JN में रविवार की शाम से लेकर देर रात तक जो तांडव (JN Violence) चला है अब उसके जिम्मेदार लोगों के नाम सामने लाने की कवायद शुरू हो गई है. एक ओर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच टीम मामले की तफ्तीश में जुटी है तो दूसरी ओर सोशल मीडिया (Social Media) ने अपनी खोजी पत्रकारिता दिखानी शुरू कर दी है. हालांकि, सोशल मीडिया जैसे-जैसे सबूत पेश कर रहा है, उनके आधार पर पुलिस तो कार्रवाई शायद ही करे, क्योंक उन्हें पुख्ता सबूत नहीं माना जा सकता, लेकिन सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है. राइट विंग लेफ्ट को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो लेफ्ट के लोग एबीवीपी को इस हिंसा का सूत्रधार बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर कोई नकाबपोश लोगों की आंखों का मिलान तमाम तस्वीरों से कर रहा है तो कोई वाट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट के जरिए ये साबित करना चाहता है कि दोषी कौन है. खैर, सोशल मीडिया पर तस्वीर देखकर रेटिना स्कैन करने का विकल्प तो है नहीं कि आंखों के मिलान की तस्वीरो के सबूत मानें, लेकिन वाट्सऐप चैट को अधिकतर लोग पुख्ता सबूत की तरह ही मान रहे हैं, जबकि वाट्सऐप चैट (Fake Whatsapp Chat) का स्क्रीनशॉट फर्जी भी तैयार किया जा सकता है. ऐसा करने वाले बहुत से ऐप की भरमार है. इनके बारे में भी आपको बताएंगे, पहले जरा देखिए कुछ वाट्सऐप स्क्रीनशॉट, जो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं.
JN में रविवार की शाम से लेकर देर रात तक जो तांडव (JN Violence) चला है अब उसके जिम्मेदार लोगों के नाम सामने लाने की कवायद शुरू हो गई है. एक ओर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच टीम मामले की तफ्तीश में जुटी है तो दूसरी ओर सोशल मीडिया (Social Media) ने अपनी खोजी पत्रकारिता दिखानी शुरू कर दी है. हालांकि, सोशल मीडिया जैसे-जैसे सबूत पेश कर रहा है, उनके आधार पर पुलिस तो कार्रवाई शायद ही करे, क्योंक उन्हें पुख्ता सबूत नहीं माना जा सकता, लेकिन सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है. राइट विंग लेफ्ट को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो लेफ्ट के लोग एबीवीपी को इस हिंसा का सूत्रधार बता रहे हैं. सोशल मीडिया पर कोई नकाबपोश लोगों की आंखों का मिलान तमाम तस्वीरों से कर रहा है तो कोई वाट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट के जरिए ये साबित करना चाहता है कि दोषी कौन है. खैर, सोशल मीडिया पर तस्वीर देखकर रेटिना स्कैन करने का विकल्प तो है नहीं कि आंखों के मिलान की तस्वीरो के सबूत मानें, लेकिन वाट्सऐप चैट को अधिकतर लोग पुख्ता सबूत की तरह ही मान रहे हैं, जबकि वाट्सऐप चैट (Fake Whatsapp Chat) का स्क्रीनशॉट फर्जी भी तैयार किया जा सकता है. ऐसा करने वाले बहुत से ऐप की भरमार है. इनके बारे में भी आपको बताएंगे, पहले जरा देखिए कुछ वाट्सऐप स्क्रीनशॉट, जो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं.
फर्जी वाट्सऐप चैट बनाना चुटकी का खेल
वैसे तो फोटोशॉप में माहिर लोग फर्जी वाट्सऐप चैट बना ही सकते हैं, लेकिन बहुत सारे ऐप भी हैं जो फर्जी वाट्सऐप चैट बनाने में मदद करते हैं. भले ही ये ऐप सिर्फ मौज-मस्ती के लिए क्यों ना बनाए गए हों, लेकिन इनका इस्तेमाल गलत तरीके से ही हो रहा है. जेएनयू की हिंसा को ही ले लीजिए, वाट्सऐप ग्रुप चैट के जो स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, वह झूठे भी तो हो सकते हैं. मान लिया कि उसमें दिख रहे नंबर और नाम बिल्कुल सही हैं, लेकिन क्या ये नहीं हो सकता कि इन वाट्सऐप चैट को कुछ लोगों के खिलाफ साजिश के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आप गूगल प्ले स्टोर पर जाकर सिर्फ इतना लिख दें कि Fake Whatsapp Chat, तो ही आपके सामने तमाम ऐप खुल जाएंगे, जो आपको फर्जी वाट्सऐप चैट बनाने में मददगार हो सकते हैं. गूगल प्ले पर फर्जी चैट बनाने वाले ऐप्स की भरमार है, ये देखिए कुछ ऐप्स.
वाट्सऐप चैट नहीं हो सकते पुख्ता सबूत
अब सोचिए, ऐसी स्थिति में किसी वाट्सऐप स्क्रीनशॉट को पुख्ता सबूत कैसे माना जाए. सोशल मीडिया पर लेफ्ट के लोग कथित रूप से एबीवीपी वालों के वाट्सऐप स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए आरोप लगा रहे हैं कि जेएनयू में बवाल करने वाले एबीवीपी के लोग थे. वहीं दूसरी ओर एबीवीपी के लोग भी कथित रूप से कुछ लेफ्ट वालों के वाट्सऐप ग्रुप के स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि जेएनयू हिंसा करने वाले लेफ्ट के लोग थे. सवाल वहीं का वहीं है कि सही किसे माना जाए? खैर, हिंसा के जिम्मेदार लोगों के नाम तो जांच के बाद सामने आ ही जाएंगे, लेकिन इन वाट्सऐप चैट को बिल्कुल भी सही नहीं माना जा सकता है. हो सकता है कि ये चैट जानबूझकर बनाए गए हों और कुछ लोगों को फंसाने की साजिश हो.
कैसे बनता है फर्जी चैट?
जब हम बार-बार ये सुनते हैं कि फर्जी वाट्सऐप चैट भी बनाए जा सकते हैं, तो पहला सवाल यही दिमाग में आता है कि आखिर ये बनता कैसे होगा? कैसे अलग-अलग लोगों के नाम या नंबर से चैट की जा सकती है? वैसे तो अगर आप गूगल प्ले से किसी ऐसे ऐप को डाउनलोड करेंगे तो ये आपको पता चल ही जाएगा, लेकिन इसका एक वीडियो भी हम आपको दिखाते हैं, जो आपके संदेह दूर करेगा. हालांकि, आप इन ऐप्स का इस्तेमाल कर के कभी भी किसी के साथ ऐसा मजाक ना करें जिससे कुछ गलत हो जाए.
गलत है, लेकिन चल रहा है...
प्रैंक के नाम पर फर्जी वाट्सऐप चैट बनाने वाले ये ऐप ऐसे लोगों के खूब काम आ रहे हैं, जो अफवाहें फैलाते हैं. वैसे तो फर्जी चैट बनाना भी गलत है, लेकिन प्रैंक के नाम पर ये सब चल रहे हैं. ना तो गूगल प्ले ऐसे ऐप्स पर बैन लगा रहा है, ना ही सरकार का ध्यान अभी तक इस ओर गया है.
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