कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने होंगे ये 5 धर्मसंकट
कांग्रेस अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद नए अध्यक्ष की तलाश तेजी से हो रही है. मगर जैसा रवैया पार्टी और जो बर्ताव राहुल गांधी का रहा है ऐसी तमाम चुनौतियां हैं जिसका सामना नया अध्यक्ष हर हाल में करेगा.
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2019 के चुनावों में मिली करारी शिकस्त की जिम्मेदारी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने ली और अपना इस्तीफ़ा दे दिया. राहुल के इस्तीफे के बाद अधर में फंसी कांग्रेस में संशय की स्थिति है. सवाल उठ रहे हैं कि नया अध्यक्ष कौन होगा? अटकलों का दौर जारी है. तमाम नाम हैं जो एक एक करके सामने आ रहे हैं और जैसी स्थिति है जल्द ही इस बात का फैसला ले लिया जाएगा कि, आखिर वो कौन होगा जिसके कन्धों पर कांग्रेस को आगे ले जाने की जिम्मेदारी होगी. ज्ञात हो कि नए अध्यक्ष के चयन के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की है. बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नदारद रहे हैं.
माना जा रहा है कि राहुल इस बैठक में इस लिए नहीं आये क्योंकि वो नहीं चाहते कि नए अध्यक्ष के चयन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उनकी कोई भी भूमिका रहे. आपको बताते चलें कि कांग्रेस में नए अध्यक्ष का चयन फिल्हाल इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि कर्नाटक में जेडीएस गठबंधन टूटने की कगार पर है और इसके चलते विपक्ष कांग्रेस की खूब किरकिरी कर रहा है. कांग्रेस का नया अध्यक्ष कोई भी बने मगर पार्टी की जैसी कार्यप्रणाली रही है उसे कई अहम दुविधाओं का सामना करना पड़ेगा.
राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद कांग्रेस में अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है
आइये नजर डालें उन बिन्दुओं पर जो बताते हैं कि ऐसे तमाम धर्मसंकट हैं जिनका सामना नए अध्यक्ष को हर हाल में करना होगा.
कांग्रेस CWC में सोनिया, राहुल और प्रियंका के रहते नए अध्यक्ष की हैसियत क्या होगी?
भले ही अपना इस्तीफ़ा देकर राहुल गांधी ने अपनी 'नैतिक जिम्मेदारी' पूरी कर दी हो मगर वो मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस की CWC में शामिल हैं. ऐसे में अगर अगर नया अध्यक्ष अपना पदभार ग्रहण भी कर लेता है तो सवाल यही रहेगा कि आखिर गांधी परिवार के इन दिग्गजों के सामने उसकी हैसियत क्या होगी? क्या वो अपने निर्णय स्वयं ले पाएगा ? जैसा अब तक कांग्रेस पार्टी में राहुल, सोनिया और प्रियंका का दखल रहा है साफ पता चलता है कि नए अध्यक्ष के लिए अपने निर्मय लेना या कुछ बड़ा करना एक टेढ़ी खीर होगी. सोच वो कुछ भी ले मगर अंत समय में उसे करना वही होगा जो गांधी परिवार चाहेगा. ध्यान रहे कि यदि नए अध्यक्ष ने कुछ फैसले ले भी लिए तो उसे गांधी परिवार अपने अहम से जोड़कर देखेगा और 'ऊपर' से जो भी फैसला आएगा उसके बाद शायद ही नया अध्यक्ष अपने फैसलों को अमली जामा पहना सके.
राहुल ने इस्तीफा दे दिया, जबकि प्रियंका और सोनिया अपने पद पर कायम हैं?
ये बात अपने आप में दिलचस्प है कि 2019 के आम चुनावों में मिली हार के बाद तमाम तरह की आलोचनाएं राहुल गांधी को झेलनी पड़ी. राहुल ने भी समझदारी का परिचय दिया और अपने इस्तीफे की पेशकश की और उसपर अड़े रहे. आखिरकार पार्टी को उनकी बातें माननी पड़ी और उनका इस्तीफ़ा मंजूर कर लिया गया. राहुल के विपरीत सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी अपने पद पर कायम हैं. सोनिया और प्रियंका का रवैया साफ सन्देश देता नजर आ रहा है कि उन्हें इस हार से कोई फर्क नहीं पड़ता. जबकि होना ये चाहिए था कि राहुल की तरह प्रियंका और सोनिया भी इस हार से सबक लेते और अपने पदों से इस्तीफ़ा देकर ये सन्देश देते कि अब वो वक़्त आ गया है जब गांधी परिवार के इतर पार्टी को आगे ले जाना है और बिल्कुल नए सिरे से पार्टी की शुरुआत करनी है.
नया अध्यक्ष क्या CWC के पुनर्गठन की ताकत रख पाएगा?
कांग्रेस कार्यसमिति का यदि गहन अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि इसमें युवाओं की कोई जगह नहीं है. वर्तमान परिदृश्य में इसके अंतर्गत जो लोग हैं वो सभी अपनी अपनी राजनीतिक पारियां बहुत पहले ही खेल चुके हैं. साफ है कि यदि नया अध्यक्ष आता है और सोचता है कि वो CWC में कोई बड़ा फेरबदल कर पाएगा या फिर इसके पुनर्गठन की ताकत रखता है तो ये एक नामुमकिन सी बात है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि पार्टी के पुराने मठाधीश ये कभी नहीं चाहेंगे कि कोई आए और उनकी सत्ता को प्रभावित करे. कुछ और समझने से पहले हमारे लिए ये समझना बहुत जरूरी है कि CWC का पुनर्गठन समय की जरूरत है. यदि कांग्रेस को वाकई इस देश में राजनीति करनी है तो ये बहुत जरूरती है कि कार्यसमिति में बदलाव हो और वो चेहरे आएं जो एक नई सोच के साथ पार्टी की बेहतरी की दिशा में काम कर सकें.
राहुल गांधी क्या नए अध्यक्ष के मातहत काम करेंगे?
ये अपने आप में एक दिलचस्प सवाल है. साथ ही इस सवाल का जवाब समझने के लिए हमें बीते दिनों की एक घटना का अवलोकन करना पड़ेगा. बीते दिनों एक बैठक के दौरान राहुल गांधी ने बड़ी ही मुखरता से इस बात को कहा था कि वो अपना इस्तीफ़ा दे चुके हैं और आशा करते हैं कि पार्टी के लोग भी इस बात को समझें. राहुल ने भले ही कुछ न कहा हो मगर जैसा आक्रोश और खीज उनकी बातों में थी साफ था कि वो यही चाह रहे थे कि पार्टी से जुड़े और लोग भी इसी तरह सामने आएं और अपने अपने इस्तीफे की पेशकश करें. ध्यान रहे कि राहुल के इसी बयान के बाद UPCC से इस्तीफों की झड़ी लग गई थी. सवाल ये है कि जिन राहुल का बर्ताव इतना गुस्सैल है क्या वो नए अध्यक्ष के मातहत होकर काम कर पाएंगे जवाब है नहीं. साफ है कि नया अध्यक्ष अपनी चलाएगा. राहुल अपनी चलाएंगे और अंत में पार्टी बुरी तरह प्रभावित होगी.
गांधी परिवार के केंद्र में रहते दोहरा नेतृत्व कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए धर्मसंकट बन जाएगा
आज जैसे ही कांग्रेस का नाम हमारे सामने आता है तो अपने आप ही राहुल, सोनिया और प्रियंका की तस्वीर हमारी नजरों के सामने आ जाती है. यानी ये अपने आप में साफ है कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस का मतलब राहुल सोनिया और प्रियंका ही हैं. ऐसे में अगर कोई नया अध्यक्ष आ भी जाता है तो उसके लिए इस अवधारणा को तोड़ना अपने आप में एक मुश्किल काम रहेगा. खुद कल्पना करिए उस पल की जब एक ही मंच पर कांग्रेस का नया अध्यक्ष और गांधी परिवार हो. जाहिर सी बात है कि राहुल और सोनिया के विशाल कद के कारण कार्यकर्त्ता कभी भी नए अध्यक्ष को वो मान सम्मान नहीं दे पाएगा और फिर उसके लिए ये धर्मसंकट वाली स्थिति हो जाएगी.
निष्कर्ष
नए अध्यक्ष की हैसियत वैसी ही होगी, जैसी यूपीए शासनकाल में सोनिया गांधी के सामने मनमोहन सिंह थे. जब तक कांग्रेस के नए अध्यक्ष और गांधी परिवार के बीच तालमेल चलेगा, तब तक तो ठीक है. वरना, कोई संजय बारू कांग्रेस संगठन के भीतर भी सत्ता संघर्ष की कहानी लिखेगा. जिसकी गुंजाइश बहुत ज्यादा है.
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