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Updated: 12 अप्रिल, 2018 05:05 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
  @ashok.upadhyay.12
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उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल राम नाईक की सलाह को मानते हुए एक प्रस्ताव पारित कर बीआर अंबेडकर के नाम में राम जोड़ दिया. मतलब अब से यूपी सरकार के रिकॉर्ड और किताबों में उन्हें भीमराव रामजी अंबेडकर लिखा जाएगा. यही नहीं भाजपा ने अंबेडकर जयंती समारोह के लिए एक नया नारा भी दिया है- "बाबा जी का मिशन अधूरा, बीजेपी कर रही है पूरा".

14 अप्रैल से बीजेपी ने 22 दिन के जश्न की योजना बनाई है. "ग्राम स्वराज अभियान" के जरिए अंबेडकर के गांवो के विकास, सामाजिक न्याय और गरीबों के कल्याण के संदेश का प्रचार करेंगे. ऐसा लगता है कि पार्टी डॉ बीआर अंबेडकर की विरासत को हड़पने का हर प्रयास कर रही है. इसका सबसे हालिया उदाहरण है टूटी हुई मूर्ति को फिर से बनाकार उसे भगवा रंग से रंग देना.

लेकिन फिर सवाल ये उठता है कि क्या पार्टी बाबा साहेब के उन बातों का भी समर्थन करती है जो उन्होंने हिंदुत्व या हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के बारे कहा था? आइए बाबा साहेब के उन 10 बयानों पर एक नज़र डालते हैं जो भगवा पार्टी को असहज महसूस करा सकते हैं:

1- अंबेडकर ने महात्मा गांधी द्वारा मंदिर प्रवेश विधेयक को समर्थन देने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. अंबेडकर ने गांधी को लिखा, "मैं महात्मा को ये बताना चाहता हूं कि ये सिर्फ हिंदुओं और हिंदू धर्म की विफलता ही नहीं है, जिसने मुझमें घृणा और अवमानना की भावना पैदा की है. मुझे हिंदुओं और हिंदू धर्म से घृणा है क्योंकि मुझे विश्वास है कि वे गलत आदर्शों और गलत सामाजिक जीवन का नेतृत्व करते हैं. हिंदुओं और हिंदू धर्म के साथ झगड़ा, उनके सामाजिक आचरण की खामियों के कारण नहीं है. बल्कि ये उससे भी अधिक मौलिक है. मेरा उनसे वैराग उनके आदर्शों के कारण है."

2- महात्मा गांधी द्वारा दलितों को हिंदू धर्म में वापस लाने के प्रयासों के जवाब में, अंबेडकर ने कहा, "कड़वी चीज मीठी नहीं बनाई जा सकती. किसी भी चीज का स्वाद बदला जा सकता है. लेकिन जहर को अमृत नहीं बनाया जा सकता है."

3- 1935 में, उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी, "मैं जन्म से हिंदू था क्योंकि मेरा इस पर कोई नियंत्रण नहीं था, लेकिन मैं हिंदू नहीं मरूंगा."

4- 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में एक भव्य समारोह में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया. अंबेडकर ने कहा: "मेरा प्राचीन धर्म जो असमानता और उत्पीड़न को बढ़ावा देता था, उसे छोड़कर आज मेरा पुनर्जन्म हुआ है."

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उस दिन अंबेडकर और उनके साथ धर्म परिवर्तन करने वाले सभी लोगों ने 22 शपथ लिए. उनमें से एक था: "मैं अपने पुराने धर्म, हिंदू धर्म को अस्वीकार करता हूं, जो मानवता के विकास के लिए रुकावट पैदा करता है. और जो मनुष्य के बीच भेद करता है और मुझे नीच समझता है."

5- डॉ अंबेडकर ने जो 22 प्रतिज्ञाएं ली उनमें से तीन प्रमुख थे:

क) "मेरा ब्रह्मा, विष्णु और महेश में विश्वास नहीं होगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा."

ख) "मेरा भगवान के अवतार के रूप में माने जाने वाले राम और कृष्ण पर विश्वास नहीं होगा और न ही मैं उनकी पूजा करुंगा."

ग) "मेरा गौरी, गणपति और अन्य हिंदु देवी देवताओं पर कोई विश्वास नहीं होगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा."

6- ऊंची जाति के हिंदुओं की तुलना मुस्लिम सांप्रदायिकों से करते हुए उन्होंने कहा, "वर्ग वर्चस्व के इस स्वार्थी विचार के साथ, वे निचली जाति के लोगों से धन, शिक्षा और शक्ति सबकुछ छीनने के लिए हर कदम उठाते हैं... शिक्षा, धन और शक्ति को अपने पास रखने और दूसरों के साथ नहीं बांटने के इस दृष्टिकोण के साथ उच्च जाति के हिंदुओं ने निचले वर्गों के हिंदुओं के साथ अपने संबंध में विकसित किए हैं. और ये उन्हें मुसलमानों तक बढ़ाएंगे. वे मुसलमानों को भी सत्ता  और पद से हटाना चाहते हैं, जैसा उन्होंने निम्न वर्ग के हिंदुओं के साथ किया है. उच्च जाति के हिंदुओं का यह गुण उनकी राजनीति को समझने की चाभी है."

7- अंबेडकर ने हिंदुत्व के झंडाबरदारों और मुस्लिम लीग के बीच अंतर नहीं किया. उन्होंने दोनों भारत को खत्म करने वाले एक ही सिक्के का दो पहलू माना. उन्होंने लिखा है: "ये अजीब लग सकता है कि जहां सावरकर और जिन्ना जिन्हें एक देश और दो देश के मुद्दे पर एक दूसरे का विरोधी होना चाहिए था, इसके बजाए दोनों में पूरी सहमति है. दोनों ही सहमत हैं, न केवल सहमत हैं, बल्कि जोर दे रहे हैं कि भारत में दो राष्ट्र हैं- एक मुस्लिम राष्ट्र और एक हिंदू राष्ट्र."

8- भगवा ब्रिगेड में अपनी पैठ जमाने वाले सावरकर की आलोचना करने में अंबेडकर ने कोई कोताही नहीं की. उन्होंने लिखा, "यह कहा जाना चाहिए कि सावरकर का व्यवहार अगर अजीब नहीं है तो असंगत तो जरुर है. सावरकर मुस्लिमों को अलग संस्कृति वाला तो मानते हैं और यह भी स्वीकार करते हैं कि उनका अगल प्रतीक या झंडा हो सकता है. उन्हें सांस्कृतिक स्वायत्तता का अधिकार है. लेकिन फिर सावरकर मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग का विरोध करते हैं. यदि वे हिंदुओं के लिए हिंदु राष्ट्र की पैरवी करते हैं तो वे मुसलमानों के मामले में ऐसी ही मांग का विरोध कैसे कर सकते हैं?"

9- Dr Babasaheb Ambedkar Writings & Speeches के सातवें खंड में उन्होंने कुछ सवाल उठाए हैं- "गोमांस खाने के नाम पर हिंदुओं को उल्टी आने का कारण क्या है? क्या हिंदू हमेशा से ही गोमांस खाने के विरोधी थे? अगर नहीं, तो फिर उन्होंने इस तरह का मतभेद क्यों पैदा किया? क्या अछूतों को शुरू से ही गोमांस खाने को दिया जाता था? जब हिंदू द्वारा गोमांस खाना छोड़ दिया गया तो फिर उन्होंने बंद क्यों नहीं किया? क्या अछूत हमेशा से ही अछूत थे? आखिर बाद के समय में गोमांस खाने वालों को अस्पृश्यता क्यों माना जाने लगा? अगर हिंदू गोमांस खा रहे थे, तो उन्होंने इसे कब छोड़ा?"

इसके बाद, उन्होंने उन सवालों के बहुत विस्तार से उत्तर दिया.

10- दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों पर करारा हमला करते हुए अंबेडकर ने अपनी किताब Pakistan or The Partition of India में लिखा, "यदि हिंदू राज सच में बन जाता है, तो इसमें कोई संदेह नहीं है, कि यह इस देश के लिए सबसे बड़ी आपदा होगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हिंदु क्या कहते हैं. हिंदू धर्म स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के लिए खतरा है. इसलिए ये लोकतंत्र के साथ भी नहीं चल सकता. किसी भी कीमत पर हिंदू राज को रोका जाना चाहिए."

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लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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