अक्सर मन में ख्याल आता है कि जब हम बच्चे थे तो कितना सुहाना समय था. स्मार्टफोन, टैब, कम्प्यूटर से दूर साइकल और नानी के घर के बीच हमारा बचपन बहुत अच्छा था, लेकिन क्या यही बात अपने बच्चों के लिए कही जा सकती है. हाल ही में एक स्टडी आई है जिसके अनुसार 13 साल के बच्चे भी स्मार्टफोन एडिक्ट हो गए हैं. ब्रिटेन में की गई इस स्टडी में सामने आया है कि 7 साल के बच्चों के पास भी यहां खुद का फोन होता है.
भारत में भी बुरा है हाल....
पिछले साल लीलावती हॉस्पिटल द्वारा की गई स्टडी में ये बात सामने आई थी कि करीब 50 प्रतिशत भारतीय बच्चों के रीढ़ की हड्डी की समस्या है क्योंकि वो स्मार्टफोन के बिना नहीं रह सकते. इसी तरह एक कार्टून चैनल की रिसर्च के अनुसार भारत में 96% बच्चे ऐसे घरों में रह रहे हैं जहां मोबाइल फोन इस्तेमाल होता है और इनमें से 73% मोबाइल फोन यूजर हैं और रोज मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं.
ये तो हुई एडिक्शन की बात, लेकिन आपका बच्चा स्मार्टफोन एडिक्शन के साथ करता क्या है? दिनभर स्मार्टफोन पर किस तरह की पोस्ट फेसबुक पर आती है, कैसे मैसेज वॉट्सऐप पर कैसे मैसेज वायरल हो रहे हैं. क्रोम पर किस तरह की साइट्स खोली जा रही हैं?
पिछले साल NSPCC (National Society for the Prevention of Cruelty to Children) की एक रिपोर्ट आई थी. इसमें कुछ चौंकाने वाले खुलासे सामने आए थे....
- 11 से 16 साल के 53% बच्चों ने ऑनलाइन अश्लील सामग्री देखी है. इनमें से 94% बच्चों ने 14 साल की उम्र में पोर्न देखा.
- 15-16 साल के 65% बच्चों ने और 11-12 साल के 28% बच्चों ने ऑनलाइन पोर्न देखा है.
- शोध से ये भी पता लगा कि 28% बच्चों के सामने ये अश्लील सामग्री अचानक पॉपअप विज्ञापनों के माध्यम से पहुंची.
- 53% लड़कों और 39% लड़कियों ने...
अक्सर मन में ख्याल आता है कि जब हम बच्चे थे तो कितना सुहाना समय था. स्मार्टफोन, टैब, कम्प्यूटर से दूर साइकल और नानी के घर के बीच हमारा बचपन बहुत अच्छा था, लेकिन क्या यही बात अपने बच्चों के लिए कही जा सकती है. हाल ही में एक स्टडी आई है जिसके अनुसार 13 साल के बच्चे भी स्मार्टफोन एडिक्ट हो गए हैं. ब्रिटेन में की गई इस स्टडी में सामने आया है कि 7 साल के बच्चों के पास भी यहां खुद का फोन होता है.
भारत में भी बुरा है हाल....
पिछले साल लीलावती हॉस्पिटल द्वारा की गई स्टडी में ये बात सामने आई थी कि करीब 50 प्रतिशत भारतीय बच्चों के रीढ़ की हड्डी की समस्या है क्योंकि वो स्मार्टफोन के बिना नहीं रह सकते. इसी तरह एक कार्टून चैनल की रिसर्च के अनुसार भारत में 96% बच्चे ऐसे घरों में रह रहे हैं जहां मोबाइल फोन इस्तेमाल होता है और इनमें से 73% मोबाइल फोन यूजर हैं और रोज मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं.
ये तो हुई एडिक्शन की बात, लेकिन आपका बच्चा स्मार्टफोन एडिक्शन के साथ करता क्या है? दिनभर स्मार्टफोन पर किस तरह की पोस्ट फेसबुक पर आती है, कैसे मैसेज वॉट्सऐप पर कैसे मैसेज वायरल हो रहे हैं. क्रोम पर किस तरह की साइट्स खोली जा रही हैं?
पिछले साल NSPCC (National Society for the Prevention of Cruelty to Children) की एक रिपोर्ट आई थी. इसमें कुछ चौंकाने वाले खुलासे सामने आए थे....
- 11 से 16 साल के 53% बच्चों ने ऑनलाइन अश्लील सामग्री देखी है. इनमें से 94% बच्चों ने 14 साल की उम्र में पोर्न देखा.
- 15-16 साल के 65% बच्चों ने और 11-12 साल के 28% बच्चों ने ऑनलाइन पोर्न देखा है.
- शोध से ये भी पता लगा कि 28% बच्चों के सामने ये अश्लील सामग्री अचानक पॉपअप विज्ञापनों के माध्यम से पहुंची.
- 53% लड़कों और 39% लड़कियों ने सेक्स की वास्विक चित्रण देखा था.
- 13-14 साल के 39% बच्चों को इन्हीं तस्वीरों के माध्यम से ही सेक्स की जानकारी मिली. जबकि 15-16 साल के 42% बच्चों का कहना था कि वो तस्वीरों में देखे गए व्यवहार की नकल करना चाहते थे.
- लड़कियों का तुलना में लड़कों ने अपनी मर्जी से ऑनलाइन पोर्न सामग्री देखी.
- 14% बच्चों का मानना था कि उन्होंने खुद की नग्न और अर्धनग्न तस्वीरें खींचीं, और इनमें से आधों(7%) ने उन्हें शेयर भी किया.
- पोर्न देखने वाले इन बच्चों में से 38% ने पहली बार पोर्न लैपटॉप पर देखा, 33% ने मोबाइल पर और 24% ने डेस्कटॉप कंप्यूटर पर पोर्न देखा.
- पहली बार जब बच्चों ने पोर्न देखा तो उन्हें गंदा लगा, वो हैरान और परेशान हो गए. लेकिन 10 में 4 बच्चों का कहना था कि उन्होंने एक सप्ताह में कई बार पोर्न देखा.
हम अक्सर बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलते देखते हैं, लेकिन कभी नहीं सोचते कि खेल-खेल में कोई अश्लील विज्ञापन उन्हें अपनी तरफ आकर्षित कर रहा होता है. तो कैसे पता लगाया जाए कि आपके बच्चे कैसी-कैसी चीजें देख रहे हैं?
अगर आपका बच्चा देख रहा है पोर्न तो ऐसे लगाएं पता...
1. एप्स के जरिए-
फोन में अगर बच्चे पोर्न देख रहे हैं तो हिस्ट्री डिलीट करना भी जानते होंगे. ऐसे समय पर आपकी मदद कुछ खास एप्स कर सकते हैं. ध्यान रहे इन एप्स का इस्तेमाल तब तक ना करें जब तक आपको पूरी तरह से यकीन ना हो जाए कि आपका बच्चा कुछ गलत कर रहा है. Covenant Eyes, Kids Place – Parental Control, Abeona – Parental Control & Device Monitor जैसे एप्स हैं जो ऐसा करने में आपकी मदद कर सकते हैं.
ध्यान रहे इनमें से कुछ एप्स सारे एप्स पर कंट्रोल सेट करते हैं और कुछ लॉग, सर्च हिस्ट्री आदि पर.
2. कुकीज के जरिए-
एंड्रॉइड स्मार्टफोन में करें ये सेटिंग-
अगर आपको कुकीज देखनी हैं तो अपने फोन को पहले डेवलपर मोड में डालना होगा. इसके लिए सबसे पहले सेटिंग्स> अबाउट फोन में जाकर> बिल्ड नंबर पर 7 बार क्लिक करना होगा. इसके बाद अपने फोन को किसी भी लैपटॉप या सिस्टम से कनेक्ट करना होगा जिसमें क्रोम हो. अब क्रोम के यूआरएल में chrome://inspect/#devices टाइप करना होगा. यहां जाकर डिवाइस पर क्लिक करते ही उसी तरह कुकीज देखी जा सकती हैं जैसे क्रोम में देखते हैं यानि Cookies> Content settings> All content data में जाकर. यहां आपको हिस्ट्री डिलीट करने के बाद भी वो सभी साइट्स मिल जाएंगी जिन्हें सर्च किया गया है.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.