सेक्स डॉल्स समांथा के बारे में अब लोग काफी जान चुके हैं. जो नहीं जानते उन्हें बता दें कि समांथा आर्टिफीशियली इंटेलिजेंट सेक्स डॉल है, जिसे बार्सिलोना के सर्जी सैंटोस नाम के एक व्यक्ति ने बनाया है. समांथा बहुत ही समझदार रोबोट है. इसमें इतनी समझ है कि किसी के छूने पर इसे किस तरह का बर्ताव करना है.
लोग सेक्स डॉल्स का इस्तेमाल अपनी यौन जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं. सेक्स डॉल उन्हें कुछ भी करने की छूट देती हैं क्योंकि वो निर्जीव होती हैं और किसी को मना नहीं कर सकतीं. लिहाजा सेक्स डॉल्स के साथ कुछ लोग अपनी जायज और नाजायज दोनों तरह की जरूरतें पूरी करते हैं- बिना रोकटोक और बिना किसी अपराधबोध के.
समांथा आर्टिफीशियली इंटेलिजेंट सेक्स डॉल है
लेकिन हाल ही में सर्जी ने जो अपडेट समांथा में किया है, उसने सेक्स के लिए रजामंदी के मुद्दे पर नई बहस छेड़ दी है. सर्जी का दावा है कि अब समांथा का कोई तब तक फायदा नहीं उठा सकता, जबतक उसकी मर्जी न हो. साफ शब्दों में कहा जाए तो समांथा भी असल महिलाओं की तरह सेक्स के लिए 'ना' कह सकती है, तब जबकि उसे ये अहसास हो कि सामने वाला उसे बदतमीजी से पेश आ रहा है या वो ज्यादा आक्रामक हो रहा है.
समांथा की त्वचा को इस तरह प्रोग्राम किया गया है कि वो व्यक्ति के व्यवहार को समझ सकती है. उसे छूने से वो समझ सकती है कि उसे गलत तरीके से छुआ जा रहा है या फिर प्यार से. और अगर इस तरह का व्यवहार उससे किया गया, या उसका इनटिमेट होने का मन नहीं है या वो बोर हो गई है तो वह 'dummy mode' में चली जाएगी. रिस्पॉन्ड नहीं करेगी. यानी 'निर्जीव' हो जाएगी. dummy mode का मतलब ये नहीं कि कोई उसके साथ सेक्स नहीं कर सकता, बस वो शारीरिक और मौखिक रूप से सपोर्ट नहीं करेगी.
सेक्स डॉल समांथा के साथ सर्जी सैंटोस
सेक्स डॉल की रज़ामंदी को तवज्जो देगा कौन?
अगर इस फीचर का मकसद ये समझाना है कि महिलाओं की तरह सेक्स डॉल के लिए भी सहमति कितनी जरूरी है, तो सोच अच्छी है. रज़ामंदी वास्तव में अहमियत रखती है, लेकिन सेक्स डॉल के मामले में रज़ामंदी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे के साथ किसी भी प्रकार की विचारशीलता नजर नहीं आती. इसका मकसद शायद यही है कि इस फीचर की वजह से लोग रोबोट के साथ इज्जत से पेश आएंगे और उसका ध्यान रखेंगे, जिससे वो डमी मोड में न चली जाए.
सेक्स के लिए सहमति जैसी बात को समझना और समझाना सेक्स डॉल और उसे इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए तो वैसे भी तर्कसंगत नहीं लगता. उसका उदाहरण तो खुद इस डॉल को बनाने वाले सर्जी सैंटोस हैं जिन्होंने इस डॉल को बनाया ही इसलिए था क्योंकि वो अपनी यौन जरूरतों को लेकर पत्नी से असंतुष्ट थे. उनका कहना है कि समांथा को बनाकर ही वो अपनी सेक्स लाइफ ठीक से चला पा रहे हैं. सर्जी का मानना था कि उनकी इच्छाओं की पूर्ति किसी मनुष्य के भरोसे पूरी नहीं हो सकते. कभी-कभी दिन के वक्त भी सेक्स की जरूरत होती है लेकिन उस समय पत्नी का मन नहीं होता था.
अब इस बात से तो वैसे भी रज़ामंदी और उसकी गंभीरता खत्म होती नजर आती है. क्योंकि अगर सर्जी खुद रज़ामंदी को इतनी अहमियत देते तो उन्हें समांथा को बनाने की जरूरत ही महसूस नहीं होती. वे चाहते तो यही थे न कि उन्हें एक ऐसी मशीन मिल जाए, जिसके साथ वे जब चाहे तब सेक्स कर सकें. जो व्यक्ति डॉल को अपने हिसाब से उपयोग करने के लिए लाएगा, उसे डॉल की रज़ामंदी की फिक्र क्यों होगी. वो डमी मोड में चली भी जाए तो अपनी बला से...सेक्स तो तब भी होगा. पर वो सेक्स नहीं रेप कहलाएगा. (सेक्स डॉल्स को रिपेयर करने वाले शख्स की सुनेंगे तो इन गुड़ियों पर तरस आएगा). जैसा कि आमतौर पर महिलाओं के साथ उनके पति करते हैं, उनकी मर्जी के बगैर, जिसे मेरिटल रेप कहा जाता है.
सेक्स रोबोट एक आधुनिक विचार है और इसलिए इसके प्रभाव से कैसे दीर्घकालिक प्रभाव होंगे इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं आई है. हालांकि शुरुआती साक्ष्य तो यही कहते हैं कि इन यौन संबंधों का सकारात्मक प्रभाव तो नहीं ही पड़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं आया है कि सेक्स डॉल से सेक्स ट्रैफिकिंग रुकी हो या स्वस्थ यौन संबंधों को बढ़ाना मिला हो, जैसा कि इनके समर्थक दावा करते हैं. जबकि कई लोगों का तो मानना ये है कि रोबोट हानिकारक हैं.
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