रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग वेबसाइट irctc.co.in पूरी तरह से नए डिजाइन में लॉन्च हो चुकी है. जिस तरह पहली बार किसी रेलवे स्टेशन पर जाकर कोई शख्स इधर-उधर झांकता नजर आता है, ठीक वैसा ही अभी IRCTC की नई वेबसाइट पर भी हो रहा है. पहली बार किसी स्टेशन पर पहुंचते ही पहले टिकट की लाइन ढूंढो, ना मिले तो पूछताछ का काउंटर ढूंढो और कई बार तो पूछताछ का काउंटर ढूंढने में ही कई लोगों से पूछताछ करनी पड़ जाती है. अभी ऐसा ही आलम IRCTC की वेबसाइट पर है. ट्रेनों की लिस्ट तो आसानी से खुल जाती है, लेकिन बुकिंग हिस्ट्री, टीडीआर फाइलिंग और रिफंड जैसे विकल्प के लिए लोग एक दूसरे से पूछताछ ही कर रहे हैं. जब कभी किसी वेबसाइट पर कोई बदलाव होता है, तो उसे चलाने में शुरुआत में थोड़ी दिक्कत तो होती ही है, लेकिन रेलवे की वेबसाइट पर दिक्कत होने का मतलब कई लोगों का बड़ा नुकसान हो जाता है. खुद को बेहतर बनाने के लिए IRCTC की वेबसाइट कई बार बदल चुकी है, लेकिन हर बार सिर्फ हमारी परेशानियां ही अपग्रेड हुई हैं. टिकट बुक कराने में दिक्कत हमेशा ही रहती है, खासकर तत्काल की टिकट. चलिए एक नजर डालते हैं आईआरसीटीसी के आखिरी तीन बदलाव पर.
ये है नई वेबसाइट का डिजाइन
रेलवे ने नई वेबसाइट को एयरलाइंस वेबसाइट जैसा डिजाइन देने की कोशिश की है. इससे पहले की वेबसाइट्स में बिना लॉगिन किए ट्रेन सर्च करने का विकल्प नहीं मिलता था, लेकिन इस वेबसाइट में आप सीधे ट्रेन सर्च कर के सीटों की उपलब्धता देख सकते हैं. जब आप टिकट बुक करेंगे तो आपको लॉगिन करना होगा. नई वेबसाइट में सबसे खास चीज ये है कि इसमें आप ये जान सकते हैं कि वेटिंग लिस्ट की टिकट के कनफर्म होने की कितनी फीसदी उम्मीद है. नई वेबसाइट को डिजाइन करते...
रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग वेबसाइट irctc.co.in पूरी तरह से नए डिजाइन में लॉन्च हो चुकी है. जिस तरह पहली बार किसी रेलवे स्टेशन पर जाकर कोई शख्स इधर-उधर झांकता नजर आता है, ठीक वैसा ही अभी IRCTC की नई वेबसाइट पर भी हो रहा है. पहली बार किसी स्टेशन पर पहुंचते ही पहले टिकट की लाइन ढूंढो, ना मिले तो पूछताछ का काउंटर ढूंढो और कई बार तो पूछताछ का काउंटर ढूंढने में ही कई लोगों से पूछताछ करनी पड़ जाती है. अभी ऐसा ही आलम IRCTC की वेबसाइट पर है. ट्रेनों की लिस्ट तो आसानी से खुल जाती है, लेकिन बुकिंग हिस्ट्री, टीडीआर फाइलिंग और रिफंड जैसे विकल्प के लिए लोग एक दूसरे से पूछताछ ही कर रहे हैं. जब कभी किसी वेबसाइट पर कोई बदलाव होता है, तो उसे चलाने में शुरुआत में थोड़ी दिक्कत तो होती ही है, लेकिन रेलवे की वेबसाइट पर दिक्कत होने का मतलब कई लोगों का बड़ा नुकसान हो जाता है. खुद को बेहतर बनाने के लिए IRCTC की वेबसाइट कई बार बदल चुकी है, लेकिन हर बार सिर्फ हमारी परेशानियां ही अपग्रेड हुई हैं. टिकट बुक कराने में दिक्कत हमेशा ही रहती है, खासकर तत्काल की टिकट. चलिए एक नजर डालते हैं आईआरसीटीसी के आखिरी तीन बदलाव पर.
ये है नई वेबसाइट का डिजाइन
रेलवे ने नई वेबसाइट को एयरलाइंस वेबसाइट जैसा डिजाइन देने की कोशिश की है. इससे पहले की वेबसाइट्स में बिना लॉगिन किए ट्रेन सर्च करने का विकल्प नहीं मिलता था, लेकिन इस वेबसाइट में आप सीधे ट्रेन सर्च कर के सीटों की उपलब्धता देख सकते हैं. जब आप टिकट बुक करेंगे तो आपको लॉगिन करना होगा. नई वेबसाइट में सबसे खास चीज ये है कि इसमें आप ये जान सकते हैं कि वेटिंग लिस्ट की टिकट के कनफर्म होने की कितनी फीसदी उम्मीद है. नई वेबसाइट को डिजाइन करते हुए यह भी पूरा ध्यान दिया गया है कि रेलवे गूगल के विज्ञापन से भी खूब कमाई करे. आईआरसीटीसी ने नई वेबसाइट में बिना लॉगिन किए ट्रेन सर्च करने और टिकट कनफर्म होने की प्रोबेबिलिटी पता करने पर खासतौर पर फोकस किया है और यही इसमें नया भी है. खैर, ये प्रोबेबिलिटी का चक्कर कितना सटीक है, ये तो वक्त ही बताएगा.
इससे पहले कैसी थी IRCTC?
इससे पहले की वेबसाइट में होम पेज यानी पहला पेज ही लॉगिन का था. यानी अगर आप लॉगिन नहीं करते हैं तो टिकट बुक करना तो दूर की बात है, आप ट्रेन तक सर्च नहीं कर सकेंगे. लॉगिन करने के बाद आपको ट्रेन सर्च करनी होती थी और ट्रेन पसंद कर के टिकट बुक करनी होती थी. इस वेबसाइट में सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि अगर थोड़ी देर तक आप वेबसाइट पर कोई एक्टिविटी नहीं करते थे. तो वेबसाइट से आप लॉग आउट हो जाते थे. यानी दोबारा टिकट देखने के लिए फिर से लॉगिन करना पड़ता था और पूरी प्रक्रिया दोहरानी पड़ती थी. नई वेबसाइट इस समस्या का समाधान करती है, लेकिन तत्काल में टिकट बुक करना अभी भी टेढ़ी खीर ही समझिए.
उससे पुरानी वेबसाइट तो और भी खराब थी
अगर आप इससे भी पुरानी वेबसाइट पर जाएं तो उसमें और भी दिक्कतें थें. उसका डिजाइन तो लगभग पुरानी वाली वेबसाइट जैसा ही था, लेकिन टिकट बुक करने में कठिनाई होती थी. ये कठिनाई डिजाइन के लेवल पर भी थी, यूजर इंटरफेस के लेवल पर भी थी और तकनीकी स्तर पर भी थी. इसी कठिनाई को खत्म करने के लिए नया डिजाइन लाया गया था. लेकिन दिक्कत तब भी खत्म नहीं हुई.
डिजाइन-तकनीक तो बदली, लेकिन बदला कुछ नहीं
जब 2002 में आईआरसीटीसी शुरू हुई थी, तब एक दिन में 29 टिकट बुक की गई थीं. आज के समय में एक दिन के अंदर 13 लाख टिकटें बुक होती हैं. जून 2015 में ही आईआरसीटीसी ने ई-टिकटिंग सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए 5 नए सर्वर लगाए थे. इसके बाद वेबसाइट की क्षमता एक साथ 3 लाख यूजर्स को संभालने की हो गई थी. इससे पहले यह संख्या 1.8 लाख तक सीमित थी. आईआरसीटीसी ने डिजाइन और तकनीक दोनों ही बदल दिए, लेकिन टिकट बुक करने में अभी भी दिक्कतें होती ही हैं.
आईआरसीटीसी ने नया डिजाइन तो लॉन्च कर दिया है, लेकिन लोगों को कई दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. देखिए लोग क्या-क्या कह रहे हैं.
आईआरसीटीसी का नया डिजाइन एक मजाक है. ये काफी कठिन है और वेबसाइट काम भी नहीं कर रही है.
आईआरसीटीसी इस समय देश का सबसे बड़ा घोटाला हो गई है. ऐसा लगता है जैसे इस पर सिर्फ एजेंट्स को ही टिकट बुक करने की इजाजत है. पीएम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन हम डिजिटल तरीके से एक टिकट तक बुक नहीं कर सकते.
ये नए डिजाइन की साइट सिर्फ पेटीएम को फायदा पहुंचान के लिए लाई गई है. कई बार साइट नहीं खुल रही है, लेकिन पेटीएम के जरिए टिकट बुक हो जा रही है. ये देश पूंजीवादियों के हाथों में सौंप दिया गया है.
तत्काल के दौरान टिकट बुक करने में साइट सही से काम नहीं कर रही है. कैप्चा के साथ भी दिक्कतें आ रही हैं.
लोगों को नए डिजाइन को समझने में अभी दिक्कत हो रही है. इसकी वजह से जो लोग पहले तेजी से टिकट बुक कर लिया करते थे अब उन्हें चीजें ढूंढ़ने में समय लग रहा है. अभी ये डिजाइन बिल्कुल नया है, इसलिए कई सारी दिक्कतें भी आ रही हैं, जिन्हें यूजर्स सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं. खैर, तकनीक बदलती रही है और आगे भी बदलेगी, लेकिन उसे आसान बनाना जरूरी है वरना लोग उसे अपनाएंगे नहीं. अभी आईआरसीटीसी को भी यह बात समझनी होगी. आईआरसीटीसी पर जाने का सभी का सिर्फ एक मकसद होता है, टिकट बुक करना, लेकिन अगर वो भी पूरा ना हो तो यूजर नाराज तो होगा ही.
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