दूसरे विश्व युद्ध का अंत जापान पर परमाणु हमले के साथ हो गया था. लेकिन उसके बाद से दुनिया ने जिस तरह जंगों की तैयारी की है, लगता है जैसे तीसरे युद्ध की शुरुआत ही परमाणु हमले के साथ होगी. और इस महाविनाश की कहानी में सबसे ज्यादा योगदान वे देंगे, जो अपने पड़ोसियों को लेकर सबसे जहरीले मंसूबे रखते हैं. ऐसे देशों में सबसे ऊपर है नॉर्थ कोरिया.
अब एक नजर ताजा खबर पर, नॉर्थ कोरिया की तरफ से एक बार फिर बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया है. इस बार तो नॉर्थ कोरिया ने 4 मिसाइलें एक साथ दाग दी हैं. इनमें से तीन जापान के समुद्र में गिरी हैं और एक दक्षिण कोरिया की ओर. पिछले महीने भी किम जोंग उन साहब की देखरेख में एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. अब कहा जा रहा है कि नई मिसाइल इतनी ताकतवर है कि अमेरिका तक पहुंच सकती है. इतना ही नहीं पिछले महीने हुए मिसाइल टेस्ट की यूएन (संयुक्त राष्ट्र) ने निंदा भी की थी और नॉर्थ कोरिया पर मिसाइल परीक्षण पर बैन लगा दिया था, लेकिन किम कहां मानने वाले हैं किसी बैन को.
खैर, ये तो हुई नॉर्थ कोरिया की बात, लेकिन जिस तरह से पूरी दुनिया में काम चल रहा है ऐसा लगता है कि न्यूक्लियर ताकत वाले सभी देश खुद को सुप्रीम साबित करने में लगे हुए हैं. अब देखिए दो विश्व युद्ध तो हो चुके हैं, लेकिन तीसरे को लंबे समय से रोका जा रहा है. इसे रोकने की वजह विश्व शांती तो है ही, लेकिन इसके अलावा अगर देखें तो तीसरा विश्व युद्ध महा विनाशकारी साबित हो सकता है. कुल मिलाकर 9 देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं जो तबाही मचाने के लिए काफी हैं.
1. रूस-
सबसे ज्यादा न्यूक्लियर हथियारों के साथ रूस एक ऐसा देश है जो तीसरे विश्व युद्ध में सबसे शक्तिशाली साबित होगा. फेड्रेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की रिसर्च के अनुसार रूस के पास 7300 न्यूक्लियर हथियार हैं. इनमें से 1790 काम करने लायक हालत में हैं. 4490 रिटायर हो चुके हैं. रूस ने 715 टेस्ट किए हैं. 1949 में पहला टेस्ट हुआ था और सबसे नजदीकी टेस्ट 1990...
दूसरे विश्व युद्ध का अंत जापान पर परमाणु हमले के साथ हो गया था. लेकिन उसके बाद से दुनिया ने जिस तरह जंगों की तैयारी की है, लगता है जैसे तीसरे युद्ध की शुरुआत ही परमाणु हमले के साथ होगी. और इस महाविनाश की कहानी में सबसे ज्यादा योगदान वे देंगे, जो अपने पड़ोसियों को लेकर सबसे जहरीले मंसूबे रखते हैं. ऐसे देशों में सबसे ऊपर है नॉर्थ कोरिया.
अब एक नजर ताजा खबर पर, नॉर्थ कोरिया की तरफ से एक बार फिर बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया है. इस बार तो नॉर्थ कोरिया ने 4 मिसाइलें एक साथ दाग दी हैं. इनमें से तीन जापान के समुद्र में गिरी हैं और एक दक्षिण कोरिया की ओर. पिछले महीने भी किम जोंग उन साहब की देखरेख में एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. अब कहा जा रहा है कि नई मिसाइल इतनी ताकतवर है कि अमेरिका तक पहुंच सकती है. इतना ही नहीं पिछले महीने हुए मिसाइल टेस्ट की यूएन (संयुक्त राष्ट्र) ने निंदा भी की थी और नॉर्थ कोरिया पर मिसाइल परीक्षण पर बैन लगा दिया था, लेकिन किम कहां मानने वाले हैं किसी बैन को.
खैर, ये तो हुई नॉर्थ कोरिया की बात, लेकिन जिस तरह से पूरी दुनिया में काम चल रहा है ऐसा लगता है कि न्यूक्लियर ताकत वाले सभी देश खुद को सुप्रीम साबित करने में लगे हुए हैं. अब देखिए दो विश्व युद्ध तो हो चुके हैं, लेकिन तीसरे को लंबे समय से रोका जा रहा है. इसे रोकने की वजह विश्व शांती तो है ही, लेकिन इसके अलावा अगर देखें तो तीसरा विश्व युद्ध महा विनाशकारी साबित हो सकता है. कुल मिलाकर 9 देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं जो तबाही मचाने के लिए काफी हैं.
1. रूस-
सबसे ज्यादा न्यूक्लियर हथियारों के साथ रूस एक ऐसा देश है जो तीसरे विश्व युद्ध में सबसे शक्तिशाली साबित होगा. फेड्रेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट की रिसर्च के अनुसार रूस के पास 7300 न्यूक्लियर हथियार हैं. इनमें से 1790 काम करने लायक हालत में हैं. 4490 रिटायर हो चुके हैं. रूस ने 715 टेस्ट किए हैं. 1949 में पहला टेस्ट हुआ था और सबसे नजदीकी टेस्ट 1990 में हुआ था.
रूस की सबसे खतरनाक मिसाइल SS-18 है. यह एक मिसाइल पूरे न्यूयार्क राज्य, न सिर्फ शहर को, पलक झपकते तबाह कर सकती है. नाटो ने इस मिलाइल का नाम सैटेन दिया है क्योंकि यह दस न्यूक्लियर बम से लैस और इसकी तबाही हिरोशिमा पर गिरे बम से लगभग डेढ़ हजार गुना है.
2. अमेरिका-
दूसरे नंबर पर है अमेरिका जहां कुल 6970 न्यूक्लियर हथियार है जिनमें से 1750 हथियार काम करते हैं. 4670 हथियार रिटायर हो चुके हैं और करीब 1030 को टेस्ट किया गया है. पहला टेस्ट 1945 में किया गया था और सबसे ताजा टेस्ट 1992 में किया गया था.
अमेरिका की तैयारी का अंदाजा इसी बात से लगता है कि अब तक दो अमेरिकी प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन और जिमी कार्टर न्यूक्लियर हमला करने के लिए जरूर कोड कार्ड गुम कर चुके हैं. खासतौर से क्लिंटन ने तो कई महीनों तक सूट के साथ कार्ड को ड्राई क्लीनिंग के लिए दे दिया था.
3. चीन-
चीन के पास रूस और अमेरिका से काफी कम मात्रा में न्यूक्लियर हथियार हैं. चीन के पास कुल 260 न्यूक्लियर हथियार हैं. इनमें से एक भी फिलहाल काम का नहीं है. रिटायर करने के लिए पूरे हथियार हैं. चीन ने न्यूक्लियर हथियारों का पहला परीक्षण 1964 में किया था और सबसे ताजा टेस्ट 1996 में किया गया था.
4. भारत-
भारत भी एक परमाणु शक्ति है. 1999 में भारत के पास करीब 800 किलो रिएक्टर ग्रेड प्लूटोनियम था और 8300 किलो सिविलियन प्यूटोनियम. ये सामान करीब 1000 न्यूक्लियर हथियारों के लिए काफी था, लेकिन फिर भी भारत में सिर्फ 110 न्यूक्लियर हथियार ही हैं और इनमें से कोई भी अभी काम का नहीं हैं. भारत ने न्यूक्लियर मिसाइल का पहला टेस्ट 1974 में किया था और अंतिम 1998 में.
5. इसराइल-
इसराइल के पास करीब 80 न्यूक्लियर हथियार हैं और इनमें से एक भी काम का नहीं है. अभी तक कोई भी कनफर्म न्यूक्लियर टेस्ट इसराइल की तरफ से नहीं किया गया है.
6. फ्रांस-
फ्रांस के पास करीब 300 न्यूक्लियर हथियार हैं और इनमें से 280 काम भी करते हैं. कम न्यूक्लियर हथियारों की लिस्ट में एक फ्रांस ही है जिसने सबसे ज्यादा न्यूक्लियर टेस्ट किए हैं. फ्रांस 210 बार न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण कर चुका है. फ्रांस के पास 10 ऐसे हथियार हैं जिन्हें रिटायर किया जा सकता है. इसके अलावा, फ्रांस ने पहला टेस्ट 1960 में किया था और सबसे ताजा न्यूक्लियर टेस्ट 1996 में किया गया है.
7. नॉर्थ कोरिया-
न्यूक्लियर हथियार रखने वाले सबसे खतरनाक देशों में से एक नॉर्थ कोरिया भी साबित हो सकता है. वजह ये है कि किसी को भी पता नहीं कि इस देश को पास कितने न्यूक्लियर हथियार हैं. लगातार हो रहे परीक्षण से ये साबित होता है कि नॉर्थ कोरिया अपने हथियारों के काफिले को बढ़ा रहा है. 2016 तक नॉर्थ कोरिया ने 4 टेस्ट कर लिए थे और 2017 में फिलहाल दो और टेस्ट हो चुके हैं.
8. पाकिस्तान-
पाकिस्तान भी एक परमाणु ताकत है. पाकिस्तान के पास कुल 110 से 130 न्यूक्लियर हथियार होने की आशंका है. इसके अलावा, इनमें से एक भी अभी काम करने लायक हालत में नहीं है. पाकिस्तान ने कुल 2 टेस्ट किए हैं जिनमें से पहले 28 मई 1998 में हुआ था और दूसरा 30 मई 1998 में.
9. यूनाइटेड किंगडम-
यूके के पास भी 215 न्यूक्लिर हथियार हैं और इनमें से 120 हथियार काम करने लायक हालत में हैं. 95 ऐसे हैं जो काम नहीं कर सकते. यूके ने करीब 45 बार टेस्ट किए हैं जिनमें से पहला टेस्ट 1952 में किया गया था और सबसे ताजा 1991 में किया गया था.
ये भी पढ़ें-
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.