मोबाइल इस्तेमाल करने वाला लगभग हर शख्स कभी न कभी इस बात से जरूर परेशान होता है कि नेटवर्क की क्वालिटी बहुत घटिया है. रिलायंस जियो के अधिकतर ग्राहकों की यही शिकायत रहती है कि कंपनी के प्लान तो शानदार हैं, लेकिन नेटवर्क हर जगह नहीं पहुंचता. लेकिन जल्द ही आपकी इस दिक्कत का समाधान करने आ रही है एक नई तकनीक, जिसे दूरसंचार आयोग ने मंजूरी भी दे दी है. इस तकनीक की मदद से आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए ही फोन कर सकेंगे. इस नई सर्विस को इंटरनेट टेलीफोनी कहा जाता है, जिसके लिए ट्राई ने पिछले साल अक्टूबर में ही सुझाव दिया था. इस तकनीक के लिए सर्विस प्रोवाइडर्स को अलग से लाइसेंस दिया जाएगा. आइए जानते हैं इसके बारे में और भी कुछ बातें.
क्या है इंटरनेट टेलीफोनी?
इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आप इंटरनेट की मदद से किसी भी मोबाइल या लैंडलाइन पर कॉल कर सकते हैं. यानी आपके मोबाइल में नेटवर्क हों या ना हों, आप किसी वाईफाई से अपने फोन को जोड़कर भी किसी को कॉल कर सकेंगे. इसके लिए एक खास ऐप की जरूरत होगी, जिसका अपना खुद का एक अलग 10 अंकों का नंबर होगा. मौजूदा समय में वाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर जैसे ऐप्स भी इंटरनेट कॉलिंग की सुविधा देते हैं, लेकिन इनसे सिर्फ ऐप से ऐप पर ही कॉल किया जा सकता है, ना कि किसी के मोबाइल या लैंडलाइन पर. यानी इस तकनीक के आने के बाद इन ऐप्स के बिजनेस पर असर पड़ना तय है. मौजूदा समय में स्काइप इंटरनेट टेलीफोनी की तकनीक पर ही काम करता है, जिसका बिजनेस अब प्रभावित होने की संभावना है.
BSNL ने पिछले साल ही लॉन्च कर दी थी ये तकनीक
यूं तो इस तकनीक को अब जाकर दूरसंचार आयोग की मंजूरी मिली है, लेकिन...
मोबाइल इस्तेमाल करने वाला लगभग हर शख्स कभी न कभी इस बात से जरूर परेशान होता है कि नेटवर्क की क्वालिटी बहुत घटिया है. रिलायंस जियो के अधिकतर ग्राहकों की यही शिकायत रहती है कि कंपनी के प्लान तो शानदार हैं, लेकिन नेटवर्क हर जगह नहीं पहुंचता. लेकिन जल्द ही आपकी इस दिक्कत का समाधान करने आ रही है एक नई तकनीक, जिसे दूरसंचार आयोग ने मंजूरी भी दे दी है. इस तकनीक की मदद से आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए ही फोन कर सकेंगे. इस नई सर्विस को इंटरनेट टेलीफोनी कहा जाता है, जिसके लिए ट्राई ने पिछले साल अक्टूबर में ही सुझाव दिया था. इस तकनीक के लिए सर्विस प्रोवाइडर्स को अलग से लाइसेंस दिया जाएगा. आइए जानते हैं इसके बारे में और भी कुछ बातें.
क्या है इंटरनेट टेलीफोनी?
इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आप इंटरनेट की मदद से किसी भी मोबाइल या लैंडलाइन पर कॉल कर सकते हैं. यानी आपके मोबाइल में नेटवर्क हों या ना हों, आप किसी वाईफाई से अपने फोन को जोड़कर भी किसी को कॉल कर सकेंगे. इसके लिए एक खास ऐप की जरूरत होगी, जिसका अपना खुद का एक अलग 10 अंकों का नंबर होगा. मौजूदा समय में वाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर जैसे ऐप्स भी इंटरनेट कॉलिंग की सुविधा देते हैं, लेकिन इनसे सिर्फ ऐप से ऐप पर ही कॉल किया जा सकता है, ना कि किसी के मोबाइल या लैंडलाइन पर. यानी इस तकनीक के आने के बाद इन ऐप्स के बिजनेस पर असर पड़ना तय है. मौजूदा समय में स्काइप इंटरनेट टेलीफोनी की तकनीक पर ही काम करता है, जिसका बिजनेस अब प्रभावित होने की संभावना है.
BSNL ने पिछले साल ही लॉन्च कर दी थी ये तकनीक
यूं तो इस तकनीक को अब जाकर दूरसंचार आयोग की मंजूरी मिली है, लेकिन बीएसएनएल ने इसे पिछले साल ही लॉन्च कर दिया था. उस समय रिलायंस जियो ने बीएसएनएल का विरोध करते हुए ट्राई में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. जियो के मुताबिक बीएसएनएल ने लाइसेंसिंग एग्रिमेंट का उल्लंघन किया था. भारत सरकार ने इंटरनेट टेलीफोनी को मंजूरी दे दी है, जो एक बड़ा कदम है. इसे कई देशों में सुरक्षा कारणों के चलते बैन भी किया हुआ है.
सुरक्षा के साथ खिलवाड़ तो नहीं साबित होगी ये तकनीक?
जब से इंटरनेट टेलीफोनी के बात शुरू हुई है, तभी से इसे सुरक्षा की एक बहस भी शुरू हो गई है. यहां तक कि कई देशों में तो इसे बैन भी किया हुआ है. यहां एक सवाल ये उठता है कि जब कई देशों ने इसे बैन किया है, तो फिर भारत में इसे लागू करने का प्लान क्यों बनाया जा रहा है? दरअसल, इस तकनीक का कोई गलत इस्तेमाल ना हो, इसके लिए ट्राई ने इसे खास नंबर से जोड़ने का प्रस्ताव रखा था, जो मोबाइल नंबर जैसा होगा.
यानी इस सेवा के तहत आप जो ऐप डाउनलोड करेंगे, उसका अपना एक अलग नंबर होगा और अगर इंटरनेट टेलीफोनी का कोई गलत इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा तो उसे तुरंत पकड़ा जा सकता है. मौजूदा समय में बहुत से अपराधी इस तकनीक का इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं. यह कॉल इंटरनेट के जरिए मोबाइल पर आती है, इसलिए यह पता नहीं लग पाता कि कॉल किसने की है. कॉल कहां से आई है ये भी पता करना बहुत मुश्किल होता है. इन्हीं सब समस्याओं का समाधान करने के लिए इसके तहत ऐप डाउनलोड करना होगा, जिसके साथ-साथ आपको एक यूनीक नंबर भी दिया जाएगा. ऐसे में गलत इस्तेमाल होने पर व्यक्ति को ट्रैक करना आसान होगा.
ये भी पढ़ें-
आखिर कितना जरूरी था फ्लाइट से कॉल करना?
भारत में ड्रोन उड़ाने से पहले ये जान लें वरना पछताना पड़ सकता है..
सैरोगेसी से दो कदम आगे की बात है कृत्रिम गर्भ
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.