें तो बदलें कैसे? सेट टॉप बॉक्स के पैसे जो लगे हैं. अगर किसी दूसरी कंपनी से सेवाएं लेंगे तो उसका सेट टॉप बॉक्स लगवाना पड़ेगा, और वो भी पैसे लेगा. ऐसे समय में मन में एक ख्याल आता है कि काश हम डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर भी मोबाइल नंबर के टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर की तरह बदल सकते. लेकिन यूं लगता है कि आपकी ये ख्वाहिश ट्राई की दहलीज पर दस्तक दे चुकी है, तभी तो ट्राई ने तय किया है कि डीटीएच में भी पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा आएगी. लेकिन कब?
ट्राई इस पर काफी पहले से विचार कर रहा है, लेकिन इसे लागू करने में उसे कुछ दिक्कतें हो रही हैं. 1 फरवरी से टैरिफ को लेकर नए नियम तो लागू हो चुके हैं, लेकिन पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधा डीटीएच में लाने में कई रुकावटें हैं. खैर, भले ही अभी डीटीएच में पोर्टेबिलिटी नहीं आई हो, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक ये सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी. इसके बाद शुरू होगी असली जंग और कंपनियों के बीच प्राइस वॉर का फायदा सीधे ग्राहकों को मिलेगा.
कैसे होगी पोर्टेबिलिटी?
1 फरवरी से लागू हो रहे टैरिफ नियम के तहत ट्राई ये पहले ही कह चुका है कि किसी भी ग्राहक को इस बात की आजादी होगी कि वह सेट टॉप बॉक्स डीटीएच ऑपरेटर और केबल ऑपरेटर से खरीदने के बजाय बाजार से भी खरीद सकें. इसी के साथ-साथ ट्राई इस प्लान पर भी काम कर रहा है कि इन सभी सेट टॉप बॉक्स में एक ही तकनीक का इस्तेमाल हो. सिर्फ कंपनियां अपना-अपना सॉफ्टवेयर अपडेट कर सकें. यानी अगर आप एक सर्विस प्रोवाइडर की सेवाएं छोड़कर दूसरे की सेवाएं लेंगे तो दूसरा प्रोवाइडर आपके उसी पुराने सेट-टॉप बॉक्स में अपना सॉफ्टवेयर डालकर उसे चालू कर देगा.
लोगों की शिकायतें दूर हो जाएंगी
अक्सर ही लोग किसी डीटीएच सर्विस प्रोवाइडर से परेशान होते हैं तो कई तरह की बातें कहते हैं, लेकिन चाहकर भी वह दोबारा काफी पैसे खर्च होने के डर से और डीटीएच की छतरी उखाड़ने-लगाने के झंझट से बचने के लिए प्रोवाइडर नहीं बदलते. लोग ऐसी ही कई शिकायतें करते हैं, जिनसे छुटकारा मिलेगा.
अगर किसी ग्राहक को लगेगा कि एक सर्विस प्रोवाइडर अधिक पैसों में कम सुविधा दे रहा है तो उसके पास दूसरे की सेवाएं लेने का विकल्प होगा. ठीक मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की तरह.
अभी तक डीटीएच कंपनियां अपनी मनमानी करती थीं और ग्राहकों को चैनल के पूरे पैकेज यानी बुके दिया करती थीं, लेकिन अब नए नियमों के मुताबिक ग्राहक चाहे तो किसी बुके का सिर्फ एक चैनल भी ले सकता है. यानी सिर्फ एक चैनल देखने के लिए उसे पूरे बुके के पैसे नहीं देने होंगे. जिस तरह चैनल देने में ग्राहकों को ठगा जाता था, कुछ वैसा ही पोर्टेबिलिटी ना होने की वजह से भी ग्राहक महसूस करते हैं.
पोर्टेबिलिटी की राह नहीं आसान
डीटीएच में पोर्टेबिलिटी लाने में सबसे बड़ा खतरा पाइरेसी का हो सकता है. दरअसल, सेट टॉप बॉक्स तो एक ही होगा, सिर्फ उसमें सॉफ्टवेयर अलग-अलग कंपनियां अपना-अपना डाल सकेंगी. इसकी वजह से डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स को पाइरेसी का खतरा है, जो पोर्टेबिलिटी की राह का रोड़ा बन सकता है. हालांकि, आज नहीं तो कल किसी न किसी तरीके से पोर्टेबिलिटी तो आना तय ही है.
जिस तरह मोबाइल में नंबर पोर्टेबिलिटी आने के बाद कंपनियों में अपने ग्राहकों को रोके रखने की होड़ शुरू हुई, कुछ वैसा ही आने वाले समय में डीटीएच में भी देखने को मिलेगा. महंगे टैरिफ देकर लोगों को फंसाने की मनमानी को तो ट्राई ने पहले ही खत्म कर दी है, अब बारी है पोर्टेबिलिटी की, जिसके बाद डीटीएच कंपनियां ग्राहकों को लूटने या फंसाने का सोचेंगी भी नहीं, क्योंकि तब ग्राहक के हाथों में सारी ताकत होगी. किसी भी डीटीएच कंपनी ने एक गलती की तो ग्राहक तुरंत अपना प्रोवाइडर बदल लेगा.
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