Agnipath Violence: दंगाइयों पर एक्शन कैसे होता है? वाराणसी के डीएम ने बखूबी बता दिया है!
अग्निपथ हिंसा पर दंगाइयों के लिए जो कुछ वाराणसी के डीएम ने कहा है काश वही बात सभी अधिकारी दोहराएं. वरना जब तक सरकार और अधिकारियों को अपनी गलती महसूस होगी तब तक बहुत देर हो जाएगी.
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'अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों से सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई की जाएगी... वाराणसी में उपद्रवी तत्वों द्वारा कुल 36 वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे तकरीबन 13 लाख रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है. इस मामले में अब तक हमने 27 उपद्रवियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया है.' - कौशल राज शर्मा : जिलाधिकारी वाराणसी
अग्निपथ स्कीम के विरोध में देश के तमाम शहरों की तरह हिंसा की चपेट में यूपी का वाराणसी भी आया. मगर दंगाइयों की पहचान और उनकी धरपकड़ करने में जिला प्रशासन ने देरी नहीं की. ऐसे 27 नाम हमारे सामने आ गए जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. अग्निपथ स्कीम के विरोध में उपद्रव करने वालों को लेकर वाराणसी जिला प्रशासन का यही कहना है कि अब इन्हीं लोगों से हर्जाना वसूला जाएगा. बताते चलें कि बीते 17 जून को अग्निपथ स्कीम के विरोध में 100-150 उपद्रवियों ने पथराव और डंडों के जरिये बसों और अन्य वाहनों को अपना निशाना बनाया और उनके शीशे, हेडलाइट और सीटें तोड़ी. बात नुकसान की हो तो दंगाइयों की इस ओछी हरकत से वाराणसी रोडवेज को करीब 4 लाख रुपए और वाराणसी सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड को लगभग 9 लाख रुपए का नुकसान हुआ.
अग्निपथ स्कीम के विरोध में जो कुछ भी वाराणसी में दंगाइयों ने किया है वो कई मायनों में शर्मनाक है
मामले के मद्देनजर यदि प्रशासन द्वारा पेश की गयी दलीलों का अवलोकन किया जाए तो कथित रूप से हिंसा और तोड़-फोड़ करने वाले 27 व्यक्तियों के नाम और फ़ोटो के अलावा उनके वीडियो भी सबूत के तौर पर मौजूद हैं. अग्निपथ स्कीम के नाम पर वाराणसी जिला प्रशासन न केवल सख्त हुआ है बल्कि उसने एक नजीर भी स्थापित की है.
वो तमाम लोग जो सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पर आंखें मूंदने और चुपचाप तमाशा देखने का आरोप लगा रहे थे उन्हें इस बात को समझना होगा कि कानून कभी सिलेक्टिव नहीं होता. जो दोषी है, उसे सजा मिलती ही है फिर चाहे वो किसी भी जाति, धर्म, पंथ, वर्ग या विचारधारा से क्यों न आए.
क्योंकि अग्निपथ स्कीम के विरोध में हिंसा वाले इस दौर में यूपी में वाराणसी से बड़ी पहल हुई है. इसलिए अब चाहे वो यूपी के अन्य शहर हों या फिर देश के अलग अलग राज्य. तमाम जगहों के जिला प्रशासन को वाराणसी जिला प्रशासन द्वारा पेश की गयी इस नजीर का न केवल पालन करना चाहिए बल्कि तत्काल प्रभाव में इसे अमली जामा पहनते हुए सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए.
विषय बहुत सीधा है. जिस तरह हर बीतते दिन के साथ हिंसा के नए मामले सामने आ रहे हैं. जैसे बसों और ट्रकों के शीशे फोड़े जा रहे हैं. रेलवे स्टेशन को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. पटरियों को उखाड़ा जा रहा है. ट्रेन की बोगियों और आम लोगों की गाड़ियों को आग के हवाले किया जा रहा, ऐसा इसलिए हो रहा है कि प्रशासन सख्त नहीं है और पुलिस प्रदर्शनकारियों की मनाने में लगी है.
अग्निपथ स्कीम के विरोध में सड़क पर उतरे और उत्पात मचाने वाले दंगाइयों की गतिविधियों से जनजीवन तो प्रभावित हो ही रहा है और चूंकि बात अब विरोध के नाम पर राष्ट्र की संपत्ति को, संपदा को नुकसान पहुंचाने की आ गयी है तो हम इतना जरूर कहेंगे कि चाहे वो पुलिस हो या फिर जिला प्रसाशन यदि वो वाक़ई लॉ एंड आर्डर के लिए गंभीर है और चाहता है कि शांति बनी रहे, उसे निष्पक्ष होकर हुड़दंग करते प्रदर्शनकारियों पर लट्ठ बजाते हुए उनपर गंभीर धाराओं जैसे देशद्रोह में मुकदमा दर्ज करना चाहिए.
दौर क्योंकि बुलडोजर न्याय का है. और इसके चलते यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ख्याति पा रहे हैं. तो अलग अलग शहरों में जिला प्रशासन को चाहिए कि हर उस शख्स का घर बुल डोजर से रौंद दिया जाए जिसने देश को नुकसान पहुंचाने की नीयत से कोई भी ऐसी गतिविधि को अंजाम दिया जिसकी इजाजत न कानून देता है और न ह संविधान.
वाराणसी में जिस तरह 27 लोगों को प्रदर्शन के नाम पर हुई हिंसा का जिम्मेदार ठहराया गया है एक उम्मीद दिखती है कि व्यक्ति भले ही भीड़ का रूप लेकर देश को नुकसान पहुंचा ले लेकिन लाख जतन करने के बावजूद वो कानून की नजरों से नहीं बच सकता है.
अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि अग्निपथ हिंसा पर दंगाइयों के लिए जो कुछ वाराणसी के डीएम ने कहा है काश वही बात सभी अधिकारी दोहराएं वरना जब तक सरकार और अधिकारियों को अपनी गलती महसूस होगी तब तक बहुत देर हो जाएगी.
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