एक जमाना था जब डीजल कार लेकर लोगों को लगता था कि चलो अब पैसे ज्यादा खर्च भले ही कर दिए, लेकिन कम से कम ईंधन में तो बचत होगी. ये बात बहुत पुरानी नहीं जब भारत में बिकने वाली हर दूसरी कार डीजल हुआ करती थी. लेकिन अब जिस तरह पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं उससे तो लग रहा है कि डीजल और पेट्रोल में कोई फर्क ही नहीं रह जाएगा.
55 महीने में सबसे ज्यादा दाम ...
पेट्रोल और डीजल के दाम भारत में बेतहाशा बढ़ रहे हैं. इस हफ्ते ये दाम 55 महीने में सबसे ज्यादा हो गए. मुंबई में जहां सबसे ज्यादा टैक्स पेट्रोल और डीजल पर लगाया जाता है वहां पेट्रोल के दाम 81.92 रुपए प्रति लीटर हो गए और डीजल के दाम 69.50 रुपए प्रति लीटर हो गए. दिल्ली में डीजल के दाम 65.27 रुपए प्रति लीटर हैं और पेट्रोल के दाम 74.07 रुपए प्रति लीटर हैं.
अब इसका असर डीजल कारों पर भी पड़ रहा है. ये सिर्फ सेडान या कॉम्पैक्ट कार में ही नहीं बल्कि SV कैटेगरी में भी इसका असर देखने को मिला है. SV पेट्रोल का मार्केट 2012-13 में 3% हुआ करता था और अब ये बढ़कर 16% हो गया है.
पेट्रोल और डीजल के दामों में घटता अंतर तो नहीं इसके लिए जिम्मेदार?
इसके पीछे एक अहम कारण पेट्रोल और डीजल के दामों का अंतर जरूर है. पहले जहां डीलज और पेट्रोल की कीमतों में अंतर काफी हुआ करता था अब वो लगातार कम होता जा रहा है. इसी के साथ, डीजल इंजन जो हाई कैपेसिटी के हैं जैसे 2000 cc से ऊपर वो दिल्ली में बैन कर दिए गए हैं. साथ ही इनके इस्तेमाल की लीगल लिमिट 10 साल है जब्कि पेट्रोल की 15 साल.
कई राज्यों में डीजल टैक्सी को पर्मिट नहीं दिया जाता है क्योंकि डीजल इंजन ज्यादा PM पार्टिकल्स और नाइट्रोजन ऑक्साइड (प्रदूषण) फैलाते हैं.
Siam की रिपोर्ट के मुताबिक डीजल कार का मार्केट...
एक जमाना था जब डीजल कार लेकर लोगों को लगता था कि चलो अब पैसे ज्यादा खर्च भले ही कर दिए, लेकिन कम से कम ईंधन में तो बचत होगी. ये बात बहुत पुरानी नहीं जब भारत में बिकने वाली हर दूसरी कार डीजल हुआ करती थी. लेकिन अब जिस तरह पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं उससे तो लग रहा है कि डीजल और पेट्रोल में कोई फर्क ही नहीं रह जाएगा.
55 महीने में सबसे ज्यादा दाम ...
पेट्रोल और डीजल के दाम भारत में बेतहाशा बढ़ रहे हैं. इस हफ्ते ये दाम 55 महीने में सबसे ज्यादा हो गए. मुंबई में जहां सबसे ज्यादा टैक्स पेट्रोल और डीजल पर लगाया जाता है वहां पेट्रोल के दाम 81.92 रुपए प्रति लीटर हो गए और डीजल के दाम 69.50 रुपए प्रति लीटर हो गए. दिल्ली में डीजल के दाम 65.27 रुपए प्रति लीटर हैं और पेट्रोल के दाम 74.07 रुपए प्रति लीटर हैं.
अब इसका असर डीजल कारों पर भी पड़ रहा है. ये सिर्फ सेडान या कॉम्पैक्ट कार में ही नहीं बल्कि SV कैटेगरी में भी इसका असर देखने को मिला है. SV पेट्रोल का मार्केट 2012-13 में 3% हुआ करता था और अब ये बढ़कर 16% हो गया है.
पेट्रोल और डीजल के दामों में घटता अंतर तो नहीं इसके लिए जिम्मेदार?
इसके पीछे एक अहम कारण पेट्रोल और डीजल के दामों का अंतर जरूर है. पहले जहां डीलज और पेट्रोल की कीमतों में अंतर काफी हुआ करता था अब वो लगातार कम होता जा रहा है. इसी के साथ, डीजल इंजन जो हाई कैपेसिटी के हैं जैसे 2000 cc से ऊपर वो दिल्ली में बैन कर दिए गए हैं. साथ ही इनके इस्तेमाल की लीगल लिमिट 10 साल है जब्कि पेट्रोल की 15 साल.
कई राज्यों में डीजल टैक्सी को पर्मिट नहीं दिया जाता है क्योंकि डीजल इंजन ज्यादा PM पार्टिकल्स और नाइट्रोजन ऑक्साइड (प्रदूषण) फैलाते हैं.
Siam की रिपोर्ट के मुताबिक डीजल कार का मार्केट 2012-13 में 47% था और अब 23% रह गया है. यानी 5 सालों में 50% मार्केट गिर गया है. यहीं अगर सिर्फ SV मार्केट की बात करें तो डीजल कारों का शेयर 84% तक गिर गया है जो 2012 में 97% हुआ करता था.
डीजल गाड़ियों की डिमांड आने वाले समय में और गिरने की संभावना है. रीटेल कीमतों में पहले ही 1 से 1.5 लाख का अंतर है और प्रदूषण के मामले में भी ये पेट्रोल से कम है. दूसरा इसकी उम्र भी पेट्रोल की तुलना में कम है.
अभी तक इन सारी बुराइयों से आगे डीजल गाड़ियों में फायदा इसलिए था क्योंकि डीजल पेट्रोल के मुकाबले सस्ता था, लेकिन अब अगर देखें तो पेट्रोल और डीजल के दामों में बहुत ज्यादा अंतर बचा नहीं है. ऐसा चलता रहा तो डीजल गाड़ियों का मार्केट और गिर जाएगा.
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