पिछले कुछ सालों में मोब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा किसी की हत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. ये हत्याएं किसी न किसी अफवाह की वजह से हुई हैं. लोगों के बीच फैल रही अफवाहों का सबसे बड़ा कारण सामने आया है वाट्सऐप पर वायरल हो रहे मैसेज. सरकार ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए वाट्सऐप पर इसका दोष मढ़ दिया और नोटिस तक भेज डाला. वाट्सऐप ने भी बिना किसी देरी के सरकार के नोटिस का जवाब दे दिया कि वह अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए कुछ नए फीचर्स लाने वाला है. अपनी कोशिशें भी वाट्सऐप ने शुरू कर दी हैं, लेकिन वाट्सऐप की सारी कोशिशें गलत दिशा में ही जा रही हैं, जो अफवाहों पर किसी हालत में रोक नहीं लगा सकती हैं.
फॉरवर्ड का लेबल
वाट्सऐप ने फॉरवर्ड किए गए मैसेज पर एक लेबल दिखाने का नया फीचर शुरू करने की बात कही थी और उसे शुरू भी कर दिया है. हालांकि, अधिकतर मोबाइल फोन में ऐसा कोई लेबल देखने को नहीं मिला है. इस लेबल का फीचर शुरू किए जाने की घोषणा वाट्सऐप ने खुद अपने ब्लॉग के जरिए की है.
वाट्सऐप का ये नया फीचर गलत दिशा में हो रही एक कोशिश मालूम पड़ता है. अगर किसी मैसेज पर फॉरवर्ड का लेबल ना भी हो, तो जिन मैसेज को अफवाहों के तौर पर फैलाया जाता है, वो देख कर ही ये समझ आ जाता है कि उसे फॉरवर्ड किया गया है. यहां तक कि लोगों को भड़काने वाली पोस्ट में उसे अधिक से अधिक शेयर करने के लिए कहा गया होता है. इस तरह की पोस्ट पर फॉरवर्ड का लेबल लगाने पर से लगाम लगना नामुमकिन है. भले ही वाट्सऐप ने लेबल का फीचर लॉन्च करके अपना पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन अफवाहों का दौर सिर्फ एक फीचर से नहीं रुकने वाला. ये तब रुकेगा, जब लोगों की मानसिकता...
पिछले कुछ सालों में मोब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा किसी की हत्या की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. ये हत्याएं किसी न किसी अफवाह की वजह से हुई हैं. लोगों के बीच फैल रही अफवाहों का सबसे बड़ा कारण सामने आया है वाट्सऐप पर वायरल हो रहे मैसेज. सरकार ने भी अपना पल्ला झाड़ते हुए वाट्सऐप पर इसका दोष मढ़ दिया और नोटिस तक भेज डाला. वाट्सऐप ने भी बिना किसी देरी के सरकार के नोटिस का जवाब दे दिया कि वह अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए कुछ नए फीचर्स लाने वाला है. अपनी कोशिशें भी वाट्सऐप ने शुरू कर दी हैं, लेकिन वाट्सऐप की सारी कोशिशें गलत दिशा में ही जा रही हैं, जो अफवाहों पर किसी हालत में रोक नहीं लगा सकती हैं.
फॉरवर्ड का लेबल
वाट्सऐप ने फॉरवर्ड किए गए मैसेज पर एक लेबल दिखाने का नया फीचर शुरू करने की बात कही थी और उसे शुरू भी कर दिया है. हालांकि, अधिकतर मोबाइल फोन में ऐसा कोई लेबल देखने को नहीं मिला है. इस लेबल का फीचर शुरू किए जाने की घोषणा वाट्सऐप ने खुद अपने ब्लॉग के जरिए की है.
वाट्सऐप का ये नया फीचर गलत दिशा में हो रही एक कोशिश मालूम पड़ता है. अगर किसी मैसेज पर फॉरवर्ड का लेबल ना भी हो, तो जिन मैसेज को अफवाहों के तौर पर फैलाया जाता है, वो देख कर ही ये समझ आ जाता है कि उसे फॉरवर्ड किया गया है. यहां तक कि लोगों को भड़काने वाली पोस्ट में उसे अधिक से अधिक शेयर करने के लिए कहा गया होता है. इस तरह की पोस्ट पर फॉरवर्ड का लेबल लगाने पर से लगाम लगना नामुमकिन है. भले ही वाट्सऐप ने लेबल का फीचर लॉन्च करके अपना पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन अफवाहों का दौर सिर्फ एक फीचर से नहीं रुकने वाला. ये तब रुकेगा, जब लोगों की मानसिकता बदलेगी.
अखबारों में विज्ञापन
अफवाहों को रोकने के लिए कोशिश करने का जो वादा वाट्सऐप ने भारत सरकार से किया था, उस पर वाट्सऐप ने अमल करना भी शुरू कर दिया है. अपनी इस कोशिश के तहत वाट्सऐप ने अखबारों में पूरे-पूरे पन्ने का विज्ञापन तक निकालना शुरू कर दिया है. अब सवाल ये है कि जो लोग इस तरह के भड़ाऊ संदेशों को फॉरवर्ड करते हैं, क्या वह अखबार का विज्ञापन पढ़कर रुक जाएंगे? जो लोग मोब लिंचिंग में किसी को मार-मार के लहू-लुहान करने पर भी नहीं रुकते, जब तक कि पिटने वाले की सांसें न रुक जाएं, उन्हें अखबार का एक विज्ञापन रोक सकता है? किसी को जान से मारने में जिनके हाथ नहीं कांपे, अखबार के विज्ञापन देखकर उनका दिल क्या पसीजेगा?
इस तरह की अधिकतर घटनाएं दूर-दराज के इलाकों से सामने आती हैं. सस्ता मोबाइल और इंटरनेट होने के चलते लोग फ्री का वाट्सऐप को खूब इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन क्या वो लोग अखबार पढ़ते होंगे? जिस देश में शिक्षा की हालत पहले ही लचर है, उस देश में हम ये कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि दूर-दराज के इलाकों में लोग अखबार में वाट्सऐप का विज्ञापन पढ़कर भड़काऊ मैसेज को फॉरवर्ड नहीं करेंगे. यानी ये साफ है कि वाट्सऐप की ये कोशिश भी गलत दिशा में चल पड़ी है.
ये हैं कुछ सुझाव
1- वाट्सऐप के मैसेज को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, पहला प्राइवेट और दूसरा पब्लिक. प्राइवेट मैसेज आप एक बार में सिर्फ एक ही शख्स को कर सकेंगे, जबकि पब्लिक मैसेज को आप बहुत से लोगों को सेलेक्ट कर के एक साथ भेज सकेंगे, जैसा कि अभी होता है. साथ ही, पब्लिक मैसेज पर एंड-टु-एंड एनक्रिप्शन ना हो, ताकि उसे आसानी से फिल्टर किया जा सके. हालांकि, ऐसा होने पर भी शरारती तत्व प्राइवेट मैसेज की तरह एक-एक कर के अफवाहों के फैलाने की कोशिश करेंगे, लेकिन अफवाहों के फैलने की रफ्तार बेशक कम हो जाएगी.
2- अक्सर ऐसी अफवाहों के तहत एक जगह पर जमा होने की सूचना वाट्सऐप ग्रुप के जरिए दी जाती है, ताकि एक साथ सभी लोगों को जानकारी मिल जाए. ऐसे में किसी भी वाट्सऐप ग्रुप में पोस्ट पब्लिश होने से पहले उसे चेक करने के लिए कोई मॉडरेटर होना जरूरी है. इसके लिए वाट्सऐप ग्रुप एडमिन को ही ये जिम्मेदारी दी जा सकती है या फिर कोई नया फीचर जोड़ा जा सकता है, जिसके तहत एडमिन एक या एक से अधिक लोगों को ग्रुप का मॉडरेटर नियुक्त कर सकता है. कोई गलत मैसेज किसी ग्रुप में पोस्ट होने पर मॉडरेटर और ग्रुप एडमिन की जिम्मेदारी तय की जा सकती है. ऐसा होने पर ग्रुप एडमिन किसी भी गलत मैसेज को फैलने से रोकेगा.
3- इसके लिए सरकार कुछ कैंपेन भी चला सकती है, जिससे लोगों को जागरुक किया जा सके. लोगों को इसके बारे में जागरुक करने का सबसे अच्छा तरीका है कि हर नेता अपने भाषण में लोगों से अफवाहों पर गौर न करने की बातें कहे, क्योंकि हर छोटे-बड़े शहर और गांव में नेताओं की रैलियां तो होती ही हैं. लोकसभा चुनाव आने वाले हैं और अब ये रैलियां और अधिक बढ़ जाएंगी.
वाट्सऐप की कोशिशें तो पहले ही गलत दिशा में जा रही है. लेकिन अगर वाट्सऐप ऊपर दिए गए सुझावों को भी मान ले, तो भी अफवाहों पर सिर्फ लगाम लगेगी, ना कि वह बंद होंगी. लोग ग्रुप में नहीं तो पर्सनल मैसेज कर के अफवाह फैलाएंगे. अगर एक साथ बहुत से लोगों को कोई मैसेज नहीं भेज सकते तो एक-एक करके सबको मैसेज भेजेंगे. दरअसल, इससे निपटने के लिए समाज, सरकार और तकनीकी कंपनियों को साथ मिलकर काम करना होगा. तकनीकी फीचर तो वाट्सऐप में जुड़ जाएंगे, लेकिन सही-गलत की समझ के बारे में तो लोगों को खुद ही पता लगाना होगा. साथ ही, ग्रुप चैट में मॉडरेटर की जिम्मेदारी भले हो जाए, लेकिन इसे लेकर कानून बनाना तो सरकार का ही काम है ताकि अफवाह फैलाने वाले को सजा दी जा सके. सरकार को लोगों को जागरुक करने के लिए कुछ कैंपेन भी चलाने चाहिए.
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