छत्तीसगढ़ चुनाव का कर्नाटक कनेक्शन
अजीत जोगी और मायावती के गठबंधंन के बाद ये सामने आ गया है कि छत्तीसगढ़ के राजनीतिक हालात किस कदर कर्नाटक से मिलते जुलते हैं.
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2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का आगाज़ छत्तीसगढ़ से हो रहा है. यहां पहले चरण का चुनाव 12 नवंबर तथा दूसरा चरण 12 नवंबर को होना है. पिछले 15 सालों से छत्तीसगढ़ की राजनीति पर काबिज भाजपा का रहा है लेकिन ये इस बार आसान नज़र नहीं आ रहा है. यहां के चुनाव में मुख्य मुक़ाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच होता रहा है लेकिन इस बार यहां प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच चुनावी गठबंधन ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. और ऐसा माना जा रहा है कि यह गठबंधन 'किंग मेकर' की भूमिका निभा सकता है और कर्नाटक के तर्ज़ पर यहां भी सरकार का गठन हो सकता है.
हम छत्तीसगढ़ चुनाव की इसी साल हुए कर्नाटक चुनाव से इसलिए तुलना कर रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक हालत कुछ हद तक कर्नाटक जैसे ही हैं. मसलन ....
इस साल हुए कर्नाटक चुनाव और आगे आने वाले छत्तीसगढ़ चुनाव में गजब की समानता दिखती है
कर्नाटक का फार्मूला:
इसी साल जब मई में कर्नाटक विधानसभा का परिणाम आया था तब भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थी. यहां विधानसभा की 222 सीटों पर चुनाव हुए थे. सरकार बनाने के लिए किसी के पास भी पर्याप्त संख्या नहीं थी ऐसे में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देते हुए कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री का पद दे कर सरकार का गठन करवाया था.
बसपा के साथ गठबंधन:
कर्नाटक में बसपा ने जेडीएस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. यहां बसपा 18 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 1 सीट पर ही जीत हासिल कर पाई थी लेकिन सरकार में भागीदार तो बन ही गई थी.
ठीक इसी प्रकार छत्तीसढ़ में भी बसपा अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) के साथ गठबंधन करते हुए 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जेसीसी 55 और सीपीआई 2 सीटों पर चुनाव मैदान में है.
दो पार्टियों के बीच मुक़ाबला:
कर्नाटक में मुक़ाबला दो पार्टियों - भाजपा और कांग्रेस के बीच था लेकिन दोनों दलों में से किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण तीसरा दल जेडीएस किंग मेकर बना. छत्तीसगढ़ में भी हमेशा से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुक़ाबला रहा है लेकिन इस बार जेसीसी-बसपा गठबंधन तीसरी शक्ति के रूप में मौजूद है. अगर कर्नाटक जैसे चुनाव परिणाम आये तो यहां भी अजीत जोगी कुमारस्वामी की तरह एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
ओपिनियन पोल्स का इशारा:
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के वक़्त ओपिनियन पोल्स जेडीएस को औसतन 40 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहे थे जिसमें से इसे 37 सीटों पर जीत मिली थी. अब छत्तीसगढ़ में जेसीसी - बसपा गठबंधन को औसतन 9 सीटें मिलने के अनुमान लग रहे हैं. वैसे भी छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में 39 सीटें आरक्षित हैं. इनमें 29 एसटी और 10 एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. अगर ये अनुमान सच होता है तो यह संख्या छत्तीसगढ़ में सरकार गठन का रुख बदलने के लिए पर्याप्त हो सकती है एवं अजीत जोगी किंग मेकर की भूमिका में आ जाएं और कांग्रेस के सपोर्ट से प्रदेश में दूसरी बार मुख्यमंत्री का शपथ लेने में कामयाब हो जाएं ऐसी उम्मीद है.
बेटे ज़्यादा महत्वपूर्ण:
जहां कर्नाटक में एचडी दोवगौड़ा के पुत्र कुमारस्वामी राजनीति में महत्वपूर्ण हैं वहीं छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के सुपुत्र अमित जोगी भी अहम स्थान रखते है. क्योंकी अजीत जोगी अस्वस्थ्य रहते हैं इसलिए अमित जोगी को उनका उत्तराधिकारी माना जाता है. कुमारस्वामी जहां कर्नाटक के मुख्यमंत्री है वहीं अमित जोगी मरवाही विधानसभा सीट से विधायक है. खास बात यह कि एचडी दोवगौड़ा और अजीत जोगी भी अपने-अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है.
उपरोक्त सारी राजनीतिक परिस्थितियां ये दर्शाती हैं कि अगर छत्तीसगढ़ की जनता किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं देती है तो हो सकता है ‘कर्नाटक मॉडल’ छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिले.
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