भारत में पहली बुलेट ट्रेन की नींव रखी जा रही है. बुलेट ट्रेन की बात सोचते ही लगता है कि देश वाकई अब तरक्की कर रहा है. करीब 1 लाख करोड़ रुपए की इस परियोजना से देश में 20 हजार नौकरियां मिलने की संभावना है. बुलेट ट्रेन देश की ऐसी पहली ट्रेन होगी जो समुद्र के भीतर 21 किलोमीटर तक चलेगी. सोचकर ही अच्छा लगता है कि अगले 5 सालों में देश में बुलेट ट्रेन दौड़ने लगेगी. विदेशों में जिस तरह लोग समय की कद्र करते हैं, तकनीक को अहम मानते हैं अब वो भारत में भी होगा. इस सबके बीच बस एक ही सवाल है जो मेरे मन में रहता है. अगर बुलेट ट्रेन भी पटरी से उतर गई तो?
किसी बुरे सपने की तरह पिछले दो साल बीते हैं. भारतीय रेलवे में जहां नई तकनीक, नई सुविधाएं, नई ट्रेन, बेहतर सुविधा वाले प्लेटफॉर्म की तैयारी हो रही थी, एक ट्वीट पर काम हो रहा था वहीं आए दिन होती रेल दुर्धटनाओं ने लोगों और प्रशासन दोनों की नींद हराम कर रखी थी. पिछले ढाई साल में 251 मौतें और 145 रेल दुर्घटनाओं का आंकड़ा छोटा तो नहीं है.
हमारे देश में सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस की स्पीड भी औसत 160 किलोमीटर प्रति घंटे है. इसके अलावा, एवरेट ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे के आस-पास चलती है. इसी के साथ अगर कोई ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होती है तो ट्रेन भारतीय रेलवे ने एयरब्रेक जैसे कुछ सेफ्टी के तरीके इस्तेमाल किए हैं. इसके अलावा, एंटी कोलीजन डिवाइस का इस्तेमाल भी होता है.
फिर भी भारतीय ट्रेन को सेफ नहीं कहा जा सकता है. अब यहीं लोगों का सवाल था कि कम स्पीड वाली ट्रेन जब डीरेल होती है तो भीषण हादसा होता है. ऐसे में अगर हाई स्पीड बुलेट ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होगी तो क्या होगा.
हाई स्पीड ट्रेन हादसे...
अभी तक सबसे ज्यादा भीषण हाईस्पीड हादसे जर्मनी, चीन और स्पेन में हुए हैं. सबसे पहला...
भारत में पहली बुलेट ट्रेन की नींव रखी जा रही है. बुलेट ट्रेन की बात सोचते ही लगता है कि देश वाकई अब तरक्की कर रहा है. करीब 1 लाख करोड़ रुपए की इस परियोजना से देश में 20 हजार नौकरियां मिलने की संभावना है. बुलेट ट्रेन देश की ऐसी पहली ट्रेन होगी जो समुद्र के भीतर 21 किलोमीटर तक चलेगी. सोचकर ही अच्छा लगता है कि अगले 5 सालों में देश में बुलेट ट्रेन दौड़ने लगेगी. विदेशों में जिस तरह लोग समय की कद्र करते हैं, तकनीक को अहम मानते हैं अब वो भारत में भी होगा. इस सबके बीच बस एक ही सवाल है जो मेरे मन में रहता है. अगर बुलेट ट्रेन भी पटरी से उतर गई तो?
किसी बुरे सपने की तरह पिछले दो साल बीते हैं. भारतीय रेलवे में जहां नई तकनीक, नई सुविधाएं, नई ट्रेन, बेहतर सुविधा वाले प्लेटफॉर्म की तैयारी हो रही थी, एक ट्वीट पर काम हो रहा था वहीं आए दिन होती रेल दुर्धटनाओं ने लोगों और प्रशासन दोनों की नींद हराम कर रखी थी. पिछले ढाई साल में 251 मौतें और 145 रेल दुर्घटनाओं का आंकड़ा छोटा तो नहीं है.
हमारे देश में सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस की स्पीड भी औसत 160 किलोमीटर प्रति घंटे है. इसके अलावा, एवरेट ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे के आस-पास चलती है. इसी के साथ अगर कोई ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होती है तो ट्रेन भारतीय रेलवे ने एयरब्रेक जैसे कुछ सेफ्टी के तरीके इस्तेमाल किए हैं. इसके अलावा, एंटी कोलीजन डिवाइस का इस्तेमाल भी होता है.
फिर भी भारतीय ट्रेन को सेफ नहीं कहा जा सकता है. अब यहीं लोगों का सवाल था कि कम स्पीड वाली ट्रेन जब डीरेल होती है तो भीषण हादसा होता है. ऐसे में अगर हाई स्पीड बुलेट ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होगी तो क्या होगा.
हाई स्पीड ट्रेन हादसे...
अभी तक सबसे ज्यादा भीषण हाईस्पीड हादसे जर्मनी, चीन और स्पेन में हुए हैं. सबसे पहला हादसा था जर्मनी की ICE ट्रेन का जो 1998 में हुआ था. इस ट्रेन हादसे में 101 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे. 2011 में हाई स्पीड ट्रेन हादसा चीन में हुआ था और इसमें 40 लोगों की मौत हो गई थी. इसी तरह एक हादसा स्पेन में हुआ था और उसमें 80 लोगों की मौत हो गई थी.
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ये वीडियो स्पेन के ट्रेन क्रैश का है. किसी खिलौने की तरह हाई स्पीड ट्रेन कुछ सेकंद में ही दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है. हाईस्पीड ट्रेन हादसों के पीछे अधिकतर मेनटेनेंस या मॉनिटरिंग की गड़बड़ी शामिल होती है.
शिनकैनसन...
हमारे देश में जापान से ट्रेन मंगवाई जा रही है. जापानी ट्रेन नेटवर्क शिनकैनसन दुनिया का सबसे सुरक्षित बुलेट ट्रेन नेटवर्क माना जाता है. कारण ये है कि 1964 से लेकर अब तक जापान में एक भी इंसान की जान ट्रेन हादसे की वजह से नहीं हुई है. इस ट्रेन की स्पीड 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक जा सकती है और टेस्ट रन में ये 443 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच चुकी है.
इसे सबसे सुरक्षित माना जाता है क्योंकि भूकंप के समय में भी ये 300 किलोमीटर की स्पीड पर भी सिर्फ 300 मीटर के अंदर रुक सकती है. जापानी पटरियां भी सीधी नहीं हैं और मोड़ ज्यादा हैं. इसलिए ट्रेन में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है कि ट्रेन आसानी से मुड़ सके.
अगर पटरी से उतरी तो...
वैसे तो ये दावे के साथ नहीं कह सकती, लेकिन शायद पटरी से उतरने पर भी जापानी बुलेट ट्रेन का वही सुरक्षा सिस्टम काम करेगा जो भूकंप के समय करता है. मतलब अगर एक डिब्बा पटरी से उतरेगा तो सभी में ब्रेक लग जाएंगे. इससे हाईस्पीड तो कम हो जाएगी और दुर्घटना का स्तर भी घट जाएगा.
कुछ बातों पर गौर करें...
भारत में बुलेट ट्रेन या कोई भी ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त न हो इसके लिए कुछ चीजें जरूरी हैं.. जैसे कि सबसे पहले तो मेनटेनेंस का काम सही चले. सही से मेरा मतलब है कि उतनी ही मुश्तैदी से चले जितना जापान में चलता है. जापान में तो पूरी ट्रेन की सफाई भी 7 मिनट के अंदर हो जाती है तो खुद ही आप मेनटेनेंस के काम का अंदाजा लगा सकते हैं. इसके अलावा, रेलवे के किसी भी प्रोजेक्ट में कोई स्कैम न हो. अगर लोगों से ज्यादा खुद को फायदा पहुंचाने के बारे में सोचा जाएगा तो यकीनन भविष्य में दुर्घटनाओं के रास्ते खुल जाएंगे. और सबसे बड़ी बात, लोग भी इस तकनीक को वैसा ही समझें जैसे विदेशों में लोग समझते हैं. अब तेजस एक्सप्रेस और लखनऊ मेट्रो का हाल तो आपको पता ही है.
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