स्मार्टफोन आज की जिंदगी का अभिन्न अंग बन गया है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो ये पाएंगे कि अपने डिवाइस के बारे में ही काफी जानकारी ऐसी है जो खुद को ही नहीं पता होती. इसमें बहुत आम से सवाल होते हैं. पर इनके जवाब यूजर्स के काफी काम आ सकते हैं.
1. कौन सा प्रोसेसर है?
अगर आपके फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है और आप ये सोच रहे हैं कि अब तो फोन हैंग होगा ही नहीं तो जनाब आपको सोच बदलने की जरूरत है. अगर 2GB रैम वाले फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है तो वो हाई मेमोरी गेम्स खेलने में भी हैंग हो सकता है. कोई बड़ी बात नहीं कि आपका नया फोन आपको ऐसे परेशान करे. प्रोसेसर की पावर डबल कर लेने से फोन की पावर डबल नहीं होती. फोन की वर्किंग के लिए सॉफ्टवेयर भी उतना ही जिम्मेदार है.
इसी जगह अगर फोन का प्रोसेसर पुराना है (जो बहुत से 5000 रुपए से सस्ते वाले स्मार्टफोन्स में आ रहा है) तो यकीनन फोन की वर्किंग में थोड़ी दिक्कत होगी. सस्ते फोन्स में भी बेहतर प्रोसेसर का ऑप्शन उपलब्ध है. अपने फोन के प्रोसेसर की जानकारी रखें.
2. स्क्रीन रेजोल्यूशन क्या है?
फोन की स्क्रीन बहुत ब्राइट है, ग्राफिक्स के लिए बहुत अच्छी है, दिखने में बहुत अच्छा है, फोटो बहुत अच्छी दिखती है ये सब तो आम बात है, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आखिर स्क्रीन का रेजोल्यूशन कितना है? ये पता होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर आप फोन की ब्राइटनेस हमेशा कम कर रखते हैं (जो करना भी चाहिए) तो बहुत हाई रेजोल्यूशन वाले फोन की जरूरत ही नहीं. उसमें पैसे सिर्फ बर्बाद ही होंगे. अगर गेमिंग के शौकीन हैं तो हाई-रेजोल्यूशन वाले फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं.
3. एशिया के बाहर इस मॉडल की कितनी कीमत है?
अगर आपके पास कोई हाई एंड फ्लैगशिप फोन है तो ये...
स्मार्टफोन आज की जिंदगी का अभिन्न अंग बन गया है, लेकिन अगर गौर किया जाए तो ये पाएंगे कि अपने डिवाइस के बारे में ही काफी जानकारी ऐसी है जो खुद को ही नहीं पता होती. इसमें बहुत आम से सवाल होते हैं. पर इनके जवाब यूजर्स के काफी काम आ सकते हैं.
1. कौन सा प्रोसेसर है?
अगर आपके फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है और आप ये सोच रहे हैं कि अब तो फोन हैंग होगा ही नहीं तो जनाब आपको सोच बदलने की जरूरत है. अगर 2GB रैम वाले फोन में ऑक्टा-कोर प्रोसेसर है तो वो हाई मेमोरी गेम्स खेलने में भी हैंग हो सकता है. कोई बड़ी बात नहीं कि आपका नया फोन आपको ऐसे परेशान करे. प्रोसेसर की पावर डबल कर लेने से फोन की पावर डबल नहीं होती. फोन की वर्किंग के लिए सॉफ्टवेयर भी उतना ही जिम्मेदार है.
इसी जगह अगर फोन का प्रोसेसर पुराना है (जो बहुत से 5000 रुपए से सस्ते वाले स्मार्टफोन्स में आ रहा है) तो यकीनन फोन की वर्किंग में थोड़ी दिक्कत होगी. सस्ते फोन्स में भी बेहतर प्रोसेसर का ऑप्शन उपलब्ध है. अपने फोन के प्रोसेसर की जानकारी रखें.
2. स्क्रीन रेजोल्यूशन क्या है?
फोन की स्क्रीन बहुत ब्राइट है, ग्राफिक्स के लिए बहुत अच्छी है, दिखने में बहुत अच्छा है, फोटो बहुत अच्छी दिखती है ये सब तो आम बात है, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आखिर स्क्रीन का रेजोल्यूशन कितना है? ये पता होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर आप फोन की ब्राइटनेस हमेशा कम कर रखते हैं (जो करना भी चाहिए) तो बहुत हाई रेजोल्यूशन वाले फोन की जरूरत ही नहीं. उसमें पैसे सिर्फ बर्बाद ही होंगे. अगर गेमिंग के शौकीन हैं तो हाई-रेजोल्यूशन वाले फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं.
3. एशिया के बाहर इस मॉडल की कितनी कीमत है?
अगर आपके पास कोई हाई एंड फ्लैगशिप फोन है तो ये टिप जानना काफी जरूरी है. अब आईफोन को ही देख लीजिए. भारत में आईफोन X के सबसे महंगे मॉडल की कीमत 1 लाख 2 हजार (सबसे महंगे वेरिएंट की) है और यहीं हॉन्ग-कॉन्ग में इसकी कीमत 80,999 रुपए (9,888 हॉन्ग-कॉन्ग डॉलर) के आस-पास होगी. अब इतने में तो जनाब आप हॉन्ग-कॉन्ग जाकर खुद आईफोन X खरीद सकते हैं. फ्लाइट टिकट भी 20 हज़ार के अंदर (आना जाना) आ जाएगी.
4. मेगापिक्सल तो ठीक, लेकिन फोन में कौन का कैमरा सेंसर है?
ये सबसे आम धारणा है कि फोन का मेगापिक्सल ज्यादा है तो वो असल में ज्यादा बेहतर है. मेरे पास तो 21 मेगापिक्सल का फोन है, लेकिन पता नहीं फोटो क्यों सही नहीं आ रही, शायद सेटिंग में कोई गड़बड़ है. ऐसा शायद आपने भी सुना हो. ये स्मार्टफोन यूजर्स के द्वारा माना जाने वाला आम मिथक है जो सच नहीं है. ज्यादा मेगापिक्सल मतलब बड़ा फोटो साइज. फोटो क्वालिटी असल में कैमरा सेंसर की वजह से आती है. यही वजह है कि एंड्रॉइड फोन का 21 मेगापिक्सल भी आईफोन के 8 मेगापिक्सल से फीका हो जाता है.
तो अगर नया फोन खरीदना है तो ध्यान दें कि फोन में मेगापिक्सल ज्यादा होने के साथ-साथ बेहतर कैमरा सेंसर भी हो.
5. बाज़ार में फोन की रिसेल (Resale) वैल्यू क्या है?
फोन की रिसेल वैल्यू पता होना भी जरूरी है. कारण ये है कि अभी जो भी आपके पास डिवाइस होगा वो अगर खरीदे गए दाम से सिर्फ 6 महीने के अंदर काफी कम दाम में जा रहा है तो यकीनन फोन मॉडल और जिस कंपनी का फोन है उसकी रिसेल वैल्यू ज्यादा नहीं है. दो साल पुराने फोन के कम दाम मिलना ठीक है, लेकिन 6 महीने वाले फोन के? अगर आपकी आदत है जल्दी-जल्दी फोन बदलने की तो नया मॉडल खरीदने से पहले ध्यान दें कि कौन सा फोन बेहतर रिटर्न दे सकता है.
6. रैम कितनी है?
ज्यादा रैम है तो फोन हैंग नहीं होगा? अब ये भी गलत धारणा है. अगर ज्यादा रैम है तो भी फोन में बेहतर प्रोसेसर होना चाहिए. आईफोन की ही बात कर लीजिए. आईफोन में दो साल पहले तक 1GB रैम ही आती थी फिर भी कई एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स से आगे रहता था वो. अब अगर यहीं बात की जाए 4GB रैम वाले स्मार्टफोन की तो वो भी हैंग होता है. अगर आपके स्मार्टफोन में रैम ज्यादा है और प्रोसेसर ही कमजोर है तो ज्यादा रैम का इस्तेमाल भी आप ठीक से नहीं कर पाएंगे.
7. फोन पर कितना समय बिताते हैं आप?
ये सोचना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे ये पता चलेगा कि कहीं आप स्मार्टफोन एडिक्ट तो नहीं? क्या आप ड्राइविंग करते समय फोन का इस्तेमाल करते हैं? क्या आप खाना खाते समय फोन का इस्तेमाल करते हैं? कितने समय के लिए अपने फोन से दूर रह सकते हैं? कितने समय के लिए वो साइलेंट रहता है? पावर बैंक का इस्तेमाल कितना करते हैं? कोई जरूरी काम करते हुए जैसे ऑफिस के लिए तैयार होते हुए क्या आप फोन में समय बर्बाद करते हैं? क्या उठने के बाद सबसे पहले फोन देखते हैं, सोशल मीडिया अकाउंट चेक करते हैं? अगर ऐसे छोटे-छोटे सवालों के जवाब हां हैं तो वाकई अब सोचने की जरूरत है.
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