सेक्शुएलिटी को लेकर हमेशा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोई न कोई विवाद होता आया है. LGBTQ कम्युनिटी के लोगों को हमेशा अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ा है और ये सिलसिला न जाने कब तक चलेगा. ट्रांसजेंडर और होमो सेक्शुअल लोगों को लेकर न सिर्फ धर्म और कानून बल्कि वैज्ञानिक भी अपनी अलग तरह से LGBTQ समुदाय के लोगों को लेकर हमेशा कोई न कोई रिसर्च करते रहते हैं. अब एक ऐसी रिसर्च सामने आई है जिसमें कहा गया है कि उंगलियां देखकर सेक्शुएलिटी का पता लगाया जा सकता है.
ये रिसर्च हुई है Essex niversity में और रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने ऐसे ट्विन्स (जुड़वा) पर रिसर्च की है जिनमें से एक स्ट्रेट और एक होमो सेक्शुअल है. इस रिसर्च का सीधा मकसद था ये पता लगाना कि क्या एक ही गर्भ से भी अलग-अलग सेक्शुएलिटी वाली संतानों के बीच कितने अंतर होते हैं. दोनों बच्चों में शारीरिक अंतर को किस तरह पहचाना जा सकता है.
क्या खुलासा हुआ रिसर्च में?
वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी इंसान की उंगलियां उसकी सेक्शुएलिटी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकती हैं. अगर महिलाओं के हाथ थोड़े पुरुषों की तरह दिखते हैं और उनकी रिंग फिंगर (अनामिका), उनकी इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) से बड़ी है तो उस महिला के लेस्बियन होने की गुंजाइश ज्यादा होगी.
जितने भी ट्विन्स पर ये स्टडी की गई उनमें से एक हेट्रोसेक्शुअल और एक होमोसेक्शुअल रहा है. रिसर्च में सामने आया कि होमोसेक्शुअल ट्विन की रिंग फिंगर उनकी इंडेक्स फिंगर से बड़ी रही है. ये अंतर महिलाओं में खास तौर पर देखा गया है.
इसके पहले भी एक रिसर्च ऐसी की जा चुकी है जो कहती है कि गर्भ में भ्रूण में मेल...
सेक्शुएलिटी को लेकर हमेशा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में कोई न कोई विवाद होता आया है. LGBTQ कम्युनिटी के लोगों को हमेशा अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ा है और ये सिलसिला न जाने कब तक चलेगा. ट्रांसजेंडर और होमो सेक्शुअल लोगों को लेकर न सिर्फ धर्म और कानून बल्कि वैज्ञानिक भी अपनी अलग तरह से LGBTQ समुदाय के लोगों को लेकर हमेशा कोई न कोई रिसर्च करते रहते हैं. अब एक ऐसी रिसर्च सामने आई है जिसमें कहा गया है कि उंगलियां देखकर सेक्शुएलिटी का पता लगाया जा सकता है.
ये रिसर्च हुई है Essex niversity में और रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने ऐसे ट्विन्स (जुड़वा) पर रिसर्च की है जिनमें से एक स्ट्रेट और एक होमो सेक्शुअल है. इस रिसर्च का सीधा मकसद था ये पता लगाना कि क्या एक ही गर्भ से भी अलग-अलग सेक्शुएलिटी वाली संतानों के बीच कितने अंतर होते हैं. दोनों बच्चों में शारीरिक अंतर को किस तरह पहचाना जा सकता है.
क्या खुलासा हुआ रिसर्च में?
वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी इंसान की उंगलियां उसकी सेक्शुएलिटी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकती हैं. अगर महिलाओं के हाथ थोड़े पुरुषों की तरह दिखते हैं और उनकी रिंग फिंगर (अनामिका), उनकी इंडेक्स फिंगर (तर्जनी) से बड़ी है तो उस महिला के लेस्बियन होने की गुंजाइश ज्यादा होगी.
जितने भी ट्विन्स पर ये स्टडी की गई उनमें से एक हेट्रोसेक्शुअल और एक होमोसेक्शुअल रहा है. रिसर्च में सामने आया कि होमोसेक्शुअल ट्विन की रिंग फिंगर उनकी इंडेक्स फिंगर से बड़ी रही है. ये अंतर महिलाओं में खास तौर पर देखा गया है.
इसके पहले भी एक रिसर्च ऐसी की जा चुकी है जो कहती है कि गर्भ में भ्रूण में मेल हार्मोन के संपर्क को उंगलियों के आकार से जोड़कर देखा जा सकता है. महिलाओं की रिंग फिंगर और इंडेक्स फिंगर आम तौर पर एक ही लेंथ की होती हैं और पुरुषों में ये अंतर ज्यादा होता है. और गर्भ में भ्रूण को चाहे वो लड़का हो या लड़की हो उसका संपर्क मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन से होता है.
रिसर्च ने बताया कि जुड़वां महिलाओं के 18 सेट ऐसे थे जहां लेस्बियन ट्विन के हाथ थोड़े मर्दाना थे. अगर यहीं जुड़वा पुरुषों की बात करे तो 14 सेट ऐसे थे जहां गे ट्विन का हाथ ज्यादा मर्दाना था. हालांकि, पुरुषों की उंगलियों को देखकर ज्यादा कुछ बताया नहीं जा सकता.
इस रिसर्च पर काम कर रही डिपार्टमेंट ऑफ साइकोलॉजी की डॉक्टर ट्यूजडे वॉट्स का कहना है कि चूंकि ट्विन्स के 100% जीन एक जैसे होते हैं इसलिए उनके शारीरिक अंतर को पहचानना जरूरी है. जो बच्चे गर्भ में ज्यादा मेल हार्मोन के संपर्क में आते हैं उनके हाथ ज्यादा मर्दाना लगते हैं. और एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसे होमोसेक्शुएलिटी से जोड़कर देखा जा सकता है. टेस्टोस्टेरोन का लेवल जितना ज्यादा होगा उतनी संभावना बाइसेक्शुअल या होमोसेक्शुअल होने की भी हो सकती है. ये रिसर्च इस जर्नल में पब्लिश की गई है Archives Of Sexual Behaviour.
इसके पहले एक और इसी तरह की स्टडी की गई थी जो बताती है कि उंगलियों का आकार किसी इंसान की साउंड पिच को निर्धारित करता है. ये रिसर्च बताती थी कि अगर बच्चे की इंडेक्स फिंगर रिंग फिंगर से ज्यादा बड़ी है तो उसकी आवाज़ भी तेज़ होगी. इसे भी टेस्टोस्टेरोन से जोड़कर देखा जाता है.
इस रिसर्च के नतीजे पूरी तरह से सही तो नहीं कहे जा सकते, लेकिन मौजूदा लोगों की जांच में अधिकतर ये समानता पाई गई है. अभी इस मुद्दे पर और रिसर्च होनी बाकी है और इससे किसी भी तरह से सेक्शुएलिटी का पैमाना नहीं समझा जा सकता है.
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