सदियों से ब्रह्माण्ड मानव को आकर्षित करता रहा है. इसी आकर्षण ने खगोलशास्त्रियों को ब्रह्माण्डीय प्रेक्षण और ब्रह्माण्ड अन्वेषण के लिए प्रेरित किया. ब्रह्मांड और सौरमंडल के रहस्यों की कुछ और परतों को खोलने के क्रम में हाल ही में खगोलशास्त्रियों के एक दल ने हमारी आकाशगंगा दुग्धमेखला (मिल्की-वे) के युवा तारों के इर्दगिर्द मौजूद पदार्थों में कार्बनिक अणुओं के बड़े भंडारों की खोज की है. गौरतलब है कि कार्बनिक अणु (ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल) ही पृथ्वी पर जीवन निर्माण की नींव रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण जैव रासायनिक तत्व हैं. पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण खोज है. एक लंबे अरसे से खगोल विज्ञानी इस सवाल का जवाब खोजने में जुटे हुए हैं कि क्या पृथ्वी के अलावा इस विशाल ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है? इस हालिया अध्ययन से वैज्ञानिकों को यह उम्मीद है कि शीघ्र ही इस गुत्थी को सुलझा लिया जाएगा.
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह पता लगाया है कि हमारे ब्रह्मांड में जीवन निर्माण के रासायनिक तत्वों की भरमार है और उनकी मात्रा पहले लगाए गए अनुमानों की तुलना में 100 गुना अधिक है. 'हमारे ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक सामग्री अन्य तारों के इर्द गिर्द भी पाई जाती है. इसकी संभावना है कि जीवन की शुरुआत के लिए आवश्यक जैव रासायनिक तत्व ग्रहों के निर्माण के लिए जरूरी वातावरण में आसानी से उपलब्ध होंगे.'
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिक और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. जॉन आईली के मुताबिक इस खोज से यह स्पष्ट है कि पृथ्वी पर जीवन उत्पन्न करने वाली बुनियादी रासायनिक परिस्थितियां हमारी आकाशगंगा में काफी...
सदियों से ब्रह्माण्ड मानव को आकर्षित करता रहा है. इसी आकर्षण ने खगोलशास्त्रियों को ब्रह्माण्डीय प्रेक्षण और ब्रह्माण्ड अन्वेषण के लिए प्रेरित किया. ब्रह्मांड और सौरमंडल के रहस्यों की कुछ और परतों को खोलने के क्रम में हाल ही में खगोलशास्त्रियों के एक दल ने हमारी आकाशगंगा दुग्धमेखला (मिल्की-वे) के युवा तारों के इर्दगिर्द मौजूद पदार्थों में कार्बनिक अणुओं के बड़े भंडारों की खोज की है. गौरतलब है कि कार्बनिक अणु (ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल) ही पृथ्वी पर जीवन निर्माण की नींव रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण जैव रासायनिक तत्व हैं. पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण खोज है. एक लंबे अरसे से खगोल विज्ञानी इस सवाल का जवाब खोजने में जुटे हुए हैं कि क्या पृथ्वी के अलावा इस विशाल ब्रह्मांड में कहीं और भी जीवन है? इस हालिया अध्ययन से वैज्ञानिकों को यह उम्मीद है कि शीघ्र ही इस गुत्थी को सुलझा लिया जाएगा.
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह पता लगाया है कि हमारे ब्रह्मांड में जीवन निर्माण के रासायनिक तत्वों की भरमार है और उनकी मात्रा पहले लगाए गए अनुमानों की तुलना में 100 गुना अधिक है. 'हमारे ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक सामग्री अन्य तारों के इर्द गिर्द भी पाई जाती है. इसकी संभावना है कि जीवन की शुरुआत के लिए आवश्यक जैव रासायनिक तत्व ग्रहों के निर्माण के लिए जरूरी वातावरण में आसानी से उपलब्ध होंगे.'
यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के वैज्ञानिक और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. जॉन आईली के मुताबिक इस खोज से यह स्पष्ट है कि पृथ्वी पर जीवन उत्पन्न करने वाली बुनियादी रासायनिक परिस्थितियां हमारी आकाशगंगा में काफी मात्रा में मौजूद हैं.डॉ. आईली ने कहा कि ये बेहद जटिल कार्बनिक अणु पूरे अंतरिक्ष में अलग-अलग परिस्थितियों में पाए जाते हैं.
इनकी पहचान गैस और धूल के चक्कर लगाने वाले युवा सितारों के 'प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क' के रूप में की गई थी. शोधकर्ताओं ने प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क के पदार्थों से निकले प्रकाश में कुछ विशेष चिन्हों का विश्लेषण करने के बाद वहां कार्बनिक अणुओं की मौजूदगी का पता लगाया.शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क ही ग्रहों की जन्मस्थली है.
इसी डिस्क में विद्यमान तत्वों और पदार्थों से सौरमंडल के ग्रहों का निर्माण हुआ है. इसी तरह का डिस्क युवा सूरज के भी आसपास मौजूद था. कार्बनिक अणुओं की उपस्थिति इस मायने में विशेष है कि ये साधारण और जटिल अणुओं के बीच की कड़ी हैं.अंतरिक्ष में कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे साधारण कार्बनिक अणु अत्यधिक मात्रा में उपस्थित हैं, लेकिन जीवन की उत्पत्ति के लिए ज्यादा जटिल अणुओं की आवश्यकता होती है.
शोधकर्ताओं ने जटिल अणुओं की पहचान के लिए चिली स्थित एल्मा रेडियो टेलीस्कोप द्वारा इकट्ठा किए गए डेटा का इस्तेमाल किया. डॉ. आईली के मुताबिक ये जटिल अणु अंतरिक्ष में विभिन्न वातावरणों में पाए जाते हैं. लैब में किए गए अध्ययनों से यह पता चला था कि ये अणु उन जटिल अणुओं के निर्माण के लिए जरूरी हैं जो पृथ्वी पर जैव रासायनिक क्रियाओं के लिए जिम्मेदार हैं.
सही परिस्थितियों में इस जैव रासायनिक क्रिया के दौरान ये शुगर, अमीनो एसिड और राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) का निर्माण करते हैं. गौरतलब है कि मौजूदा जीव वैज्ञानिक समझ के मुताबिक पृथ्वी पर पहला जीवन आरएनए पर ही आधारित था.
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