जब भी आप फ्लिपकार्ट या अमेजन जैसे किसी शॉपिंग पोर्टल पर जाते हैं तो आपको अक्सर एक ही तरह के प्रोडक्ट बार-बार दिखते हैं। यह कोई जादू नहीं है, इसके पीछे कंपनियों का एक जासूस है। यूं तो किसी को भी यह पसंद नहीं होता कि कोई उसकी जासूसी करे. लेकिन आपको पता भी नहीं चलता और कोई आपकी जासूसी करता रहता है. जब भी कभी आप किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट, ऐप या किसी अन्य वेबसाइट पर जाते हैं तो वहां से आपके ऊपर जेम्स बॉन्ड जैसा एक इलेक्ट्रॉनिक जासूस छोड़ दिया जाता है. इसका काम होता है आपकी रोजाना गतिविधियों पर नजर रखना. इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि आपको शॉपिंग के लिए सही विकल्प नहीं दिखते। आपको बार-बार वही विकल्प दिखते हैं, जिनमें आपने रुचि दिखाई होती है।
cookie करते हैं जासूसी
जब भी आप किसी दुकान या गली में जाते हैं और बिना कुछ खरीदे ही वापस आ जाते हैं तो आपकी कोई जानकारी उस दुकान में नहीं रहती. आपको वह दुकानदार चंद दिनों तक याद रखकर भूल जाएगा और सीसीटीवी कैमरे में आपकी तस्वीर को शायद कभी भी चेक न किया जाए. लेकिन अगर आप किसी ऑनलाइन दुकान यानी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जाते हैं तो वहां ऐसा नहीं होता. ऑनलाइन शॉपिंग की वेबसाइट आपके इंटरनेट ब्राउजर पर एक फाइल छोड़ देती है, जिसे cookie कहते हैं. यही आपकी जासूसी करते हैं. इसके अलावा अगर आप किसी ऐप के जरिए किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो आपके मोबाइल का एक आइडेंटिफिकेशन कोड मर्चेंट के पास पहुंच जाता है.
कैसे काम करता है ये जासूस?
जब आप कभी कोई सामान खरीदते हैं या फिर कोई खास पेज खोलते हैं तो आप ऑनलाइन अपना एक निशान छोड़ देते हैं. अगली बार जब आप दोबारा उस वेबसाइट पर जाते हैं तो आपके होम पेज पर आपकी पसंद के हिसाब से चीजें दिखाई देती हैं. यानी उस वेबसाइट पर आप जो कुछ भी करते हैं, वह सब रिकॉर्ड हो रहा...
जब भी आप फ्लिपकार्ट या अमेजन जैसे किसी शॉपिंग पोर्टल पर जाते हैं तो आपको अक्सर एक ही तरह के प्रोडक्ट बार-बार दिखते हैं। यह कोई जादू नहीं है, इसके पीछे कंपनियों का एक जासूस है। यूं तो किसी को भी यह पसंद नहीं होता कि कोई उसकी जासूसी करे. लेकिन आपको पता भी नहीं चलता और कोई आपकी जासूसी करता रहता है. जब भी कभी आप किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट, ऐप या किसी अन्य वेबसाइट पर जाते हैं तो वहां से आपके ऊपर जेम्स बॉन्ड जैसा एक इलेक्ट्रॉनिक जासूस छोड़ दिया जाता है. इसका काम होता है आपकी रोजाना गतिविधियों पर नजर रखना. इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि आपको शॉपिंग के लिए सही विकल्प नहीं दिखते। आपको बार-बार वही विकल्प दिखते हैं, जिनमें आपने रुचि दिखाई होती है।
cookie करते हैं जासूसी
जब भी आप किसी दुकान या गली में जाते हैं और बिना कुछ खरीदे ही वापस आ जाते हैं तो आपकी कोई जानकारी उस दुकान में नहीं रहती. आपको वह दुकानदार चंद दिनों तक याद रखकर भूल जाएगा और सीसीटीवी कैमरे में आपकी तस्वीर को शायद कभी भी चेक न किया जाए. लेकिन अगर आप किसी ऑनलाइन दुकान यानी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जाते हैं तो वहां ऐसा नहीं होता. ऑनलाइन शॉपिंग की वेबसाइट आपके इंटरनेट ब्राउजर पर एक फाइल छोड़ देती है, जिसे cookie कहते हैं. यही आपकी जासूसी करते हैं. इसके अलावा अगर आप किसी ऐप के जरिए किसी वेबसाइट पर जाते हैं तो आपके मोबाइल का एक आइडेंटिफिकेशन कोड मर्चेंट के पास पहुंच जाता है.
कैसे काम करता है ये जासूस?
जब आप कभी कोई सामान खरीदते हैं या फिर कोई खास पेज खोलते हैं तो आप ऑनलाइन अपना एक निशान छोड़ देते हैं. अगली बार जब आप दोबारा उस वेबसाइट पर जाते हैं तो आपके होम पेज पर आपकी पसंद के हिसाब से चीजें दिखाई देती हैं. यानी उस वेबसाइट पर आप जो कुछ भी करते हैं, वह सब रिकॉर्ड हो रहा होता है. यह सारी जानकारियां cookie में ही रिकॉर्ड होती हैं, जिसका मुख्य मकसद आपकी ब्राउजिंग को आसान और तेज बनाना होता है.
ऐसे बचें इसकी जासूसी से
अगर आप चाहते हैं कि कोई भी वेबसाइट आपकी गतिविधियों को ट्रैक न कर सके तो आप इससे खुद को बचा भी सकते हैं. अगर आप क्रोम का इस्तेमाल करते हैं तो उसके INCOGNITO WINDOW का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें कोई cookie सेव नहीं होती है, इसलिए आप ब्राउजर पर जो भी सर्च करते हैं उसका पता किसी को नहीं लगेगा. वहीं अगर आप मोजिला ब्राउजर का इस्तेमाल करते हैं तो NEW PRIVATE WINDOW का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां भी आपके किसी सर्च के बारे में कोई नहीं जान सकता है. ये विकल्प आपको कंप्यूटर और मोबाइल दोनों के ब्राउजर में मेन्यू सेक्शन में मिल जाएंगे.
ईमेल एड्रेस से भी होती है आपकी निगरानी
ऐसा नहीं है कि सिर्फ cookie से ही आप पर नजर रखी जाती है. आपको और अच्छे से जानने और समझने के लिए बहुत सी शॉपिंग वेबसाइट आपका मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस भी मांगती हैं. अधिकतर लोग बिना किसी हिचकिचाहट के अपना ईमेल एड्रेस बता भी देते हैं. कई बार यह ऑनलाइन स्टोर आपकी ईमेल आईडी फेसबुक को भी दे देते हैं, जिससे फेसबुक को आपको विज्ञापन दिखाने में मदद मिलती है. फेसबुक आपकी ईमेल आईडी जानने के बाद यह सब जान जाता है कि आप क्या पसंद करते हैं और क्या नापसंद. दरअसल, फेसबुक पर आप आए दिन बहुत कुछ लाइक करते हैं और बहुत सारी कंपनियों के पेज खोलते हैं. इन्हीं सब से फेसबुक को आपके बारे में जानकारी मिलती है. इसके बाद फेसबुक आपकी रुचि के हिसाब से आपको विज्ञापन दिखाता है, ताकि उसकी कमाई अधिक से अधिक हो सके.
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