सितंबर 2016, जिसके बाद सब बदल गया. पहले मोबाइल बिल 1000 रुपए तक पहुंच जाता था, जो अचानक से जीरो हो गया. ये सुनने में किसी विज्ञापन की तरह लग सकता है कि रातों-रात मोटापे से मुक्ति पाएं या गोरे हो जाएं, लेकिन सच यही है. दरअसल, सितंबर 2016 में रिलायंस जियो ने बाजार में एंट्री मारी थी. जियो के आने के बाद सोने के भाव मिलने वाला इंटरनेट पैक कौड़ियों के दाम बिकने लगा. मिस कॉल करने वाले बेझिझक फोन करने लगे. तब मैं वोडाफोन का सिम इस्तेमाल करता था, जिसका हर महीने का बिल 800 से 1000 रुपए तक पहुंच जाता था. कारण था महंगा इंटरनेट और कॉलिंग. जियो में मुझे सारी मुश्किलों का हल तो दिखने लगा, लेकिन नए-नए प्रोवाइडर पर भरोसा कैसे करता. फिर भी, सोचा एक बार इसे भी ट्राई करते हैं.
वोडाफोन से दूर होने की यहां से हुई शुरुआत
जब अपना नंबर मुफ्त में मिल रहे जियो में पोर्ट करवाने की सोची तो दिमाग में कुछ सवाल घूमने लगे, कॉल की क्वालिटी कैसी होगी? कॉल ड्रॉप तो नहीं होगी? इंटरनेट कैसा चलेगा? नेटवर्क सही आएगा या नहीं? इन्हीं सवालों से जूझते हुए फैसला किया कि वोडाफोन का सिम तो इस्तेमाल करूंगा ही, साथ ही जियो का एक और सिम लूंगा, ताकि अगर जियो ना भी चले तो अपना वोडाफोन जिंदाबाद. हां, वोडाफोन को पोस्टपेड से प्रीपेड जरूर करवा दिया, ताकि भारी-भरकम बिल से निजात मिल सके. वोडाफोन ने कई बार फोन किए, एक से बढ़कर एक पोस्टपेड दिए, लाख कोशिश की कि मैं पोस्टपेड पर ही टिका रहूं, लेकिन मैं भी अपनी बात पर अड़ा रहा.
मुफ्त की सिम के लिए देने पड़े 300 रुपए
अब शुरू हुई जियो सिम की खोज, लेकिन जहां भी जियो की सिम मिल रही होती थी,...
सितंबर 2016, जिसके बाद सब बदल गया. पहले मोबाइल बिल 1000 रुपए तक पहुंच जाता था, जो अचानक से जीरो हो गया. ये सुनने में किसी विज्ञापन की तरह लग सकता है कि रातों-रात मोटापे से मुक्ति पाएं या गोरे हो जाएं, लेकिन सच यही है. दरअसल, सितंबर 2016 में रिलायंस जियो ने बाजार में एंट्री मारी थी. जियो के आने के बाद सोने के भाव मिलने वाला इंटरनेट पैक कौड़ियों के दाम बिकने लगा. मिस कॉल करने वाले बेझिझक फोन करने लगे. तब मैं वोडाफोन का सिम इस्तेमाल करता था, जिसका हर महीने का बिल 800 से 1000 रुपए तक पहुंच जाता था. कारण था महंगा इंटरनेट और कॉलिंग. जियो में मुझे सारी मुश्किलों का हल तो दिखने लगा, लेकिन नए-नए प्रोवाइडर पर भरोसा कैसे करता. फिर भी, सोचा एक बार इसे भी ट्राई करते हैं.
वोडाफोन से दूर होने की यहां से हुई शुरुआत
जब अपना नंबर मुफ्त में मिल रहे जियो में पोर्ट करवाने की सोची तो दिमाग में कुछ सवाल घूमने लगे, कॉल की क्वालिटी कैसी होगी? कॉल ड्रॉप तो नहीं होगी? इंटरनेट कैसा चलेगा? नेटवर्क सही आएगा या नहीं? इन्हीं सवालों से जूझते हुए फैसला किया कि वोडाफोन का सिम तो इस्तेमाल करूंगा ही, साथ ही जियो का एक और सिम लूंगा, ताकि अगर जियो ना भी चले तो अपना वोडाफोन जिंदाबाद. हां, वोडाफोन को पोस्टपेड से प्रीपेड जरूर करवा दिया, ताकि भारी-भरकम बिल से निजात मिल सके. वोडाफोन ने कई बार फोन किए, एक से बढ़कर एक पोस्टपेड दिए, लाख कोशिश की कि मैं पोस्टपेड पर ही टिका रहूं, लेकिन मैं भी अपनी बात पर अड़ा रहा.
मुफ्त की सिम के लिए देने पड़े 300 रुपए
अब शुरू हुई जियो सिम की खोज, लेकिन जहां भी जियो की सिम मिल रही होती थी, वहां लोग ऐसे लंबी लाइनें लगाकर खड़े नजर आते, जैसे लोगों को कोई खजाना मुफ्त में बांटा जा रहा हो. और हो भी ऐसा ही रहा था. जियो की सिम मुफ्त में दी जा रही थी. जिसमें करीब 4 महीने तक के लिए सब मुफ्त मिल रहा था, जो किसी खजाने से कम नहीं था. कई बार मैं लाइन में लगा, लेकिन जब तक नंबर आता, सिम कार्ड ही खत्म जाते. खैर, काफी दौड़-भाग के बाद एक दुकान से 300 रुपए देकर मुफ्त वाला जियो सिम खरीदा. यहां आपको लग सकता है कि मुफ्त के सिम के लिए भी 300 रुपए देने पड़े, कुछ दिन रुक जाता तो मुफ्त में मिल जाता, लेकिन सच ये है कि अगर वो नहीं देता तो वोडाफोन का बिल देता, जो 300 रुपए से कहीं अधिक होता.
जियो बन गया जी का जंजाल
सभी कंपनियों के बीच प्राइस वॉर शुरू कर हो गया. जियो भी कम नहीं था, उसने 31 दिसंबर 2016 के बाद फिर से 3 महीने के लिए सब कुछ फ्री देने का ऐलान कर दिया. मुफ्त के चक्कर में मैं जियो से जुड़ा तो, लेकिन कुछ ही दिनों में जियो मेरे लिए जी का जंजाल बन गया. तब मैं दिल्ली के मयूर विहार फेज-3 में रहता था, जहां न तो जियो में ढंग से इंटरनेट चलता था, ना ही किसी को फोन करने पर ठीक से बात हो पाती थी. कहीं नेटवर्क नहीं आता था, तो कहीं इंटरनेट का पहिया थम सा जाता था. गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन दिल को तसल्ली इसी बात से दी कि मुफ्त का है, मेरी जेब से क्या जाता है. तब वोडाफोन के सिम को बंद न करने का फैसला एकदम सही लगा, क्योंकि वही होता था मुसीबत का साथी. वोडाफोन से ही कॉल होती थी और कई बार इंटरनेट भी उसी से चलाना पड़ता था. कई बार ख्याल आता कि जियो को बंद कर दूं, लेकिन मुफ्त की चीज थी, तो चलाते रहा.
और फिर मेरे भी अच्छे दिन आ गए
जियो से जूझते-जूझते मेरे भी अच्छे दिन आ गए. मैंने दिल्ली का मयूर विहार छोड़ दिया और नोएडा के सेक्टर-93 आ गया. यहां इंटरनेट तो धांसू चलता ही था, कॉल क्वालिटी भी शानदार थी. लेकिन तब तक जियो का मुफ्त वाला दौर खत्म हो चुका था. जियो ने कुछ प्लान लॉन्च किए जिनमें 149 रुपए (फ्री कॉल और 2 जीबी डेटा), 303 रुपए (फ्री कॉल और रोज 1 जीबी डेटा) और कुछ और भी बड़े प्लान थे. मैंने 303 रुपए वाला प्लान चुना, ताकि कॉलिंग के साथ-साथ इंटरनेट भी मिल सके. अगले ही महीने जियो ने ऐसा प्लान लॉन्च किया, जिसने मानो सारे पैसे ही वसूल करवा दिए. महज 399 रुपए में कंपनी ने रोज 1 जीबी डेटा 84 दिनों तक देने की पेशकश की. यानी हर महीने 133 रुपए. इतना सस्ता प्लान मैंने पहले कभी नहीं देखा था. वहीं दूसरी ओर अन्य कंपनियों ने भी सस्ते प्लान बाजार में उतार दिए. इनमें बीएसएनएल का 333 रुपए का पैक, एयरटेल का 244 रुपए का पैक, वोडाफोन का 352 रुपए का पैक, आइडिया का 297 रुपए का पैक अन्य कंपनियों के सबसे सस्ते प्लान में से थे. यानी अब चिंता ये नहीं थी कि कम पैसों में प्लान कहां मिलेगा, चिंता ये थी कि कम पैसों में सबसे अच्छा प्लान कौन दे रहा है. जब इंटरनेट खंगाला तो पता चला कि जियो अभी भी सबसे अच्छे प्लान दे रहा है.
अब जियो के अलावा सारे प्लान लगते हैं बेकार
उस दिन के बाद से लेकर अब तक हाल ऐसा है कि कंपनी इसी तरह के प्लान लॉन्च करती रहती है जिनसे रिचार्ज कराने में मुझे प्रति महीने 150 रुपए से अधिक खर्च नहीं करने पड़ते. शुरुआत में जिस जियो को बंद करने का मन करता था, अब मैंने अपना वोडाफोन का नंबर भी उस जियो में ही पोर्ट करवा दिया है. जरा सोचिए, सिर्फ 49 रुपए (जियो के जियो फोन में) में महीने भर मुफ्त कॉलिंग और 2 जीबी डेटा अलग से, इतना तो कोई कंपनी नहीं देती. हाल ही में महज 99 रुपए में बीएसएनएल ने 26 दिनों की वैधता वाला प्लान निकाल कर जियो को टक्कर देनी चाही, लेकिन जियो ने भी महज 98 रुपए में 28 दिनों की वैधता का प्लान लॉन्च कर बीएसएनएल के दाव को काट दिया है.
एक हजार रुपए तक के बिल से शुरू हुआ मेरा ये सफर अब प्रति महीना करीब 133 रुपए पर आ चुका है. पहले हर कॉल से पहले सोचना पड़ता था, इंटरनेट डेटा हर रोज चेक करता था, अब ना तो कॉलिंग की चिंता है ना ही इंटरनेट डेटा की. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज भी जियो के नेटवर्क में दिक्कत है, लेकिन जहां इसके नेटवर्क अच्छे हैं, वहां तो समझिए कि किसी दूसरी कंपनी का टिकना ही मुश्किल है.
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