विपश्यना के बाद कमल को तौल रहे हैं या तराजू पर खुद ही बैठे हैं केजरीवाल?
कुछ तो बातें हैं जो केजरीवाल और कमल हासन को एक मंच पर ला सकती हैं. चेहरे दोनों ही दमदार हैं - खासियत ये है कि एक के पास आइडिया है तो दूसरे के पास ग्लैमर. विचारधारा जो भी हो, कम से कम वो एक लाइन जरूर मिलती है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है.
-
Total Shares
बात सिर्फ अरविंद केजरीवाल और कमल हसन की मुलाकात की नहीं है. ऐसी मुलाकातें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी और सुपर स्टार रजनीकांत के बीच भी होती रही हैं, लेकिन ट्विटर पर फोटो शेयर होने से आगे बात कभी बढ़ती भी नहीं. केजरीवाल और फिल्म स्टार की मुलाकात में खास बात ये है कि कमल हसन राजनीतिक पारी शुरू करने का ऐलान कर चुके हैं, जबकि रजनीकांत ने अपने पत्ते कभी खोले ही नहीं. वैसे बीजेपी ने भी आस नहीं छोड़ी होगी और तब तक खेलने पर्याप्त मौका भी है.
वैसे अभी ये साफ नहीं है कि केजरीवाल और कमल हासन के बीच क्या डील हो रही है, पर ये तो समझा ही जा सकता है कि मोर्चेबंदी में निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे.
केजरीवाल को कमल क्यों भाये?
महाराष्ट्र में मेडिटेशन करने के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली लौटे ही थे कि चेन्नई एक्सप्रेस का टिकट कंफर्म हो जाने की खबर आई. जैसे ही केजरीवाल नौ दिन के लिए विपश्यना करने निकले और इधर उनके साथी आप नेता आशुतोष नये सियासी सफर का मीनू फाइनल करने में जुट गये. आखिरकार चेन्नई में दोनों का लंच फिक्स हो ही गया.
हाल ही में अपने राजनीतिक इरादे जाहिर करते हुए कमल हसन ने कहा था, "मैं राजनैतिक पार्टी बनाने के बारे में विचार कर रहा हूं. तमिलनाडु की राजनीति बदल सकती है."
दिल्ली बुला रही है...
एक इंटरव्यू में कमल हासन ने अपनी खुद की पार्टी बनाने के संकेत दिेये और उसकी वजह भी बतायी, 'कोई भी दूसरी पार्टी उन्हें ऐसा मंच नहीं दे सकती, जो उनकी मंजिल से मेल खाए.'
क्या कमल हासन की इन बातों में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के लिए भी कोई संकेत था? क्या कमल हासन ने कोई ऐसा संकेत दे दिया था कि केजरीवाल और उनकी मंजिल एक ही है? कमल हासन ने अपनी राजनीतिक पारी की घोषणा के वक्त एक खास बात भी कही थी - 'राजनीति में एंट्री के बाद या तो मैं इससे बाहर जाउंगा या फिर भ्रष्टाचार...'
यही वो विशेष बात लगती है जो केजरीवाल और कमल हासन को एक मंच पर ला रही है. चेहरे तो दोनों ही दमदार हैं - खास बात ये है कि एक के पास आइडिया है तो दूसरे के पास ग्लैमर. विचारधारा जो भी हो, कम से कम वो लाइन जरूर मिलती है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है.
फिर मंजिल क्या हो सकती है?
दोनों की मुलाकात को लेकर तमाम कयास लगाये जा रहे हैं. माना जा रहा है कि केजरीवाल इस बात पर जोर देंगे कि कमल हसन आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लें. हालांकि, ऐसा होना मुश्किल लगता है. राजनीति में केजरीवाल भले ही कमल हसन को जूनियर पार्टनर के तौर पर ट्रीट करने की कोशिश करें, लेकिन अपनी फील्ड में उनका कद बहुत बड़ा है. जिस तरह की दक्षिण की राजनीति रही है उसमें कमल हसन की कामयाबी को लेकर शक की गुंजाइश कम ही बनती है. कुछ क्षेत्रीय समीकरणों को नजरअंदाज करें तो फिलहाल तमिलनाडु की राजनीति में एक खालीपन है और चारों तरफ अफरातफरी जैसी स्थिति है. ये बातें कमल हसन के पक्ष में जाती हैं.
वैसे इस बात बहुत ही कम संभावना है कि केजरीवाल के कहने पर कमल हसन आप ज्वाइन करने की सलाह पर गौर भी करेंगे. कमल हसन इस बारे में पहले ही अपनी राय जाहिर कर चुके हैं कि कोई भी पार्टी उनके विचारों को उतना तवज्जो नहीं दे पाएगी. वैसे भी योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे नेताओं का आप में जो हाल हुआ, कमल उससे नावाकिफ तो होंगे नहीं.
फिर क्या संभावना बन सकती है? कमल हसन और केजरीवाल के बीच संभावित समझौते का कलेवर कैसा हो सकता है?
भ्रष्टाचार की पॉलिटिक्स...
अभी ये कहना जल्दबाजी होगा कि कमल हसन ने केजरीवाल के साथ हाथ मिलाने को लेकर कोई धारणा बना ही ली हो. इस बात से तो इंकार नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल बाकियों की तरह कमल हसन को भी अपने तय पैमानों पर तौल रहे होंगे, मगर सच तो ये है कि इसमें केजरीवाल खुद भी तराजू पर बैठे नजर आ रहे हैं.
केजरीवाल से पहले कमल हसन केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से भी मिल चुके हैं. कमल हसन ये भी बता चुके हैं कि वामपंथ की विचारधारा और उसके कई विचारक उनके जीवन के आदर्श रहे हैं.
Tamil Nadu: Delhi CM Arvind Kejriwal received by Kamal Haasan's daughter Akshara Haasan in Chennai. pic.twitter.com/hgUDcsIFSc
— ANI (@ANI) September 21, 2017
अगर कमल हसन और केजरीवाल के बीच भ्रष्टाचार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम जैसा है, फिर तो दोनों एक दूसरे के पूरक बन ही सकते हैं. केजरीवाल ने गोवा और पंजाब में हाथ आजमाये. गोवा में तो गच्चा खा गये लेकिन पंजाब में विपक्ष में बैठने का मौका जरूर मिल गया. पता चला है कि केजरीवाल की पार्टी मध्य प्रदेश के मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है और उससे पहले गुजरात में लिमिटेड ऑफर और यूपी के निकाय चुनाव में ताकत की आजमाईश करने वाली है. चुनाव लड़ने के लिए जिस तरह के राजनीतिक हालात की केजरीवाल को जरूरत होती है तमिलनाडु भी उन्हें काफी सूट करता है. केजरीवाल भी जानते हैं कि तमिलनाडु न तो गोवा है, न पंजाब. तमिलनाडु में केजरीवाल को मजबूत आधार की जरूरत है. अगर दोनों के बीच समझौता हुआ तो तमिलनाडु में केजरीवाल को एक मजबूत आधार और दिल्ली में कमल हासन को एक जोरदार आवाज यूं ही मिल जाएगी.
विधानसभा चुनाव अभी न तो दिल्ली में होने जा रहे हैं, न ही तमिलनाडु में. फिर सवाल ये है कि कमल और केजरीवाल के हाथ मिलाने से अभी क्या फायदा होगा?
भ्रष्टाचार के अलावा एक कॉमन एजेंडा और भी है - 2019. केजरीवाल की नजर अगले आम चुनाव पर है तो कमल हासन के लिए ट्रायल का बेहतरीन मौका. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को चुनौती देने में ज्यादातर विपक्षी दल अलग खेमा खड़ा किये हुए हैं. ममता बनर्जी की पुरजोर कोशिश के बावजूद कांग्रेस ने केजरीवाल को लेकर स्थिति साफ नहीं की है. ऐसे में केजरीवाल खुद के बूते एक मोर्चा खड़ा करने की कोशिश में हैं. अगर केजरीवाल और कमल हसन मिल कर अगले आम चुनाव में कुछ कर लेते हैं तो और कुछ हो न हो - संसद में शोर, हंगामा और वॉक आउट के लिए मीडिया की सुर्खियां तो मुफ्त में ही मिल जाएंगी.
इन्हें भी पढ़ें :
कमल हसन तमिलनाडु की राजनीति के बिग बॉस तो नहीं बनना चाहते?
मोदी को 2019 में घेरने का 'आप' का फॉर्मूला दमदार तो है, लेकिन...
शर्तों के साथ गुजरात के मैदान में उतरेंगे केजरीवाल, यूपी निकाय चुनावों की भी तैयारी
आपकी राय