आने वाले कुछ सालों में स्पेस टूरिज्म यानी अंतरिक्ष की सैर का सपना जल्द ही भारत में भी पूरा किया जा सकेगा. क्योंकि, इसरो (ISRO) ने अब अपने पंख स्पेस टूरिज्म के मल्टी-मिलियन डॉलर बाजार में फैलाने की तैयारी कर दी है. दरअसल, साइंस और टेक्नॉलजी मिनिस्टर डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा है कि 'भारत की अंतरिक्ष एजेंसी यानी इसरो स्पेस टूरिज्म की दिशा में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है. और, इस समय इसरो दुनिया के 61 देशों के साथ अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है. स्पेस टूरिज्म के साथ ही अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए प्राइवेट सेक्टर के साथ संबंध स्थापित करने की कोशिश की जा रही है.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत अपनी 'स्वदेशी' क्षमताओं से स्पेस टूरिज्म में दावेदारी ठोंकने को तैयार है.
प्राइवेट खिलाड़ियों को मौका, लेकिन फायदा ISRO का
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा है कि 'इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के जरिये प्राइवेट सेक्टर को अंतरिक्ष गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. जिसमें स्पेस टूरिज्म भी शामिल होगा. IN-SPACe एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार करेगी, जिसमें इसरो के सेंटर्स की टेक्निकल फैसल्टीज और विशेषज्ञता को प्राइवेट प्लेयर्स के साथ साझा किया जाएगा.' हो सकता है कि जितेंद्र सिंह के इस बयान पर भी इसरो के प्राइवेटाइजेशन की बात उठा ही दी जाए. क्योंकि, विपक्ष हमेशा से ही ऐसे मुद्दों को उठाता रहता है. लेकिन, स्पेस टूरिज्म के मल्टी-मिलियन डॉलर बाजार में खुद को बनाए रखने के लिए प्राइवेट खिलाड़ियों की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
आने वाले कुछ सालों में स्पेस टूरिज्म यानी अंतरिक्ष की सैर का सपना जल्द ही भारत में भी पूरा किया जा सकेगा. क्योंकि, इसरो (ISRO) ने अब अपने पंख स्पेस टूरिज्म के मल्टी-मिलियन डॉलर बाजार में फैलाने की तैयारी कर दी है. दरअसल, साइंस और टेक्नॉलजी मिनिस्टर डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा है कि 'भारत की अंतरिक्ष एजेंसी यानी इसरो स्पेस टूरिज्म की दिशा में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है. और, इस समय इसरो दुनिया के 61 देशों के साथ अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है. स्पेस टूरिज्म के साथ ही अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए प्राइवेट सेक्टर के साथ संबंध स्थापित करने की कोशिश की जा रही है.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत अपनी 'स्वदेशी' क्षमताओं से स्पेस टूरिज्म में दावेदारी ठोंकने को तैयार है.
प्राइवेट खिलाड़ियों को मौका, लेकिन फायदा ISRO का
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा है कि 'इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) के जरिये प्राइवेट सेक्टर को अंतरिक्ष गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. जिसमें स्पेस टूरिज्म भी शामिल होगा. IN-SPACe एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार करेगी, जिसमें इसरो के सेंटर्स की टेक्निकल फैसल्टीज और विशेषज्ञता को प्राइवेट प्लेयर्स के साथ साझा किया जाएगा.' हो सकता है कि जितेंद्र सिंह के इस बयान पर भी इसरो के प्राइवेटाइजेशन की बात उठा ही दी जाए. क्योंकि, विपक्ष हमेशा से ही ऐसे मुद्दों को उठाता रहता है. लेकिन, स्पेस टूरिज्म के मल्टी-मिलियन डॉलर बाजार में खुद को बनाए रखने के लिए प्राइवेट खिलाड़ियों की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
क्योंकि, अंतरिक्ष गतिविधियों को लेकर केंद्र सरकार अरबों डॉलर का निवेश अकेले अपने दम पर करने में सक्षम नहीं कही जा सकती है. और, निवेश के लिए प्राइवेट कंपनियों की जरूरत पड़ेगी ही. आसान शब्दों में कहा जाए, तो प्राइवेट खिलाड़ियों के लिए एक मौका होगा कि वह भारत में भी खुद को स्पेस टूरिज्म के एक बड़े ब्रांड के तौर पर खुद को स्थापित कर सकें. और, इससे होने वाला लाभ भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के साथ ही इसरो के खाते में जाएगा. प्राइवेट कंपनियों को इसरो की सुविधाएं देने से स्पेस टूरिज्म को बढ़ावा ही मिलेगा. क्योंकि, स्पेस टूरिज्म का सपना फिलहाल आम आदमी के लिए तो नही ही है. और, दुनिया के रईसों के स्पेस टूरिज्म के शौक से इसरो भी अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकेगा.
अंतरिक्ष यात्रा के लिए स्वदेशी स्पेस शटल बनाने की तैयारी
इसरो ने इसी साल मई महीने में अपने स्वदेशी स्पेस शटल को के बूस्टर का परीक्षण किया था. जो भारत के पहले एस्ट्रोनॉट मिशन में काम आएगा. गगनयान पहला स्वदेशी स्पेसक्राफ्ट होगा, जो भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को लेकर स्पेस में जाएगा. और, सफलता से धरती पर वापस आएगा. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसरो ने अपने स्वदेशी स्पेस शटल गगनयान को आरएलवी यानी रियूजेबल लॉन्च व्हीकल की तकनीक से तैयार किया है. जो दोबारा भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है. आसान शब्दों में कहें, तो स्पेस टूरिज्म के लिए आरएलवी को ही इस्तेमाल किया जाएगा. वैसे, इसरो ने अपनी खासियत के हिसाब से ही इस स्वदेशी स्पेस शटल को भी कम निवेश और कम कीमत पर तैयार किया है. हालांकि, अभी आरएलवी का परीक्षण ही किया जा रहा है. लेकिन, इसके परीक्षण लगातार सफल हो रहे हैं.
वर्जिन गैलेक्टिक, ब्लू ओरिजन और SpaceX जैसे महारथियों की कतार में इसरो
बीते कुछ सालों में स्पेस टूरिज्म के मल्टी-मिलियन बाजार पर दुनिया के कुछ रईसों का कब्जा है. दुनिया के सबसे अमीर शख्स और टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क स्पेस टूरिज्म के लिए अपनी कंपनी SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के बारे में जानकारियां साझा करते रहते हैं. दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजन भी स्पेस टूरिज्म की एक बड़ी खिलाड़ी है. और, शेपर्ड स्पेसक्राफ्ट के जरिये लोगों को अंतरिक्ष की सैर करा रही है. वर्जिन गैलेक्टिक के मालिक रिचर्ड ब्रैन्सन भी लोगों को अंतरिक्ष यात्रा पर भेजते हैं. कहना गलत नहीं होगा कि भारत की स्पेस एजेंसी इसरो के इस मार्केट में आने से प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनियों का दबदबा कम होगा. क्योंकि, स्पेस टूरिज्म के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. लेकिन, इसरो के इस क्षेत्र में उतरने से विदेशी यात्रियों को भी सस्ती अंतरिक्ष यात्रा का मौका मिल सकता है.
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