कर्नाटक राज्यपाल के एक फैसले ने कैसे थर्ड फ्रंट को जिन्दा कर दिया
कर्नाटक चुनावों के मद्देनजर मची उथल पुथल को देखकर सवाल उठता है कि क्या इस राजनीतिक घमासान के बाद थर्ड फ्रंट का अस्तित्व में आना संभव है?
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के आने के बाद सरकार बनाने को लेकर जो खींचतान चल रही थी, उस खींचतान को कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के द्वारा बीजेपी के पक्ष में किये गए फैसले ने इस देश में एक बार फिर से थर्ड फ्रंट की संभावनाओं को बल देने का काम किया है. गौरतलब है की कर्नाटक चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत ना मिलने पर कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाने को लेकर राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाक़ात की थी, तथा ये मांग की थी कि उनके पास बहुमत है तो सर्वप्रथम उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया जाये, लेकिन वजुभाई वाला ने बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए मंजूरी दी तथा 15 दिन का समय बहुमत साबित करने के लिए दिया.
तमाम गुणा गणित के बाद आखिरकार बीएस येदियुरप्पा को गवर्नर द्वारा शपथ दिलवा ही दी गई
कर्नाटक के राज्यपाल के इस निर्णय के बाद कांग्रेस पार्टी सर्वोच्च अदालत भी गयी तथा इसके साथ-साथ देश के तमाम राजनैतिक दलों ने ने बीजेपी तथा केंद्र सरकार पर ये आरोप लगाया की बीजेपी संविधान का मखौल उड़ा रही है, औऱ सरकार बनाने के लिए हर तरह के अनैतिक तरीके अपना रही है.
सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्यपाल के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या की संज्ञा तक दे डाली.
आज फिर लोकतंत्र की शपथ ली जाएगीआज फिर एक बार और हत्या की जाएगीआज फिर सत्ता की हनक दिखाई जाएगीआज फिर ज़मीर की मंडी सजाई जायेगी आज फिर आज़ादी थोड़ी और मर जायेगी
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) 17 मई 2018
इसके अतिरिक्त बसपा सुप्रीमो मायावती ने तो इसे संविधान को बर्बाद करने तथा लोकतंत्र को तबाह करने की साज़िश करार दिया. वहीं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक दुखः भरा दिन बताया, और उन्होंने कहा की इस तरह के निर्णय से राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिलेगा.
His decision is a green signal for horse trading and a naked capitulation of democratic values
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) 16 मई 2018
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि गोवा मणिपुर और मेघालय में सबसे बड़ी पार्टियों को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया गया, इसलिए इसी नियम का कर्नाटक में भी पालन किया जाना चाहिए था. इसके साथ-साथ येचुरी ने कहा कि मोदी जानबूझकर लोकतंत्र के सिद्धांतों और मानदंडों को नष्ट कर रहे हैं.
BJP govt appointed Governors didn’t invite Single Largest Party in either Goa, 2017 (INC, 17 out of 40 seats), Manipur 2017 (INC 28 of 60) or Meghalaya 2018 (INC 21 out of 60). Union ministers gave arguments supporting them. The precedent is there to follow, right? #Karnataka pic.twitter.com/F4fXKxAhix
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) 15 मई 2018
इस मुद्दे पर लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व चीफ मिनिस्टर तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर हमला बोला, तेजस्वी ने अपने ट्वीट में कहा की, बीजेपी कर्नाटक में हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा दे रही है, बीजेपी लोकतंत्र में एक ख़तरनाक परिपाटी स्थापित कर रही है, हर मामले में चित भी इनकी पट भी इनकी हेड भी इनका टेल भी इनका. इन्होंने लोकतंत्र का मज़ाक बना कर रख दिया है.
भाजपा कर्नाटक में Horse trading को बढ़ावा दे रही है। ये लोकतंत्र में एक ख़तरनाक परिपाटी स्थापित कर रहे है। हर मामले में चित भी इनकी पट भी इनकी। हेड भी इनका टेल भी इनका।
गज़ब है इन्होंने लोकतंत्र ही ग़ायब कर दिया है। लोकतंत्र का मज़ाक बना दिया है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) 16 मई 2018
डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा कि हम सभी ने देखा कि प्रधान मंत्री मोदी ने तमिलनाडु में गवर्नर के कार्यालय का दुरुपयोग कैसे किया, कर्नाटक में भी यही किया गया है, यह पूरी तरह से लोकतंत्र और कानून के शासन के खिलाफ है, हम इसकी निंदा करते हैं. कर्नाटक के मुद्दे पर बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने भी थर्ड फ्रंट के संभावित सहयोगियों के सुर में हां से हां मिलाते हुए बीजेपी पर निशाना साधा.
राज्यपाल वजुभाई वाला के द्वारा जो फैसला दिया गया उस फैसले के खिलाफ कांग्रेस तो थी ही, इसके अतिरिक्त थर्ड फ्रंट के जितने भी संभावित दल हैं. सभी ने एक सुर में राज्यपाल के साथ-साथ बीजेपी के ऊपर भी निशाना साधा. इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में एक बात साफ़ तौर देखने को मिली कि बीजेपी के खिलाफ थर्ड फ्रंट अब पहले से ज्यादा एकजुट है.
अखिलेश यादव और मायावती ने आगामी आम चुनावों के लिए हाथ मिला कर इसके संकेत दे दिए हैं, इसके साथ ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर रॉव के द्वारा हाल फिलहाल थर्ड ग्रांट में जान फुकंने का प्रयास भी किया जा रहा है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू हो या डीएमके नेता एम के स्टॉलिन सभी लोग थर्ड फ्रंट की पुरजोर वकालत करते रहे हैं.कर्नाटक राज्यपाल के एक फैसले ने कैसे थर्ड फ्रंट को जिन्दा कर दिया.
कंटेंट - वेद प्रकाश सिंह इंटर्न इंडिया टुडे
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