CJI पर महाभियोग लगाने वाली कांग्रेस को मान लेना चाहिए डेमोक्रेसी अब खतरे से बाहर है
कुछ समय पहले जो कांग्रेस मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ले आई थी, आज वही कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट की तारीफ करते नहीं थक रही है. ऐसा इसलिए, क्योंकि फैसला कांग्रेस के हक में आया है.
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कर्नाटक में सरकार बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और कोर्ट ने येदियुरप्पा को नोटिस भी भेज दिया है. इस बात से कांग्रेस कितनी खुश है, ये तो कांग्रेसी नेताओं के ट्वीट ही बता रहे हैं. जो कांग्रेस आज सुप्रीम कोर्ट की तारीफों के पुल बांधती दिख रही है, वही कांग्रेस लोकतंत्र और संविधान को खतरे में बताते हुए अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर कुछ समय पहले देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाई थी, जिसे करीब 50 सासंदों की सहमति भी मिली हुई थी. इस महाभियोग को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था, तब कांग्रेस हमलावर हो गई थी. यानी जब फैसला विरोध में आए तो सुप्रीम कोर्ट गलत और अगर फैसला हक में आए तो सुप्रीम कोर्ट सही. ऐसे में कांग्रेस को एक बार ये जरूर सोचना चाहिए कि देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाना गलत क्यों था.
पत्रकार शेखर गुप्ता ने अभिषेक शांघवी के एक ट्वीट का रिप्लाई करते हुए लिखा है- 'सुप्रीम कोर्ट ने देर रात कर्नाटक चुनाव के मामले पर सुनवाई का फैसला किया और अपनी खोई हुई कुछ इज्जत दोबारा हासिल कर ली. इसके बाद अब कांग्रेस को मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बेवकूफी भरी राजनीति और संवैधानिक लापरवाही के लिए माफी मांगनी चाहिए.' शेखर गुप्ता का ये ट्वीट साफ दिखाता है कि क्यों कांग्रेस द्वारा जज के खिलाफ महाभियोग लाना गलत था. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट अपना काम बखूबी कर रही है.
SC rose to the occasion late night and regained some lost stature. Should make Congress regret its constitutionally reckless and politically silly bid to impeach the CJI https://t.co/N6NhRA9aYN
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) May 17, 2018
अब सुप्रीम कोर्ट की हो रही तारीफ
कर्नाटक चुनाव के बाद से ही भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही है और जेडीएस-कांग्रेस साथ मिलकर भी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन राज्यपाल ने भाजपा के विधायक दल के नेता येदियुरप्पा को ये मौका पहले देने का फैसला किया. यहां तक कि 17 मई सुबह 9 बजे येदियुरप्पा शपथ तक ले चुके हैं. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को वो दो पत्र अदालत में पेश करने का आदेश दिया है, जो येदियुप्पा ने राज्यपाल वाजुभाई वाला को भेजे थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांग्रेस और जेडीएस की उस याचिका को तो खारिज कर दिया गया, जिसमें येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था, लेकिन कोर्ट ने येदियुरप्पा को नोटिस भेजकर जवाब जरूर मांगा है. देखिए कैसे अब कांग्रेस के नेता सुप्रीम कोर्ट की तारीफ कर रहे हैं:
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है- मैं सुप्रीम कोर्ट को सैल्यूट करता हूं. अगर मैं येदियुरप्पा की जगह होता तो शुक्रवार सुबह 10.30 बजे तक शपथ नहीं लेता.
I salute the Supreme Court. If I were Mr Yeddyurappa, I will not take oath until the hearing at 10.30 am on Friday, 18th May.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 17, 2018
वहीं दूसरी ओर अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को रात में 2 बजे से कोर्ट चलाने के लिए उसकी तारीफ की है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक नहीं लगाई. जिस तरह से कोर्ट रात में चली है, उस पर अभिषेक सिंगवी ने कहा है कि यह दिखाता है, सिस्टम कितना अच्छे से काम कर रहा है. यह दिखाता है कि न्याय कभी नहीं सोता, 24 घंटे सातों दिन काम करता है, ऐसे दुनिया की अन्य किस सुप्रीम कोर्ट में हो सकता है?
Irrespective of merits, very gracious of SC to fix hearing at 145 pm at ct no 2. Shows justice never sleeps & accessibility is 24x7, where merits so demand. Which apex court in world allows such accessibility?
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) May 16, 2018
Irrespective of merits, sc finds sufficient urgency to list at 145 pm. Shows system works irrespective if merits in getting large wheels to move at v short notice wo regard to technicalities
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) May 16, 2018
Sc deserves immeasurable kudos 4sitting 3+ half hrs frm 2am. Patient hearing par excellence. Tho no stay bench made swearing fully subject 2further orders. In a sense BSY’s oath is provisional. SC can change interim order tomm after seeing docs. Preponement of fl test also open.
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) May 17, 2018
वहीं अगर थोड़ा पीछे जाएं तो मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने पर अभिषेक सिंघवी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि जैसी अपेक्षा थी, श्री नायडू ने महाभियोग को खारिज कर दिया. उन्होंने यह बाहर से वापस आने के बाद महज एक दिन में ही कर दिया. उम्मीद है कि यह फैसला लेने में तत्परता इसलिए नहीं दिखाई गई होगी ताकि मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक कामों में कोई रुकावट न आए.
Expectedly, Sh Naidu rejected imp’ment motion. Unexpectedly, he did so within one day of returning from outstn. Hopefully, the alacrity was not intended to render infructuous calls for CJI to stop Admn work
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) April 23, 2018
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की सराहना की है. उन्होंने कहा है कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. यह भारत के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. अब सभी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो देश के आधार यानी संविधान की रक्षा कर सकता है.
Democracy has been brazenly manipulated, mutilated and massacred in Karnataka. It does not augur well for the future of India. All eyes are now on the Supreme Court to come out in protection of the Constitutional ethos on which the very foundation of our nation rests.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) May 17, 2018
महाभियोग खारिज होने पर अलग थे तेवर
जब मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को वेंकैया नायडू ने खारिज किया था, तो कांग्रेस के नेताओं का तेवर कुछ अलग ही दिख रहा था. आपको बता दें कि इस महाभियोग प्रस्ताव को 7 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर पेश किया था, जिनकी अगुआई कांग्रेस ने ही की थी. ऐसे में प्रस्ताव खारिज होने पर सबसे अधिक दुखी कांग्रेस की दिखी थी. वेंकैया नायडू ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि न तो मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग उचित है, ना ही अपेक्षित. इसके बाद सभी कानूनी सलाह लेने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए गए महाभियोग को खारिज कर दिया था. यूं तो इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा था कि उन्हें पहले से ही पता था कि कुछ ऐसा ही होगा, लेकिन उनकी प्रतिक्रियाओं में उनका गुस्सा साफ दिख रहा था. देखिए तब क्या कहा था कांग्रेस के नेताओं ने:
राहुल गांधी ने पीएम मोदी और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि आमतौर पर लोग कोर्ट में न्याय मांगने जाते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार में जज जनता से न्याय मांग रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट को कुचला जा रहा है, दबाया जा रहा है; पहली बार चार जज हिन्दुस्तान की जनता से न्याय मांग रहे हैं : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी #SaveTheConstitution
— Congress (@INCIndia) April 23, 2018
राहुल गांधी और कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि अब लोकतंत्र खतरे में है. राहुल गांधी ने कहा था कि संविधान सबकी रक्षा करता है, लेकिन आरएसएस और भाजपा के लोग उसे कुचलना चाहते हैं, हम ऐसा होने नहीं देंगे. उस समय तो लोकतंत्र और संविधान पर खतरा बताया गया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की तारीफ की जा रही है.
इस देश में दलितों, गरीबों, महिलाओं की रक्षा ये संविधान करता है। और इस संविधान को अंबेडकर जी ने और कांग्रेस पार्टी ने लिखा और हिंदुस्तान को दिया : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी #SaveTheConstitution
— Congress (@INCIndia) April 23, 2018
बीजेपी और आरएसएस के लोग इस संविधान को कभी नहीं छू पायेंगे, हम ऐसा होने नहीं देंगे: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी #SaveTheConstitution pic.twitter.com/DWfH2htfy3
— Congress (@INCIndia) April 23, 2018
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तो पूरा गणित बताते हुए कहा था- महाभियोग की प्रक्रिया 50 सांसदों की सहमति से शुरू की गई. इस प्रक्रिया पर राज्य सभा के सभापति फैसला नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास इसका अधिकार नहीं है. यह लोकतंत्र को नकारने और लोकतंत्र के बचाने के बीच की लड़ाई है. 64 सांसदों द्वारा महाभियोग दायर करने के चंद घंटों बाद ही राज्य सभा के नेता (वित्त मंत्री) ने इसे बदले वाली याचिका करार दिया, जो एक तरह से राज्यसभा सभापति को ये बताना था कि क्या फैसला देना है. तो क्या अब बदले की याचिका बचाने की याचिका बन गई है?
Constitutional process of impeachment is set in motion with 50 MP’s giving the motion.RS Chairman can’t adjudge the motion, for he has no mandate to decide the merits of the motion.This is truly a fight between forces ‘Rejecting Democracy’ & voices ‘Rescuing Democracy’.1/3
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
2/3Within hours of 64 MP’s submitting the impeachment motion, Leader of Rajya Sabha(FM) had expressed naked prejudice by calling it a ‘revenge petition’ virtually dictating the verdict to Rajya Sabha Chairman on that day.Has ‘Revenge Petition’ now become ‘Rescue Order’?
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
3/3RS Chairman can’t decide on merits in absence of quasi judicial or administrative power (M.Krishna Swami’s case). If all charges were to be proved before inquiry as RS Chairman suggests, Constitution & Judges (Inquiry) Act will have no relevance.Don’t muzzle Constitution
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 23, 2018
पीएल पुनिया ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग को खारिज किए जाने पर कहा था- 'यह बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है. हम नहीं जानते कि महाभियोग को खारिज करने का कारण क्या है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां कुछ लीगल एक्सपर्ट्स से बात करेंगी और अगला कदम उठाएंगे.' हालांकि, अभी तक उस मामले में आगे कोई कदम नहीं उठाया गया है.
This is a really important matter. We don't know what was the reason for the rejection. Congress & other opposition parties will talk to some legal experts & take the next step: PL Punia, Congress on rejection of Impeachment Motion notice against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/8YFu1Fq2tC
— ANI (@ANI) April 23, 2018
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर मनमाने ढंग से केस किसी भी बेंच को देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस महाभियोग तो ले आई थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला हक में आने के बाद तारीफ करती दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस अभी करे भी क्या, राज्यपाल ने तो येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दे दिया है और कांग्रेस के सामने सुप्रीम कोर्ट इकलौता विकल्प दिख रहा है. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट भी रूठ गया तो कांग्रेस मुक्त भारत जल्द ही बन जाएगा.
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