26 साल की उम्र में सांसद बने अहमद पटेल, जिन्हें कांग्रेस चाणक्य मानती थी
कांग्रेस पार्टी (Congress Party) ने अपने सबसे बड़े रणनीतिकार को खो दिया है. समय समय पर कांग्रेस की नौका पार लगाने वाले और कांग्रेस के वर्तमान से लेकर भविष्य तक की पूरी योजना बनाने वाले अहमद पटेल की कमी कांग्रेस पार्टी शायद ही कभी दूर कर पाएगी.
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कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के सबसे वरिष्ठ नेता में से एक अहमद पटेल का निधन हो गया है. पर्दे के पीछे पार्टी के लिए रणनीति बनाने वाले और गुणागणित में माहिर अहमद पटेल को कांग्रेस का चाणक्य कहा जाता था. कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मामला हो या पार्टी से बाहर की मोर्चाबंदी, कांग्रेस पार्टी हमेशा अहमद पटेल का रुख करती थी और वही करती थी जो अहमद पटेल रणनीतियां तैयार करते थे. अहमद पटेल एक ऐसा नेता के तौर पर पहचाने जाते थे जो मीडिया के कैमरों से दूर रहते थे, चुनावी रैलीयों से दूर रहते थे. हालांकि ज़रूरत ज़रूरत वह सामने भी आते थे लेकिन उनकी रणनीतियों के बारे में विरोधियों को तो दूर अपनों को भी खबर नहीं लग पाती थी.एक महीने पहले ही वह वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) की चपेट में आ गए थे और तबसे ही दिल्ली स्थित एक अस्पताल में भर्ती थे.
अहमद पटेल के देहांत के बाद यक़ीनन कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं
उनका इलाज जारी था लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और उनका निधन हो गया. ऐसे नेता के निधन से कांग्रेस पार्टी को गहरी चोंट पहुंचीं है. अहमद पटेल ने ऐसे समय पर दुनिया को अलविदा कहा है जब कांग्रेस पार्टी को उनकी बड़ी ज़रूरत थी. अहमद पटेल का सम्मान सभी पार्टी के नेता किया करते थे, वह कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में से एक थे. अहमद पटेल कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे.
कांग्रेस पार्टी में उनकी ताकत से हर कोई वाकिफ था, उन्हें केन्द्र में मंत्री बनने का भी प्रस्ताव मिला था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था औऱ पार्टी के लिए ही काम करने की मर्ज़ी दिखाई थी.उनकी राजनीतिक सूझबूझ का गांधी परिवार भी दिवाना रहा था. कई मोर्चों पर कांग्रेस पार्टी की नौका पार लगाकर अहमद पटेल ने खुद को साबित भी किया था.
अहमद पटेल ने राजनीति के मैदान पर सन् 1977 में इंट्री ली मात्र 26 साल की उम्र में लोकसभा सांसद बन गए. उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज चुनाव हार गए थे खुद इंदिरा गांधी तक चुनाव हार गई थी. लेकिन अहमद पटेल ने जीत दर्ज की और यहीं से उनका राजनीतिक कैरियर शुरू हो गया, फिर उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह लगातार तीन बार लोकसभा की दहलीज़ तक पहुंचे.
उसके बाद से उनको अबतक लगातार राज्यसभा भेजा जा रहा है. कांग्रेस का बच्चा बच्चा जानता है कि कांग्रेस पार्टी केंद्र में हो या राज्य में होगा वही जो अहमद पटेल को मंज़ूर होगा. यूपीए की बैठक में जब सोनिया गांधी किसी विषय पर कहा करती थी कि सोचकर बताऊंगी तो वहां मौजूद सभी मान लेते थे कि इसका मतलब है वह अहमद पटेल से राय लेकर ही फैसला करेंगी.
कांग्रेस पार्टी में अहमद पटेल की हैसियत से हर कोई वाकिफ था. कांग्रेस का छोटा से छोटा और बड़े से बड़ा नेता भी अहमद पटेल की बातों पर अमल करता था. अभी हाल ही में महाराष्ट्र में एनडीए को मिले बहुमत के बाद शिवसेना को कांग्रेस के पाले में लाने में अहमद पटेल का बहुत बड़ा हाथ था. कई राज्यसभा चुनावों में भी उनकी गुणागणित ने विरोधी दल के नेताओं के माथे पर पसीना ला दिया था.
दो वर्ष पहले गुजरात में खुद अहमद पटेल राज्यसभा सीट पर चुनाव लड़ रहे थे. आंकड़े उनके पक्ष में नहीं थे फिर भी उन्होंने ऐसी चाल चली की विरोधी पस्त हो गए. कांग्रेस पार्टी का समय समय पर संकटमोचन बनकर उभरे अहमद पटेल अब नहीं रहे. कांग्रेस पार्टी उनकी कमी को शायद ही कभी भर पाएगी.
सोनिया गांधी को राजनीति के मैदान पर स्थापित करने वालों में अहमद पटेल का नाम भी टॅाप पर आता है. कांग्रेस को बहुत गहरा नुकसान हुआ है. भारतीय राजनीति के एक बड़े नेता के निधन पर पूरे भारत को अफसोस है औऱ प्रधानमंत्री समेत पूरा भारत शोक मना रहा है.
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