पिछले साल भारत ने चंद्रयान-2 मिशन (Chandrayaan 2 Mission) को कार्यान्वित किया था, लेकिन किसी वजह से वह अपना 100 फीसदी काम नहीं कर सका. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर तो अपनी कक्षा में स्थापित हो गया, लेकिन लैंडर विक्रम (Lander Vikram) किसी वजह से क्रैश हो गया. माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 ने अपना करीब 90-95 फीसदी लक्ष्य तो हासिल कर लिया, लेकिन अगर लैंडर विक्रम भी सही से लैंड कर जाता तो 100 फीसदी लक्ष्य हासिल हो जाता. अभी पूरा देश चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के क्रैश होने से दुखी था, इसरो (ISRO) के प्रमुख के सिवान (K Siwan) के तो पीएम मोदी (Narendra Modi) के सामने ही आंसू तक झलक गए, तभी गगनयान (Gaganyaan Mission) का जिक्र शुरू हो गया. पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है गगनयान, जिसके तहत 2022 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान उड़ान भरेगा. हालांकि, इससे पहले मानवरहित गगनयान की टेस्टिंग होगी और इसके लिए ही इसरो ने एक रोबोट बनाया, जिसे व्योममित्र (Vyommitra) नाम दिया गया है. इसे हाफ ह्यूमनॉइड रोबोट कहा जा रहा है, जो गगनयान की टेस्टिंग में अंतरिक्ष से तस्वीरें भेजेगा. व्योममित्र रोबोट पहले पूरी टेस्टिंग कर देगा, जिसके बाद एस्ट्रोनॉट्स अतंरिक्ष जाएंगे. यानी ये समझ लीजिए कि व्योममित्र रोबोट का गगयान मिशन को सफल बनाने में एक बड़ा योगदान देगा और ये एक तरह की गारंटी है कि गगनयान की हालत चंद्रयान-2 जैसी नहीं होगी. बता दें कि इसरो ने व्योममित्र को बुधवार को सबके सामने पेश किया और इसकी खूबियों के बारे में बताया.
व्योममित्र ही क्यों बनाया इसरो ने?
जब बेंगलुरु में ये रोबोट मीडिया के सामने पेश किया गया तो इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल ने मीडिया से बात करते हुए...
पिछले साल भारत ने चंद्रयान-2 मिशन (Chandrayaan 2 Mission) को कार्यान्वित किया था, लेकिन किसी वजह से वह अपना 100 फीसदी काम नहीं कर सका. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर तो अपनी कक्षा में स्थापित हो गया, लेकिन लैंडर विक्रम (Lander Vikram) किसी वजह से क्रैश हो गया. माना जा रहा है कि चंद्रयान-2 ने अपना करीब 90-95 फीसदी लक्ष्य तो हासिल कर लिया, लेकिन अगर लैंडर विक्रम भी सही से लैंड कर जाता तो 100 फीसदी लक्ष्य हासिल हो जाता. अभी पूरा देश चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम के क्रैश होने से दुखी था, इसरो (ISRO) के प्रमुख के सिवान (K Siwan) के तो पीएम मोदी (Narendra Modi) के सामने ही आंसू तक झलक गए, तभी गगनयान (Gaganyaan Mission) का जिक्र शुरू हो गया. पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है गगनयान, जिसके तहत 2022 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान उड़ान भरेगा. हालांकि, इससे पहले मानवरहित गगनयान की टेस्टिंग होगी और इसके लिए ही इसरो ने एक रोबोट बनाया, जिसे व्योममित्र (Vyommitra) नाम दिया गया है. इसे हाफ ह्यूमनॉइड रोबोट कहा जा रहा है, जो गगनयान की टेस्टिंग में अंतरिक्ष से तस्वीरें भेजेगा. व्योममित्र रोबोट पहले पूरी टेस्टिंग कर देगा, जिसके बाद एस्ट्रोनॉट्स अतंरिक्ष जाएंगे. यानी ये समझ लीजिए कि व्योममित्र रोबोट का गगयान मिशन को सफल बनाने में एक बड़ा योगदान देगा और ये एक तरह की गारंटी है कि गगनयान की हालत चंद्रयान-2 जैसी नहीं होगी. बता दें कि इसरो ने व्योममित्र को बुधवार को सबके सामने पेश किया और इसकी खूबियों के बारे में बताया.
व्योममित्र ही क्यों बनाया इसरो ने?
जब बेंगलुरु में ये रोबोट मीडिया के सामने पेश किया गया तो इसरो के वैज्ञानिक सैम दयाल ने मीडिया से बात करते हुए व्योममित्र की खासियत और उसका काम बताया. उन्होंने बताया कि व्योममित्र अतंरिक्ष में एक मानव शरीर के क्रियाकलापों का अध्ययन करेगा और उसकी रिपोर्ट इसरो को भेजेगा. उन्होंने बताया कि व्योममित्र एक खास रोबोट है, जो इंसानों को पहचान सकता है. उनके अनुसार व्योममित्र रोबोट अंतरिक्ष यात्रियों की नकल भी कर सकता है. वह जो भी करेंगे, व्योममित्र उनकी नकल कर सकता है. इतना ही नहीं, ये रोबोट सवालों के जवाब भी दे सकता है और बातचीत भी कर सकता है. जब ये रोबोट मीडिया के सामने लाया गया तो उसने कहा- 'हाय, मैं हाफ ह्यूमनॉइड (इंसानी) का पहला प्रोटोटाइप हूं.' बता दें कि इसे हाफ ह्यूमनॉइड इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसके पैर नहीं हैं. यह रोबोट सिर्फ आगे और साइड में झुक सकता है.
गगनयान के लिए चुने जा चुके हैं 4 कैंडिडेट
अभी तो व्योममित्र अंतरिक्ष में जा रहा है और इसरो को वहां की जानकारियां देगा, लेकिन मानवरहित गगनयान के सफल परीक्षण के बाद 2022 में इसरो की ओर से इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. पहले चरण में अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले 4 कैंडिडेट चुन लिए गए हैं, जिन्हें इसी महीने के आखिर में रूस में ट्रेनिंग भी दी जाएगी. हालांकि, ये 4 कैंडिडेट कौन हैं अभी ये पता नहीं है. इनकी पहचान गुप्त रखी गई है. भारत अपने कम-से-कम तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 5 से 7 दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजेगा, जहां वे विभिन्न प्रकार के माइक्रो-ग्रैविटी टेस्ट को अंजाम देंगे.
इसरो की तरफ से बनाया गया व्योममित्र ह्यूमनॉइड अभी मानवरहित गगनयान में तो टेस्टिंग के काम आएगा ही, साथ ही मानव वाले गगनयान में भी एस्ट्रोनॉट्स के साथ होगा. एस्ट्रोनॉट्स को भी इससे खूब मदद मिलेगी, क्योंकि यह रोबोट सवालों के जवाब दे सकता है. पहला मानवरहित गगनान इसी साल दिसंबर में अतंरिक्ष में भेजा जाएगा, दूसरा मानवरहित गगनयान अगले साल जून में और तीसरा गगयान 2022 में 3 एस्ट्रोनॉट्स को लेकर जाएगा.
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