सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बनी हुई है. पहले डेटा लीक होने की बात, फिर फेसबुक का बयान और इकबाले जुर्म. कि हां, कंपनी यूजर के कॉल डिटेल्स और एसएमएस देखती है और सर्वर पर ये रिकॉर्ड भी करती है. फेसबुक ने हमेशा ये तर्क दिया कि ये सब काम सिर्फ और सिर्फ यूजर का एक्सपीरियंस बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है? अगर यूजर एक्सपीरियंस की ही बात करें तो कंपनी का हालिया फीचर फेस रिकॉग्निशन भी कुछ सही नहीं चल रहा है.
आजतक के टेक जर्नलिस्ट मुन्ज़िर का अनुभव कुछ अनूठा रहा. कोई अगर सलमान खान के रेस 3 का पोस्टर अपलोड कर रहा था तो नोटिफिकेशन मुन्ज़िर को मिल रहा था. फेसबुक बता रहा था कि किसी ने फोटो अपलोड की है, जिसमें शायद आप हैं.
मुन्ज़िर के लिए सीधी सी बात ये है कि वो सलमान खान तो है नहीं, और न ही इस नोटिफिकेशन से वे खुश हैं. बल्कि फेसबुक खुद अपने इस फीचर से खुश नहीं होगा. ये अनुभव तो उन थर्ड पार्टी एप के जैसा था, जो आपका डेटा लेकर आपके चेहरे को किसी स्टार से मिलाने की कोशिश करते हैं.
मुन्ज़िर कहते हैं कि वे इस बात से ज्यादा हैरान इसलिए हैं क्योंकि न तो उन्होंने कभी सलमान खान की फोटो अपने फेसबुक वॉल पर शेयर की और न ही वे सलमान खान के फैन हैं. हां, शाहरुख खान के फैन जरूर हैं और उनकी भी काफी पहले डीपी के तौर पर लगाई थी.
क्या करता है फेस रिकॉग्निशन फीचर..
फेसबुक ने पहले भी किसी न किसी तरह से फेसबुक रिकॉग्निशन फीचर का इस्तेमाल किया है. जैसे अगर आप कोई फोटो अपलोड कर रहे हैं तो फेसबुक आपको दोस्तों को टैग करने का ऑप्शन पूछेगा, लेकिन हाल ही में फेसबुक ने इसका अपडेटेड वर्जन रोल आउट किया है...
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बनी हुई है. पहले डेटा लीक होने की बात, फिर फेसबुक का बयान और इकबाले जुर्म. कि हां, कंपनी यूजर के कॉल डिटेल्स और एसएमएस देखती है और सर्वर पर ये रिकॉर्ड भी करती है. फेसबुक ने हमेशा ये तर्क दिया कि ये सब काम सिर्फ और सिर्फ यूजर का एक्सपीरियंस बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है? अगर यूजर एक्सपीरियंस की ही बात करें तो कंपनी का हालिया फीचर फेस रिकॉग्निशन भी कुछ सही नहीं चल रहा है.
आजतक के टेक जर्नलिस्ट मुन्ज़िर का अनुभव कुछ अनूठा रहा. कोई अगर सलमान खान के रेस 3 का पोस्टर अपलोड कर रहा था तो नोटिफिकेशन मुन्ज़िर को मिल रहा था. फेसबुक बता रहा था कि किसी ने फोटो अपलोड की है, जिसमें शायद आप हैं.
मुन्ज़िर के लिए सीधी सी बात ये है कि वो सलमान खान तो है नहीं, और न ही इस नोटिफिकेशन से वे खुश हैं. बल्कि फेसबुक खुद अपने इस फीचर से खुश नहीं होगा. ये अनुभव तो उन थर्ड पार्टी एप के जैसा था, जो आपका डेटा लेकर आपके चेहरे को किसी स्टार से मिलाने की कोशिश करते हैं.
मुन्ज़िर कहते हैं कि वे इस बात से ज्यादा हैरान इसलिए हैं क्योंकि न तो उन्होंने कभी सलमान खान की फोटो अपने फेसबुक वॉल पर शेयर की और न ही वे सलमान खान के फैन हैं. हां, शाहरुख खान के फैन जरूर हैं और उनकी भी काफी पहले डीपी के तौर पर लगाई थी.
क्या करता है फेस रिकॉग्निशन फीचर..
फेसबुक ने पहले भी किसी न किसी तरह से फेसबुक रिकॉग्निशन फीचर का इस्तेमाल किया है. जैसे अगर आप कोई फोटो अपलोड कर रहे हैं तो फेसबुक आपको दोस्तों को टैग करने का ऑप्शन पूछेगा, लेकिन हाल ही में फेसबुक ने इसका अपडेटेड वर्जन रोल आउट किया है जिसमें वो फोटो ऑप्शन भी दिखाए जाएंगे जिनमें आप टैग नहीं हैं.
ये फीचर फेसबुक पर अपलोड होने वाली हर फोटो को देखता है और किसी यूजर से इस फोटो को मैच करने की कोशिश करता है. यानी बिना टैग किए किसी ने आपकी फोटो अपलोड की है तो फेसबुक बता देगा कि किसने और कब की है.
जब भी कोई यूजर फेस रिकॉग्निशन या फिर टैग सजेशन फीचर का इस्तेमाल करता है तो सोशल नेटवर्क मशीन उस फोटो को एनालाइज करती है और चेहरे के पिक्सल देखती है. इसके बाद यूजर की शक्ल का एक टेम्प्लेट बनाया जाता है. फेसबुक इसे स्ट्रिंग ऑफ नंबर कहती है. हर यूजर का अपना अलग टेम्प्लेट होता है.
जब कोई नई फोटो अपलोड होती है तो फेसबुक उसकी तुलना टेम्प्लेट से करता है और अगर ये परफेक्ट मैच हुआ तो यूजर्स को नोटिफिकेशन जाता है कि उनकी फोटो अपलोड की गई है.
फायदे भी और नुकसान भी..
एक तरह से देखा जाए तो इसके फायदे भी हो सकते हैं. बिना टैग किए हुए आपकी कोई फोटो फेसबुक पर यूं हीं नहीं अपलोड हो रही. ये सुरक्षा के लिहाज से सही है क्योंकि ऐसा कई बार देखा गया है कि फोटो चोरी हो जाती है या उसका मीम बन जाता है. फोटोशॉप किया जाता है वगैराह-वगैराह.
नुकसान ये कि इस फीचर से पहली बात तो ये कि यूजर का और डेटा फेसबुक के पास जाएगा. जिस तरह से फेसबुक आजकल डेटा वॉर में घिरा हुआ है उससे तो लगता है कि ये डेटा आगे भी बहुत चीजों के लिए गलत इस्तेमाल में लाया जा सकता है. कई जगह बायोमेट्रिक डेटा का इस्तेमाल होता है ऐसे में एक गलती और यूजर के कई अकाउंट खोल दिए जा सकते हैं.
टेस्टिंग स्टेज पर फीचर..
फेसबुक का ये जो फीचर है ये अभी टेस्टिंग स्टेज पर है और इसमें काफी काम होना बाकी है. इसके अलावा, फेसबुक इस फीचर को अकाउंट लॉगइन के लिए इस्तेमाल करने के लिए भी टेस्ट कर रही है.
इस फीचर के लॉगइन सिक्योरिटी के तौर पर लाने का फेसबुक का कारण था कि अगर कोई अपना पासवर्ड भूल गया है तो अपने आप शक्ल दिखाकर लॉगइन हो जाए और लोगों को सहूलियत हो. लेकिन अगर फेस रिकॉग्निशन ने गलती की तो हो सकता है कि मुन्ज़िर जैसे किसी इंसान की शक्ल देखकर सलमान खान की फेसबुक प्रोफाइल अनलॉक हो जाए.
कुल मिलाकर बात सिर्फ इतनी सी है कि इस सिस्टम में अभी भी कई खामियां हैं और इसे पूरी तरह से लागू करने में फेसबुक को काफी समय लग जाएगा.
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