Aadhaar कानून संशोधन पास हो गया, लेकिन 5 सवाल कायम रहे!
केंद्र सरकार के मुताबिक आधार एक स्वैच्छिक पहचान पत्र है. कानून में संशोधन के बाद ये संभव हो सका है. भले ही ये कहा जाये - लेकिन सवाल जस का तस है कि क्या व्यावहारिक तौर पर भी ऐसा कभी संभव हो पाएगा?
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आधार और अन्य कानून (संशोधन) बिल, 2019 लोक सभा में ध्वनि मत से पास हो चुका है. लोक सभा में बिल पेश करते हुए सूचना तकनीक मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन को आश्वस्त किया था कि आधार स्वैच्छिक है और इसके इस्तेमाल के लिए पहले उस शख्स की मंजूरी लेनी होगी जिसकी बॉयोमेट्रिक पहचान आधार डाटा में समाहित है.
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि आधार कानून बिलकुल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही तैयार किया गया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर इसे व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी गयी है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है.
आधार को लेकर अपडेट ये है कि अब सरकार ने आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए इसके भी इस्तेमाल की छूट दे दी है. अब तक रिटर्न दाखिल करने के लिए पैन कार्ड ही अनिवार्य हुआ करता था.
1. क्या आधार से आयकर रिटर्न दाखिल हो सकता है?
बिलकुल. अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है लेकिन आधार नंबर है तो आप आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2019 पेश करते हुए बताया कि अब आयकर रिटर्न फाइल करने में आधार का भी इस्तेमाल हो सकता है. ठीक वैसे ही जैसे अब तक सिर्फ पैन कार्ड के माध्यम से हुआ करता था. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अब आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार या पैन कार्ड में से कोई भी काम आ सकता है.
तो क्या अब आधार और पैन कार्ड को लिंक करने की जरूरत नहीं रही?
वस्तुस्थिति तो विभागों के पास सर्कुलर पहुंचने के बाद ही समझी जा सकती है, लेकिन अभी तो ऐसा ही लगता है. आधार बिल पर बहस के दौरान IT मंत्री रविशंकर प्रसाद और बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री की बातों से समझें तो ऐसा ही प्रतीत होता है.
2. क्या आधार न होने पर भी सेवाओं का लाभ मिल सकेगा?
जी हां, सेवाओं के लाभ के लिए आधार की अनिवार्यता नहीं रह गयी है.
आधार अब स्वैच्छिक है!
अक्सर देखने को मिल रहा था कि बीपीएल के लोगों को आधार होने के बावजूद उंगलियों के निशान मैच न करने के चलते सेवाओं के लाभ से वंचित होना पड़ता रहा. राशन की दुकान वाले लाभार्थियों को बैरंग वापस भेज दिया करते रहे. अब ऐसा नहीं हो सकेगा.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ साफ कहा है कि आधार न होने की वजह से किसी को सेवा का लाफ देने से इंकार नहीं किया जा सकता.
3. आधार के स्वैच्छिक होने को कैसे समझा जाये?
फर्ज कीजिए आपको बैंक अकाउंट खोलना है और बैंक कर्मचारी आपसे आधार की मांग करता है. अगर आपके पास आधार है और आप नंबर शेयर नहीं करता चाहते तो आप बैंक कर्मचारी को मना कर सकते हैं.
कानून में संशोधन के बाद ये सुनिश्चित किया गया है कि बैंक और मोबाइल कंपनियों को KYC फॉर्म में आधार को वैकल्पिक रखना होगा. इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पासपोर्ट या राशन कार्ड की कॉपी का इस्तेमाल किया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्री के अनुसार टेलीकॉम कंपनियां आधार का इस्तेमाल ग्राहकों की सहमति लेकर ही कर सकती हैं.
मुश्किल ये है कि बैंक वाले और मोबाइल सिम देने वाले सीधे सीधे इंकार तो नहीं करते - लेकिन सच ये भी है कि सुविधा भी नहीं देते हैं. बात करने पर तरह बहानेबाजी पर उतर आते हैं. अक्सर सॉफ्टवेयर पर ठीकरा फोड़ देते हैं. अगर सिम कार्ड दे भी दिये तो एक्टिवेट ही नहीं करते.
जब तक सरकार की तरफ सबको स्पष्ट आदेश की कॉपी नहीं पहुंचती, मान कर चलना चाहिये ये चलता रहेगा.
सवाल ये है कि आखिर ऐसी स्थिति में किया क्या जा सकता है?
सबसे सही तरीका तो यही है कि बैंक कर्मचारियों से लिखित तौर पर आधार पर उनका पक्ष मांगा जाये. अगर ऐसा भी नहीं होता तो UIDAI से विस्तृत विवरण के साथ शिकायत दर्ज करायी जा सकती है.
4. क्या बच्चों को आधार कार्ड बनवाने को लेकर छूट है?
बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के बाद भी उसके इस्तेमाल का अधिकार माता-पिता या गार्जियन के पास सुरक्षित है. अब सरकार ने कानून में संशोधन कर बच्चों को आधार से बाहर रहने का अधिकार दे दिया गया है.
सरल शब्दों में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर माता-पिता या संरक्षक ने किसी बच्चे का आधार कार्ड बनवा भी दिया है तो उसके नाबालिग होने तक तो कोई बात नहीं, लेकिन 18 साल का होने के बाद ये बच्चे की मर्जी पर निर्भर करता है कि आधार को लेकर वो क्या फैसला लेता है. बच्चे के बालिग होने पर स्वैच्छिक वाला नियम अपनेआप लागू हो जाएगा.
5. क्या आधार डाटा का दुरुपयोग अब असंभव है?
असंभव क्या है, असंभव कुछ भी नहीं है. क्या कानून बन जाने या पुलिस के होने भर से चोरी होना असंभव है?
अगर ऐसा नहीं है तो वही नियम आधार डाटा के दुरुपयोग पर भी लागू होता है. हालांकि, सरकार का दावा है कि आधार डाटा पूरी तरह सुरक्षित रखा गया है. साथ ही डाटा की सुरक्षा को लेकर भी एक कानून बनाये जाने की जानकारी मिली है.
देखा जाये तो ये कहना मुश्किल है कि आधार डाटा का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा, लेकिन इतना जरूर है कि ऐसा हुआ तो सरकार ने सजा का प्रावधान जरूर कर दिया है.
1. आधार डाटा सार्वजनिक किया तो जेल - अगर कोई शख्स या संस्था किसी के आधार का डाटा सार्वजनिक करने का दोषी पाया जाता है तो उस पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना और जेल की सजा भी हो सकती है.
2. आधार डाटा के दुरुपयोग पर 1 करोड़ जुर्माना - अगर कोई व्यक्ति या संस्था किसी के आधार डाटा का किसी तरह दुरुपयोग करने का दोषी साबित होता तो उसके लिए जेल की सजा और एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
3. मंत्री को भी हो सकती है जेल - केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में या फिर अदालत के आदेश पर ही आधार डाटा शेयर किया जा सकता है. आसान शब्दों में समझाते हुए रविशंकर प्रसाद बोले, 'अगर IT मंत्री के तौर पर मैं भी आधार डाटा लेने की कोशिश करता हूं तो मुझे भी तीन साल जेल की सजा होगी.'
अगर वास्तव में कानून इतना सख्त है फिर क्या कहने. मुश्किल तो ये है कि ये अदालतों में ये सब साबित होने में कितने बरस बीत जाएंगे ये कौन बता सकता है. आखिर बाकी मामलों का हाल तो ऐसा ही है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि बैंक और मोबाइल कंपनियां व्यावहारिक तौर पर भी क्या ये बातें समझ पाएंगे?
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