जरा सोचिए कि आप एक जगह बैठे हैं जहां आपके आस पास सब कुछ आपको ही मुताबिक है. आपके फोन ने आपको बताया कि आज आपको टाइम पर ऑफिस पहुंचने के लिए निकालना है. आप जल्दी से तैयार होते हैं और निकलते हैं अपनी कार के लिए. कार में बैठते ही आपके पास एक नोटिफिकेशन आता है, और आपकी कार की डैशबोर्ड स्क्रीन पर आगे रास्ते में पड़ने वाले ट्रैफिक का ,स्क्रीनशॉट दिखता है. मतलब आपकी गाड़ी आपको बता रही है कि आज आपको नॉर्मल से ज्यादा ट्रैफिक मिलने वाला है, और आपको नए रास्ते से ऑफिस पहुंचने की सलाह दी जा रही है.
आपको शायद इस बात का अंदाज नहीं है, लेकिन ये जो हुआ है, इसमें एक एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम (Artificial intelligence system) है, जिसने आपकी मदद की है. हुआ कुछ ये है की आपकी कार के सेंसर्स ने ट्रैफिक को डिटेक्ट किया है, और एआई सिस्टम ने ट्रैफिक को एनालिसिस करके मैप के थ्रू, आपके लिए एक नया रास्ता तलाश किया है जिसे आपको ऑफिस पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
लेकिन ये तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सिर्फ एक छोटा सा एग्जांपल है! आजकल, यह बहुत ही इंपोर्टेंट रोल प्ले कर रहा है हमारे डेली लाइफ में. जरा सोचिए जब आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो एआई सिस्टम आपके शॉपिंग के प्रीफरेंस को एनालाइज करता है और आपको उसी से रिलेटेड प्रोडक्ट्स सजेस्ट करता है,मतलब ये कभी कभी आप अनुभव करेंगे कि मैंने यह वॉच फेसबुक पर देखी थी उसपर क्लिक किया था, अब फ्लिपकार्ट खोल रहा हूं तो वहां भी हमें बहुत सारी वॉच दिखाई जा रही हैं ,अमेजॉन खोलता हूं वहां पर भी वॉच ही कॉमन दिख रही है सभी चीजों में.और यह सिलसिला यही तक नहीं रुकता, एआई सिस्टम आपकी हर पसंद को समझता है, जब आप यूट्यूब पर वीडियो देखते हैं या फेसबुक पर वीडियो देखते हैं तो एआई सिस्टम आपके देखने के पैटर्न को एनालाइज करता है और आपको वही मतलब उसी टाइप की वीडियोस रिकमेंड करता है जिन्हें आप देखना चाहते करते हैं. आप कोई कॉमेडी वीडियो देख ले तो कुछ वक्त तक आपको उसी तरह की वीडियो स्क्रॉल करने पर मिलती रहेंगी.
जरा सोचिए कि आप एक जगह बैठे हैं जहां आपके आस पास सब कुछ आपको ही मुताबिक है. आपके फोन ने आपको बताया कि आज आपको टाइम पर ऑफिस पहुंचने के लिए निकालना है. आप जल्दी से तैयार होते हैं और निकलते हैं अपनी कार के लिए. कार में बैठते ही आपके पास एक नोटिफिकेशन आता है, और आपकी कार की डैशबोर्ड स्क्रीन पर आगे रास्ते में पड़ने वाले ट्रैफिक का ,स्क्रीनशॉट दिखता है. मतलब आपकी गाड़ी आपको बता रही है कि आज आपको नॉर्मल से ज्यादा ट्रैफिक मिलने वाला है, और आपको नए रास्ते से ऑफिस पहुंचने की सलाह दी जा रही है.
आपको शायद इस बात का अंदाज नहीं है, लेकिन ये जो हुआ है, इसमें एक एडवांस्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम (Artificial intelligence system) है, जिसने आपकी मदद की है. हुआ कुछ ये है की आपकी कार के सेंसर्स ने ट्रैफिक को डिटेक्ट किया है, और एआई सिस्टम ने ट्रैफिक को एनालिसिस करके मैप के थ्रू, आपके लिए एक नया रास्ता तलाश किया है जिसे आपको ऑफिस पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
लेकिन ये तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सिर्फ एक छोटा सा एग्जांपल है! आजकल, यह बहुत ही इंपोर्टेंट रोल प्ले कर रहा है हमारे डेली लाइफ में. जरा सोचिए जब आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, तो एआई सिस्टम आपके शॉपिंग के प्रीफरेंस को एनालाइज करता है और आपको उसी से रिलेटेड प्रोडक्ट्स सजेस्ट करता है,मतलब ये कभी कभी आप अनुभव करेंगे कि मैंने यह वॉच फेसबुक पर देखी थी उसपर क्लिक किया था, अब फ्लिपकार्ट खोल रहा हूं तो वहां भी हमें बहुत सारी वॉच दिखाई जा रही हैं ,अमेजॉन खोलता हूं वहां पर भी वॉच ही कॉमन दिख रही है सभी चीजों में.और यह सिलसिला यही तक नहीं रुकता, एआई सिस्टम आपकी हर पसंद को समझता है, जब आप यूट्यूब पर वीडियो देखते हैं या फेसबुक पर वीडियो देखते हैं तो एआई सिस्टम आपके देखने के पैटर्न को एनालाइज करता है और आपको वही मतलब उसी टाइप की वीडियोस रिकमेंड करता है जिन्हें आप देखना चाहते करते हैं. आप कोई कॉमेडी वीडियो देख ले तो कुछ वक्त तक आपको उसी तरह की वीडियो स्क्रॉल करने पर मिलती रहेंगी.
और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस तरह के काम आजकल हमारी डेली लाइफ में इतने कॉमन हो गए हैं ,कि हमें खुद एहसास नहीं हो पाता कि यह कैसे हो रहा है ,हम कैसे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
तो इसके लिए हमें यह भी जानना जरूरी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है,कैसे काम करता है और इसका फ्यूचर कैसा होगा.
तो शुरुआत आपके स्मार्टफोन से ही करते हैं क्योंकि फोंस में एआई आजकल काफी यूज़ हो रहा है, जैसे कि आपने नोटिस किया होगा कि अगर आप गूगल असिस्टेंट या एलेक्सा का यूज़ करते हैं, तो वह आपकी वाइफ को रिकॉग्नाइज कर लेता है और आपके कमांड के बेसिस पर आपको सही जवाब देता है यह सब एआई के हेल्प से ही होता है.
इसके अलावा आजकल कई कंपनीज के पास कस्टमर सपोर्ट के लिए एआई चैट बोट्स है, मान लो आपको किसी मोबाइल एप्लीकेशन में कोई दिक्कत आ रही, आपसे हो नही रहा है,तो एआई चैट बोट है, उससे बताओ कहां दिक्कत आ रही है, अरे मोटा मोटा एग्जांपल फ्लिपकार्ट का लेलो, मनलो आपने कोई मन पसंद ड्रेस ऑर्डर किया , उसका पेमेंट कर दिया अब उसमे डिलेवरी टाइम्स काफी ज्यादा दिखा रहा है, आप सोच के रखे थे हफ्ते भर में ऑर्डर आजाएगा, और उसमे डेट दिखा रहा है एक महीने बाद की,तो जाहिर सी बात है आप या तो कैंसल कर दोगे, या फिर सोचोगे बात कर के देखते हैं, क्या सच में एक महीने बाद आयेगा, तब तक तो जिस शादी में पहन कर जाना था हो जायेगी,
तो कस्टमर सपोर्ट के लिए आपको पहले एआई चैट बोट से बात करनी पड़ेगी ,अगर उससे कुछ नही हो पाएगा तब वह आपको 'others'का ऑप्शन देगा, की लो भाई हमसे नहीं हो रही तुम्हारी हेल्प. लो तुम अब अपने जैसे किसी लड़के या लड़की से बात कर लो जिन्हे हम कस्टमर केयर कहते हैं. यही कारण है कई बड़ी बड़ी कंपनियां अपने एंप्लॉयज को घर बैठा दे रहीं, आप न्यूज़ में सुनते भी रहते होंगे की फेसबुक ने अपने इतने एंप्लॉय को फायर कर दिया,हो सकता सब के पीछे एआई रीजन न हो,लेकिन सोचो अगर एआई न होता तो आप सीधे अपने जैसे किसी लड़के या लड़की कस्टमर केयर से बात कर लेते ,फिर वह आप को गाइड करते वहा जाओ उसपे क्लिक करो ये करो वो करो.
तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसहै क्या, हिंदी में अनुवाद करें तो इस अर्थ होता है कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मतलब कंप्यूटर साइंस की ऐसी शाखा जिसका काम बुद्धिमान मशीन बनाना है, और इस प्रोसेस को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहते हैं. सरलतम शब्दों में कहें तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है, एक मशीन में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को कंप्यूटर साइंस का सबसे एडवांस रूप माना जाता है और इसमें एक ऐसा दिमाग बनाया जाता है, जिसमें कंप्यूटर सोच सके...कंप्यूटर का ऐसा दिमाग, जो इंसानों की तरह सोच सके.
दो लाइन में कह लो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसान, कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिए जीरो और वन के फॉर्म में मशीन को सिखा रहा है ,कि खुद मानव मस्तिक समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है.
फोन के मामले में आजकल एआई टूल जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है, वह है ओपन एआई का Chat GPT, जिसे गूगल के अल्टरनेटिव रूप में देखा जा रहा है, यहां पर मतलब इस चैट जीपीटी से आप कुछ भी लिख कर पूछो उसका तुरंत जवाब देता है, आप बोलो इससे छुट्टी के लिए एक एप्लीकेशन दो लिख कर तुरंत देगा,स्कूल स्टैंडर्ड के बच्चो के लिए यह काफी कमाल की चीज हो गई है,अब इसी से सब अपना होम वर्क कर रहे , ऐसे हो,ट्रांसलेशन हो सब कर के देता है यह. Chat GPT के बारे में मैने इस वाले वीडियो में अच्छे से बात की है ,आप देखना चाहें तो इसके बाद देख सकते हैं, इस वीडियो में एक कॉमेंट आया था की चैट जीपीटी आई लव यू का रिप्लाई नहीं देता, फनी चीज हैं कोई मशीन भला क्यों देगी इसका रिप्लाइ उसे ऐसा बनाया ही नहीं गया है.हमने कॉमेंट का रिप्लाई भी किया था की Chat GPT चाहता है तुम सिंगल ही रहो.
खैर टॉपिक पे वापस आते हैं, कुल मिला का यह जो AI चैट बोट है, यह अपने प्रोग्रामिंग के बेसिस पर कस्टमर के सवालों के जवाब देते हैं और उनकी प्रॉब्लम सॉल्व करने में हेल्प करते हैं. अगर आप अभी तक यह सोच रहे थे कि चैट पर सामने वाला कोई बंदा था तो आप गलत थे.
एआई का यूज़ जैसा कि मैंने पहले भी कहा हमारे डेली लाइफ में काफी है, आपने स्मार्टफोंस,सोशल मीडिया, ऑनलाइन शॉपिंग, ईमेल फिल्टरिंग और भी काफी चीजों में एआई का यूज देखा होगा, एआई के यूज़ के साथ-साथ यह टेक्नोलॉजी हमारे सोसाइटी और इंडस्ट्रीज को भी बहुत से एडवांटेज प्रोवाइड कर रही है.
एआई का यूज़ हेल्थ केयर इंडस्ट्री में रहा है, एआई अलगोरिदमा का यूज़ मेडिकल इमेजिंग जैसे कि एक्सरे, सीटी स्कैन और MRI स्कैन के इंटरप्रिटेशन के लिए किया जा रहा है, इससे एक्यूरेट डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट प्लानिंग पॉसिबल हो रही है, इसके अलावा एआई का यूज़ ड्रग डिस्कवरी और डेवलपमेंट में भी हो रहा है.
और बात अगर एजुकेशन इंडस्ट्री की करें तो एजुकेशन इंडस्ट्री में भी एआई का यूज़ काफी है ,इसमें पर्सनलाइजर लर्निंग एक्सपीरियंस प्रोवाइड करने के लिए एआई अलगोरिदमा का यूज किया जा रहा है, जिससे हर एक स्टूडेंट के लिए कस्टमाइज करिकुलम और लर्निंग पेस प्रोवाइड किया जा रहा है.
एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में भी एआई का यूज़ है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिथम का यूज ,क्रॉप्स फसलों को मॉनिटर करने के लिए और फसलों की ग्रोथ और हेल्थ के बारे में इनसाइड प्रोवाइड करने के लिए किया जा रहा है ,इससे फार्मर्स को क्रॉप्स के बैटर मैनेजमेंट और हायर यील्ड अचीव करने में हेल्प मिलती है.
तो यह तो कुछ मोटे मोटे फील्ड थे जिनमें एआई का एक अहम रोल हमेशा से रहता है.
एआई के हिस्ट्री की करें तो एक अमेरिकन कंप्यूटर साइंटिस्ट जॉन मैकार्थी, एआई को सबसे पहले सामने लाने वाले इंसान थे. उन्होंने 1956 में डॉर्टमाउथ कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइज की थी जहां पर उन्होंने एआई के कांसेप्ट और पॉसिबिलिटीज पर डिस्कस किया था.
जिसके बाद से एआई के साथ साथ काम करने वाले अनेक रिसर्चर्स, साइंटिस्ट ने इसको लगातार एडवांस बनाया , इसको इतना एडवांस कर दिया है कि अब एआई के डेवलपमेंट के साथ-साथ इसके यूज़ करने के सही और गलत तरीके भी आने लगे हैं, इसलिए हमें एआई के साथ काम करते हुए हमारे डिसीजंस को केयरफुली कंसीडर करना चाहिए, ताकि हम इसका सही यूज कर सकें, जैसा कि हमने बताया कि इसके गलत तरीके भी आने लगे हैं, देखो जो सही है वह तो हमें पता है कि हमारे लिए इससे क्या बेनिफिट है, हम कहां कहां इसका इस्तेमाल कर रहे हैं,
लेकिन अगर इसके गलत तरीकों की बात की जाए तो एक फेमस सा एग्जांपल है माइक्रोसॉफ्ट के चैट बोट Tay का, इस माइक्रोसॉफ्ट चैट बोट Tay का लांच 2016 में हुआ था, Tay को ट्विटर पर लांच किया गया था जहां पर वह यूजर से अट्रैक्ट करता था बात करता था, और उनकी लैंग्वेज को लर्न करता था, लेकिन कुछ ही घंटों में Tay ने ऑफेंसिव (आपत्तिजनक) ट्वीट्स ट्वीट करना शुरू कर दिए थे जिसके कारण उसे तुरंत ही शटडाउन किया गया था.
अब नेगेटिव पॉइंट की बात कर ही रहे हैं एआई के,तो एक और एग्जांपल है ,ऑटोनॉमस वेपन ,जिसे हम पापुलरली किलर रोबोट्स के नाम से जानते हैं, दरअसल होता क्या है यह रोबोट्स बिना किसी हुमन इंटरवेंशन के काम करते हैं, और इसलिए इनकी सही और गलत डिसीजन लेने की कैपेबिलिटी नहीं होती है, यह रोबोट्स हमेशा सही टारगेट को आईडेंटिफाई नहीं कर पाते और ऐसी सिचुएशन में खुद ही कुछ गलत डिसीजन ले लेते हैं, जो कभी-कभी भयानक कंसीक्वेंसेस के साथ सामने आते हैं.
इसी बात को रजनीकांत वाली रोबोट मूवी में काफी अच्छे से दिखाया गया है, इसके अलावा द टर्मिनेटर मूवी में, जहां पर एक किलर रोबोट टाइम ट्रेवल करता है और इंसानों को मारना शुरू कर देता है, एक्स मशीना मूवी में भी एआई के एथिक्स के बारे में डिस्कशन किया गया है,यह एसी मूवी हैं जिन्हे देखने के बाद पता चलता है की एआई के साथ हमें बहुत केयरफुली रहना चाहिए.
तो लगभग हमने सारी चीजें कवर कर ली है कि एआई क्या है किन-किन फील्ड में एआई का यूज सबसे ज्यादा हो रहा है, और जैसे-जैसे एआई एडवांस होता जा रहा है तो इसके क्या-क्या नेगेटिव इंपैक्ट आ रहे हैं, तो अब बात आती है की एआई की फील्ड में करियर कैसे बनाया जा सकता है, कैसे कोई स्टूडेंट एआई एल्गोरिदम, मशीन लर्निंग सीख कर चैट बोट बना सकता है.
तो देखो यह तो एक शुरुआत है. एआई कर फ्यूचर बेहद एक्साइटिंग है, एआई की टेक्नोलॉजी में हमेशा से डेवलपमेंट होती रही है और आजकल एआई के एडवांस एल्गोरिथम और डीप लर्निंग मॉडल्स बहुत तेजी से डेवलप हो रहे हैं, ऐसे मॉडल्स और एल्गोरिथम का इस्तेमाल बहुत से काम जैसे कि सेल्फ ड्राइविंग कार, स्मार्ट होम्स, मेडिकल डायग्नोसिस, स्टॉक मार्केट एनालिसिस जैसी बहुत सारी चीजों में किया जा रहा है.
एआई के इस प्रोग्रेस से हम आगे चलकर एक दिन ऐसे समय में पहुंच सकते हैं जब हम एआई की मदद से अपने डेली लाईफ के सारे काम आराम से कर सकेंगे, एआई के जरिए हम एक दिन अपने घर में बैठकर अपने फ्रिज के इन्वेंटरी को मैनेज कर सकेंगे फल कहां रखने हैं ड्रिंकिंग चीजें कहां रखनी है, अपने बिजनेस के फाइनेंशियल रिपोर्ट एनालाइज कर सकेंगे और हमारी मेडिसिन प्रिसक्रिप्शंस को पर्सनलाइज कर सकेंगे.
एआई का या फ्यूचर बिल्कुल फेसिनेटिंग है और इसमें आप की भी भूमिका हो सकती है अगर आप भी एआई के फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको कुछ बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज मैथ्स और स्टैटिक में स्ट्रांग होना होगा, एआई के इस्तेमाल करने के लिए आपको बहुत सी लैंग्वेजेस और टूल सीखने होंगे, जैसे पाइथन, आर, टेंसरफ्लो, scikit लर्न, इन सब के बारे में नॉलेज होनी चाहिए. और यह सब सीखना भी आजकल काफी आसान हो गया है, आजकल बहुत से ऑनलाइन रिसोर्सेस और कोर्सेज अवेलेबल हैं जिनके जरिए आप अपने एआई स्किल्स को डेवलप कर सकते हैं, तो अगर आप भी एआई के फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो यह बिल्कुल पॉसिबल है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.