अगर आपने नब्बे का दशक देखा है तो यकीनन नोकिया के बारे में जरूर सुना होगा. नोकिया का सबसे मजबूत फोन 3310 के बारे में तो यहां तक कहा जाता था कि अगर वो जमीन पर गिर जाए तो जमीन में क्रैक पड़ जाएगा. अपने इसी स्टेटस को बरकरार रखते हुए नोकिया के बारे में एक और नई जानकारी सामने आई है. खबरों की मानें तो 2013 में लॉन्च हुए फोन नोकिया 301 ने अपने मालिक की जान बचाई. हुआ कुछ यूं कि अफगानिस्तान के एक व्यक्ति के पास नोकिया 301 फोन था जिसने अपने मालिक के लिए खुद गोली खा ली और बर्बाद हो गया.
ये खबर दी है खुद पीटर स्किलमैन ने जो इस फोन को बनाने वाली टीम में शामिल थे और माइक्रोसॉफ्ट के नोकिया को खरीदने के बाद अब माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में विंडोज डेस्कटॉप यूजर एक्सपीरियंस टीम के जनरल मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं. पीटर जी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है और साथ ही इसकी एक फोटो भी शेयर की है. अब ये फोटो कहां की है और आखिर किस इंसान के लिए नोकिया का फोन भगवान बन गया है वो तो कोई नहीं जानता. खुद पीटर से भी जब ट्वीट के जरिए इस बारे में पूछा गया तो वो भी जवाब ना दे पाए, लेकिन सोशल मीडिया पर नोकिया के ढेरों जोक्स जरूर चलने लगे. लोगों ने नोकिया के मजबूत होने के बारे में बहुत सी ट्वीट्स कर डालीं. अब हो भी क्यों ना नोकिया की तरह मजबूत फोन बनाने की जिम्मेदारी कोई कंपनी सही तरह से नहीं निभा पाई है. आज के समय में तो अगर किसी का फोन नीचे गिर जाए तो उसका मिनी हार्ट-अटैक तो पक्का है और अगर वो आईफोन हो तो मेजर अटैक की गुंजाइश ज्यादा होती है.
नोकिया की मजबूती की दास्तान तो सभी ने सुनी है, लेकिन बुलेट प्रूफ होना ??? भइया ये थोड़ा ज्यादा ही हो गया. ये सही है कि नोकिया फोन्स बहुत मजबूत होते हैं, लेकिन बुलेट झेलने के लिए तो उनकी कुछ खास डिमांड पूरी होनी चाहिए. जैसे की अगर बुलेट काफी दूर से मारी गई है तो ये हो सकता...
अगर आपने नब्बे का दशक देखा है तो यकीनन नोकिया के बारे में जरूर सुना होगा. नोकिया का सबसे मजबूत फोन 3310 के बारे में तो यहां तक कहा जाता था कि अगर वो जमीन पर गिर जाए तो जमीन में क्रैक पड़ जाएगा. अपने इसी स्टेटस को बरकरार रखते हुए नोकिया के बारे में एक और नई जानकारी सामने आई है. खबरों की मानें तो 2013 में लॉन्च हुए फोन नोकिया 301 ने अपने मालिक की जान बचाई. हुआ कुछ यूं कि अफगानिस्तान के एक व्यक्ति के पास नोकिया 301 फोन था जिसने अपने मालिक के लिए खुद गोली खा ली और बर्बाद हो गया.
ये खबर दी है खुद पीटर स्किलमैन ने जो इस फोन को बनाने वाली टीम में शामिल थे और माइक्रोसॉफ्ट के नोकिया को खरीदने के बाद अब माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में विंडोज डेस्कटॉप यूजर एक्सपीरियंस टीम के जनरल मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं. पीटर जी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है और साथ ही इसकी एक फोटो भी शेयर की है. अब ये फोटो कहां की है और आखिर किस इंसान के लिए नोकिया का फोन भगवान बन गया है वो तो कोई नहीं जानता. खुद पीटर से भी जब ट्वीट के जरिए इस बारे में पूछा गया तो वो भी जवाब ना दे पाए, लेकिन सोशल मीडिया पर नोकिया के ढेरों जोक्स जरूर चलने लगे. लोगों ने नोकिया के मजबूत होने के बारे में बहुत सी ट्वीट्स कर डालीं. अब हो भी क्यों ना नोकिया की तरह मजबूत फोन बनाने की जिम्मेदारी कोई कंपनी सही तरह से नहीं निभा पाई है. आज के समय में तो अगर किसी का फोन नीचे गिर जाए तो उसका मिनी हार्ट-अटैक तो पक्का है और अगर वो आईफोन हो तो मेजर अटैक की गुंजाइश ज्यादा होती है.
नोकिया की मजबूती की दास्तान तो सभी ने सुनी है, लेकिन बुलेट प्रूफ होना ??? भइया ये थोड़ा ज्यादा ही हो गया. ये सही है कि नोकिया फोन्स बहुत मजबूत होते हैं, लेकिन बुलेट झेलने के लिए तो उनकी कुछ खास डिमांड पूरी होनी चाहिए. जैसे की अगर बुलेट काफी दूर से मारी गई है तो ये हो सकता है कि फोन उसे रोक ले, इसी के साथ किस रेंज की पिस्तौल का इस्तेमाल हुआ है यो तो सबसे अहम है. अगर किसी ने ऐके-47 से मार दिया तो साहब नोकिया फोन को परखच्चे उड़ जाएंगे. देसी कट्टे का तो चीनी सामान की तरह खुद ही कोई भरोसा नहीं होता। चले तो चांद तक नहीं तो शाम तक. क्या वाकई बुलेट प्रूफ है नोकिया-
स्मार्टफोन में कौन मजबूत-
स्मार्टफोन्स की मजबूती के बारे में ज्यादा बोलकर किसी से दुश्मनी मोल लेने का कोई मतलब नहीं है. हालांकि, अगर सबसे मजबूत स्मार्टफोन की बात करें तो मोटो एक्स फोर्स एक अच्छा साथी साबित हो सकता है. कंपनी का दावा जो है कि ये शैटर प्रूफ यानी गिरने पर भी ना टूटने वाला फोन है.
अब मसला ये है कि भला नोकिया 301 को किसने कब और कैसे गोली मारी? इस बात का पता तो लगाया नहीं जा सकता, लेकिन अगर ये सच है तो दया, अभिजीत और एसीपी प्रद्ययुमन सहित पूरी सीआईडी टीम के लिए ये फोन सबसे बेस्ट साबित होगा. आशा करती हूं की हर फोन अपने मालिक के साथ ऐसी ही वफादारी दिखाएगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.