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सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों की एकजुटता का माहौल बने. इसलिए ही उन्होंने यूपी कि सियासत मे पीडीए का जाल बिछाने की जबानी रणनीति तय की है. पीडीए का फुलफॉर्म है- दलित,पिछड़ा और अल्पसंख्यक. सपा अपने अतीत की पारम्परिक जमीनी धरातल को दोहराना चाहती है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
अशोक भाटिया
बिहार की राजनीति में क्यों अहम हुईं अगड़ी जातियां?
90 के दशक में जब मंडल-कमंडल की राजनीति ने अपने पांव फैलाए, तो देश के तमाम दूसरे राज्यों की तरह बिहार की सियासत का नक़्शा भी बदल गया. लेकिन हाल के दिनों में, बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अचानक वहां अगड़ी जातियों की अहमियत बढ़ गई है.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दलित हैं, ये कहना अपराध है क्या?
खड़गे तो स्वयं दलित है और उन्हें गुमान भी है कि वो देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. लेकिन यदि कोई कहे कि कांग्रेस ने उन्हें अध्यक्ष इसलिए बनाया है क्योंकि वो एक दलित है, तो ऐसा 'कहा' उन्हें निश्चित ही आहत करेगा चूंकि वे काबिल अध्यक्ष हैं.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
रमेश सर्राफ धमोरा
@ramesh.sarraf.9
राजस्थान में दलित आदिवासी वोटों को साधने में जुटी है कांग्रेस...
राजस्थान में कभी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं को कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक बना जाता था. मगर धीरे-धीरे भाजपा ने भी उनमें सेंध लगा ली.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
बाबा साहेब के व्यक्तित्व में दिखता है बचपन में मिले धार्मिक संस्कारों का प्रभाव
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का बचपन अत्यंत संस्कारी एवं धार्मिक वातावरण में बीता. उनके परिवार के तीन सदस्यों ने संन्यास आश्रम को चुना.पिताजी ने कालान्तर में कबीरपंथ की दीक्षा ली. उनके घर में रामायण, पाण्डव प्रताप, ज्ञानेश्वरी एवं संत साहित्य का नित्य पाठ होता था.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
आजाद मो. शेख
@2136944423170184
आखिर कब तक दलितों और अल्पसंख्यकों की मॉब लिंचिंग होती रहेगी?
सुप्रीम कोर्ट ने दलितों और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के खिलाफ मॉब लिंचिंग और भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं को भीड़तंत्र के भयावह कृत्यों के रूप में निरूपित किया था. इसके साथ संसद से आग्रह किया था कि लिंचिंग को दंड के साथ एक अलग अपराध बनाने वाले कानून का मसौदा तैयार किया जाए, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है.
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
श्री रामचरितमानस बहाना है, जातिवाद जमाना है
रामचरित मानस के नाम पर जो भी राजनीतिक बवाल है, मानस के बहाने जाति के दंश को हवा देनी है. बात का औचित्य सिद्ध करने के लिए, ब्यौरा देने के लिए बजरंगबली श्री हनुमान का सहारा लेना पड़ रहा है. आखिर प्रभु राम के भी तो वही काम आये थे!
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
आनंद सिंह
@1310852232594960
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान बनाम हिंदुत्व और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
इस देश में किसी के सिद्ध होने का कभी यह अर्थ नहीं हुआ कि वह दूसरों का नाश कर दे. एक बार रावण ने किया था, उसका संहार हो गया. स्वामी प्रसाद मौर्य चीन का नाश चाहते हैं. यह बचपना नहीं तो क्या है... भला ऐसा भी कहीं होता है...
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
Nitin Kumar Shukla
@578290350820745
रामचरित मानस का मुद्दा राजनीतिक स्टंट के अलावा और कुछ भी नहीं है!
आज एक भइया जी मिले. मुझसे बोले कि रामचरित मानस का इतना अपमान हो रहा है. तुम इस विषय पर कुछ लिखते क्यों नहीं ? मैंने कहा भइया जी, क्या लिखूं ? मैंने कहा आप रामचरित मानस को छोड़ो, आप ये देखिए कि पाकिस्तान किस तरह से भूखा मर रहा है.