छत्तीसगढ़ में माया-जोगी गठबंधन अब ज्यादा टिकाऊ नहीं लगता
छत्तीसगढ़ में जब मायावती ने कांग्रेस की जगह अजीत जोगी के साथ हाथ मिलाया तो उन बीजेपी के दबाव में होने का आरोप लगा. अब बीजेपी के सपोर्ट को लेकर जोगी के बयान के बाद कांग्रेस के इल्जाम हवाई नहीं लग रहे.
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जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बीएसपी गठबंधन में अब सब कुछ ठीक ठाक नहीं रहा, ये मान कर चलना चाहिये. ऐसा लगा था ये गठबंधन लंबी रेस का घोड़ा साबित होगा - और आने वाले दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर संभावित गठबंधन को मजबूती देगा.
लेकिन अब लगता है ये गठबंधन अभी से लड़खड़ाने लगा है. पहले और दूसरे चरण के चुनाव के बीचोंबीच ही गठबंधन के नेताओं के मतभेद सामने आ चुके हैं - चुनाव नतीजे आने के बाद क्या होगा कहना मुश्किल है!
बीजेपी के समर्थन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बयान ने छत्तीसगढ़ में बीएसपी गठबंधन की पोल खोल दी है. जोगी ने अपने बयान से भले ही यू-टर्न ले लिया हो, लेकिन इससे गठबंधन को लेकर कांग्रेस द्वारा जताये गये शक को मजबूती जरूर मिलती है.
अजीत जोगी का यू-टर्न!
पाकिस्तानी मीडिया में इमरान खान का एक बयान सुर्खियों में रहा है. पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि हालात के मुताबिक यू-टर्न न लेने वाला कभी कामयाब नेता नहीं होता.
अजीत जोगी का बयान ही मायावती से गठबंधन की असलियत तो नहीं?
इमरान खान का कहना रहा, ''यू-टर्न न लेने वाला कभी कामयाब लीडर नहीं होता... और जो यू-टर्न लेना नहीं जानता, उससे बड़ा बेवकूफ लीडर कोई नहीं होता...'' इमरान खान ने इस सिलसिले में नेपोलियन से लेकर हिटलर तक की मिसाल दी और समझाया कि उन्होंने यू-टर्न न लेकर ऐतिहासिक गलती की और उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा.
अगर यू-टर्न ही सियासत में कामयाबी की राह है तो छत्तीसगढ़ में अजीत सिंह सही रास्ते पर हैं, लेकिन वो इससे इत्तेफाक नहीं रखते. अजीत जोगी ने तो सदाबहार दावा पेश कर दिया है कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया.
अजीत जोगी ने एक इंटरव्यू में संकेत दिया था कि चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला तो वे भाजपा के साथ जा सकते हैं. ऐसे ही एक सवाल के जवाब में अजीत जोगी का कहना रहा, "राजनीति में किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता."
चुनाव नतीजों के बाद के हालात में बीएसपी ने इससे बिलकुल अलग स्टैंड बताया. मायावती ने कहा कि अगर बहुमत नहीं मिला तो वो विपक्ष में बैठना पसंद करेंगी. मायावती ने मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस को लेकर कहा कि एक सांपनाथ है तो दूसरी नागनाथ.
मायावती के इस स्टैंड और अपने बयान पर बवाल शुरू होने के बाद अजीत जोगी ने फौरन पलटी मार दी और कहने लगे कि वो किसी के साथ नहीं जाने वाले. अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश में अजीत जोगी ने यहां तक कहा, "मेरी राजनाथ सिंह से पारिवारिक और व्यक्तिगत तौर पर अच्छी मित्रता है पर भाजपा में शामिल होने की कल्पना भी नहीं कर सकता."
वो वादे, ये कसमें...
जब जोगी को लगा कि बात सिर्फ बयान बदलने से नहीं बनने वाली तो उन्होंने वही तरकीब निकाली जो कांग्रेस ने खोजा था. देखा गया कि कांग्रेस नेता किसानों को लेकर किये गये वादों पर भरोसा दिलाने के लिए गंगाजल लेकर प्रेस कांफ्रेंस में बैठे. अजीत जोगी ने भी वही रास्ता अख्तियार किया. गंगाजल तो नहीं लेकिन अजीत जोगी श्रीमद्भागवद् गीता, कुरआन और बाइबल सहित आठ धर्मग्रंथ लेकर प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंचे.
अजीत जोगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अपनी पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कहना चाहता हूं कि भाजपा को ना समर्थन दूंगा, ना लूंगा... मैं मरना पसंद करूंगा लेकिन फासीवाद, साम्प्रदायिक ताकतों की प्रतीक भाजपा से गठबंधन नहीं करूंगा..."
अजीत जोगी ने दावा किया कि अव्वल तो उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बीएसपी और सीपीआई के गठबंधन को किसी की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, लेकिन अगर मुमकिन नहीं हो पाया तो भी वो न तो किसी का सपोर्ट लेंगे न देंगे. छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में से 55 पर अजीत जोगी की पार्टी चुनाव लड़ रही है.
ये गठबंधन की दरार है या असलियत?
छत्तीसगढ़ में 12 नवंबर को पहले चरण के मतदान में 76.28 फीसदी वोटिंग हुई है. दूसरे फेज की वोटिंग 20 नवंबर को होनी है. पहले फेज में मतदाताओं ने जो रुझान दिखाया है वो काबिले तारीफ है. नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर में 80 फीसदी तक वोटिंग और दंतेवाड़ा में 55 फीसदी मामूली बात नहीं है. दंतेवाड़ा में 2013 में मतदान का प्रतिशत सिफर रहा था.
छत्तीसगढ़ में इससे पहले तक मुकाबला में सिर्फ दो पार्टियां ही रही हैं - एक बीजेपी और दूसरी कांग्रेस. इस बार जोगी-माया गठबंधन ने इसे त्रिकोणीय बना दिया है, हालांकि, कांग्रेस का दखल इस बार मामूली ही लग रहा है.
बाकी जो भी हो अजीत जोगी ने मायावती के साथ मिल कर चुनाव को दिलचस्प तो बना ही दिया है. मुद्दे की बात यही है कि वो बीजेपी और कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचा पाते हैं. उसमें भी खास बात ये है कि दोनों में से किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले हैं. दावा तो किंग बनने का ही है लेकिन किंगमेकर भी बन पाएंगे कि नहीं इसमें भी अभी शक है. ये गठबंधन तो पहले से ही वोटकटवा जैसी भूमिका में लग रहा था अजीत जोगी के बयान के बाद से तस्वीर और साफ होने लगी है.
जब मायावती ने कांग्रेस को छोड़कर अजीत जोगी की पार्टी से हाथ मिला लिया तो खूब चर्चा हुई. कांग्रेस ने खुलेआम आरोप लगाया कि मायावती ने बीजेपी के दबाव में कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया. अब बीजेपी के सपोर्ट को लेकर अजीत जोगी के बयान के बाद कांग्रेस के आरोप दमदार लगने लगे हैं. अब तो कांग्रेस ने साफ साफ कह भी दिया है कि ये गठबंधन बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए ही हुआ है.
देखा जाये तो अजीत जोगी किंग होने के दावे और किंगमेकर बनने की संभावनाओं के बीच झूल रहे हैं - कहीं ऐसा न हो 'हाथ' से 'माया' भी चली जाये और राम भी न मिलें!
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